
घंटों जाम और बेबसी से जूझते रहे राजधानीवासी
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली वालों ने सोचा था कि बादलों की बूंदें उन्हें गर्मी से राहत देंगी, लेकिन कुछ ही घंटों में यह राहत राजधानीवासियों के लिए भारी परेशानी के सबक में बदल गई। आसमान खुला और बरसात ने सड़कों को नदियों में और ट्रैफिक को एक अंतहीन कतार में बदल दिया। इससे ऑफिस जाने वाले अधिकारी और कर्मचारी और स्कूल जाने वाले बच्चे सबसे ज़्यादा परेशान रहें और देश की राजधानी नई दिल्ली ने अब तक का सबसे बुरा जाम देखा। पूरी दिल्ली का जन जीवन एक तरह से ठप्प और ठहर सा गया।
दिल्ली के यातायात जाम का हाल सबसे बुरा रहा। यातायात पुलिस भी बेबस दिखाई दी।सुबह-सुबह दिल्ली की रिंग रोड, आईटीओ और मथुरा रोड पर गाड़ियाँ रेंगने लगीं। राजस्थान रोडवेज की एक वॉल्वो बस जो दोपहर बारह बजे आईएसबीटी कश्मीरी गेट से निकली थी वो पांच घंटे बाद धौलाकुंआ पहुंच सकी और उसे महज 15- 20 किमी के रास्ते को पार करने में 5 घंटे से भी अधिक समय लगा। इसी प्रकार राजस्थान रोडवेज की नई नवेली वॉल्वो को धौलाकुंआ से गुड़गांव के इफको चौक पहुंचने में भी ढाई घंटे लग गए तथा उसे दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस हाई वे रास्ते से जयपुर पहुंचने में ही बारह घंटे लग गए।
दिल्ली की सड़के दरिया बन गई और कई छोटे बड़े वाहन उसमें फंस गए। गुड़गांव का हाल सबसे बदतर रह और वहां के सभी अंडर पास पानी से भर गए। राजीव चौक से वसंत विहार जाने वाले एक आईटी प्रोफेशनल ने बताया कि घर से निकले तो लगा 45 मिनट में गंतव्य पर पहुँचेंगे, लेकिन 2 घंटे बाद भी रास्ते में ही भटक रहे थे। बस भी जाम में अटक गई, आखिर मुझे पैदल चलना पड़ा। स्कूल वैनों में बैठे बच्चे भी इस भीगे सफ़र से थक गए। कुछ बच्चों को माता-पिता को बीच रास्ते से ही घर वापस ले जाना पड़ा। नोएडा सेक्टर-18 और गुरुग्राम के हीरो होंडा चौक पर गाड़ियों की लंबी लाइनें लगी थी। जल जमाव के कारण कारें बीच सड़क पर बंद हो गईं और ऑटो एवं बाइक सवार पानी में धँसकर उन्हें धक्का देते नज़र आए। दिल्ली की कई कॉलोनियो में खड़ी कारे और अन्य वायन पानी में आधी डूबे नज़र आए।सोशल मीडिया पर वर्षा की कई तस्वीर वायरल हो गई।दिल्ली के लक्ष्मी नगर, संगम विहार, यमुनापार के कई हिस्सों में नालों के उफान से घरों में पानी घुस गया। कपड़े, फर्नीचर और दुकान का सामान सब खराब हो गया। संगम विहार के एक दुकानदार बोले बरसात से पहले नाले साफ नहीं किए गए, अब पानी हमारे घर में है, कोई मदद कहीं नज़र नहीं आ रही।
भारी वर्षा की मार से दिल्ली के एम्स और सफदरजंग राम मनोहर लोहिया जैसे बड़े अस्पतालों का हाल भी बेहाल हो गया और उनमें भी पानी भर गया। माता-शिशु ब्लॉक और प्राइवेट वार्ड में मरीजों को बिस्तर से उठा कर दूसरी मंज़िल पर शिफ्ट किया गया। दिल्ली के कालकाजी इलाके में बारिश के बीच एक नीम का पेड़ सड़क पर जा गिरा। दुर्भाग्य से वह एक बाइक पर सवार पिता-बेटी के ऊपर गिरा। पिता की मौके पर ही मौत हो गई और बेटी घायल होकर अस्पताल पहुँची। आसपास के लोग कहते हैं, पेड़ काफी समय से झुका हुआ था। दिल्ली में यमुना का जलस्तर भी 204.43 मीटर तक आ गया, जो चेतावनी स्तर से सिर्फ़ 7 सेंटीमीटर कम है। इससे दिल्ली में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। लोग सोच रहे हैं कि अगर गुरुवार के रेड एलर्ट की तरह अगले दो दिन और बारिश जारी रही तो दिल्ली और पूरे एन सी आर क्षेत्र के हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं।
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला और उसके आसपास के इलाकों में वर्षा के जमा पानी को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर काम जारी है । शुक्रवार को सवेरे लाल किला की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से देश को संबोधित करने वाले है। हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने दिल्ली में शुक्रवार को भी बारिश की भविष्यवाणी की है।
कुल मिला कर 79 स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले गुरुवार को दिल्ली में हुई भारी बारिश ने जन जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया और यह साफ कर दिया कि दिल्ली अभी भी जलभराव, ट्रैफिक और इमरजेंसी रिस्पॉन्स के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। राहत की जगह गुरुवार की बारिश दिल्लीवासियों के लिए एक बेबसी लेकर आई। लोगों की ज़िंदगी पटरी से उतर गई । अब सवाल वही हैं कि दिल्ली सहित देश के महानगरों और अन्य छोटे बड़े शहरों में हर साल यही गेट क्यों पैदा होते है?