(हरियाणा — जां कर्म, धर्म अर हौंसले का परदेश सै, छोरियां तै लेकर खेतां तक — हरियाणा चमक रया सै)
हरियाणा दिवस कोई सिरफ दिन ना सै, ये तो माटी का त्योहार सै — जिथे मेहनत ने भगवान माना जावै, अर पसीना इज्जत बन जावै। खेतां तै अखाड़ां तक, छोरे-छोरियां देश का नाम ऊंचा कर रै सै। ये धरती सै वीरां की, गीता के ज्ञान की, अर एकता के मान की। हरियाणा दिवस सिखावै सादगी, स्वाभिमान अर भाईचारे की बात — कि असली तरक्की तब सै, जब माणस अपने धरती तै प्यार करे अर कर्म सै ना हटे।
डॉ. प्रियंका सौरभ
हरियाणा म्हारे लिए सिरफ एक राज्य ना सै, ये तो भावना सै, अपनापन सै, अर गर्व सै। 1 नवम्बर 1966 के दिन जब हरियाणा, पंजाब तै अलग होके एक नया परदेश बन्या, तै किसे ना पता था के ये छोटा सा इलाका एक दिन पूरे भारत मं अपनी पहचान छोड़ जावेगा। इब्ब देख लो, हरियाणा खेती तै लेके खेलां तक, फौज तै लेके कारोबार तक — हर जगह अपनी अलग छाप छोड़ै सै।
हरियाणा की मिट्टी मं कुछ बात सै भाई। यहीं कुरुक्षेत्र की धरती पर भगवान कृष्णा ने अर्जुन नै गीता का उपदेश दियो था — कर्म कर, फल की चिंता मत कर। इसी माटी की गोद मं पानीपत के रण लड़े गए, जां वीरां नै अपनी जान दाव पर लगा दी। हर कदम पर इतिहास बसै सै इस धरती का, अर इस धरती नै इतिहास रचण की आदत सै।
किसानां की बात करां त हरियाणा का किसान सबसे मेहनती सै। सूरज चढ़ण तै पहले खेत मं पहुंच जावै सै, अर सूरज डूबे तै बाद घर आवै सै। माटी नै सींचण की ताकद इब्ब भी इस परदेश के हाथां मं सै। दूध-दही की धरती कहे सै इस नै, अर सच मं, यहाँ के घर-घर मं घी की खुशबू, लस्सी की ठंडक अर सच्चाई की मिठास बसै सै।
हरित क्रांति में हरियाणा नै जो योगदान दियो, वो कोई भूल ना सकै। खेती मं नई तकनीक लाण, पानी की बचत करण अर जमीन नै उपजाऊ बनावण — ये सब इस राज्य की पहचान सै। किसान इब्ब सिरफ हल चलावण वाला ना रह्या, वो उद्यमी बन ग्या सै, तकनीक जाणन लाग्या सै, अर खेती नै इज्जत दिलावण लाग्या सै।
खेलां की बात आवै त हरियाणा सै ओ धरती, जां मिट्टी की खुशबू पसीने मं बदल जावे सै। बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, नीरज चोपड़ा, बबीता-विनेश फोगाट — ये सब नाम सिरफ पदक ना, परिश्रम की मिसाल सैं। गाँवां मं अखाड़े सै, पर वो सिरफ कुश्ती के मैदान ना, वो संस्कार के मंदिर सैं। छोरियां भी इब्ब कम ना — ओलंपिक तक का सफर तय कर री सैं।
पहले लोग कहतै थे “बेटा जरूरी सै”, इब्ब हरियाणा कहै सै — “छोरी भी कम ना सै।” “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” सिरफ नारा ना रह्या, इस नै समाज बदल दियो। हरियाणा की छोरियां आज पढ़ लिख के फौज मं, स्कूलां मं, खेलां मं, दफ्तरां मं, हर जगह नाम कमावै सैं। ओ साबित कर रई सैं के हरियाणा की माटी मं साहस सिरफ मर्दां का ना, नारी का भी सै।
संस्कृति की बात करां त हरियाणा का लोकजीवन सादा पर रंगीन सै। यहाँ तीज-त्योहारां का मेला लागै सै — फाग गाऊं, झंझ बजाऊं, ढोलक की थाप पे नाचू। हर गीत मं अपनापन सै, हर रागनी मं कहानी सै। हरियाणवी बोली भले कड़ी लागै, पर सच्चाई की मिठास सै इस मं। यहाँ का आदमी दिल का साफ सै — बोलन मं सीधा, करन मं सच्चा।
गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, हिसार — इब्ब उद्योग और शिक्षा के केंद्र बन चुके सैं। शहर चमक रए सैं, पर गाँवां की मिट्टी आज भी अपनापन ना छोड़ै सै। हरियाणा की प्रति व्यक्ति आमदनी देश मं सबसे ऊपर सै, अर ये मेहनत का नतीजा सै। पर चुनौतियाँ भी सैं — बेरोजगारी, प्रदूषण, पानी की कमी अर जात-पात की दीवार — इन नै मिटावण की जिम्मेदारी हम सबकी सै।
हरियाणवी लोग सीधे सैं, पर दिल के सच्चे सैं। झूठ नै नफरत करैं, मेहनत नै इबादत मानैं। ओ कहैं — “काम बोलै, आदमी ना बोलै।” यही सच्चाई इस परदेश की ताकत सै। यहाँ दिखावा ना सै, पर कर्म सै, सच्चाई सै, अर विश्वास सै।
देश की रक्षा में हरियाणा के जवान सदा आगे रहै सैं। सीमा पे खड़े होके ओ देश की आन-बान की रक्षा करैं सैं। खेत मं किसान, सीमा पे जवान, खेल मं खिलाड़ी — हर कोई इस मिट्टी का बेटा अपनी भूमिका निभा रह्या सै।
हरियाणा दिवस मनाण का मतलब सिरफ झंडा लगाण या भाषण देण ना सै, ये दिन याद करावै सै उस आत्मा नै, जां सादगी, मेहनत, अर एकता बसै सै। ये दिन याद करावै सै के हम सिरफ एक राज्य ना, पर एक परिवार सैं — जो कर्म, धर्म अर सच्चाई मं विश्वास राखै सै।
आज जरूरत सै के हम अपने गाँव, खेत, अर संस्कृति नै सहेज के रखां। आधुनिकता अपनावां, पर अपनी जड़ां नै ना भूलां। पर्यावरण बचावां, शिक्षा बढ़ावां, अर बेटां-बेटी मं फर्क मिटावां। हरियाणा नै स्वच्छ, शिक्षित, समृद्ध अर समान बनावां — यही सच्चा हरियाणा दिवस का संदेश सै।
चलो, आज के दिन सब मिलके प्रण लें —
हम इस मिट्टी की खुशबू नै ना मिटण देंगे,
हम मेहनत अर सच्चाई नै जिंदा रखांगे,
हम अपने हरियाणा नै ऐसे बनावांगे —
जां देख के दुनिया कहे —
“सच मं हरि का वास सै — हरियाणा परदेश!”





