डॉ. वीरेन्द्र प्रसाद
सोना, तुमको ख्वाबों में देखा है
राधे कृष्णा की किताबों में देखा है।
तेरी पलकों का झपना फिर खुलना
निमिष नयन, फिर उसका मिलना।
तेरा हर नूर इबादत में देखा है
सोना, तुमको ख्वाबों में देखा है।।
तुमुल तरंगों की तुम तरणी
मधु मकरंद धवल की धरणी ।
तेरे ताप प्रखर, अजाबों में देखा है
सोना, तुमको ख्वाबों में देखा है।।
अनियारे नयन के तारे द्वय
विशिख चपल नर्तन निर्भय।
तेरी नीरवता, महताबों में देखा है
सोना, तुमको ख्वाबों में देखा है।।
व्योम-व्योम है गान तुम्हारा
विद्यमान अनमृत दान तुम्हारा ।
तेरा वरद, सिताबों में देखा है।
सोना, तुमको ख्वाबों में देखा है।।