सीता राम शर्मा ” चेतन “
हेमंत जी, चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाएँ ! परम आदरणीय मुख्यमंत्री जी, अब इस बात पर ज्यादा जिक्र और चिंतन करने का कोई लाभ नहीं कि तमाम सच-झूठ, आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक प्रयासों, षड्यंत्रों के बावजूद कैसे आप विजयी हूए या फिर कैसे खुद को सर्वाधिक श्रेष्ठ और ईमानदार बताती भाजपा पराजित हो गई । यूं भी चुनाव के बाद चुनाव पर त्वरित अत्यधिक चिंतन मंथन करने का काम पराजित दल ही करता है तो उसे करने दीजिए । आप तो अब कुछ ऐसा कीजिए, जो पहले से बेहतर हो । बेहतर तो यह होगा कि कुछ ऐसा कीजिए जो सबसे बेहतर हो ! ऐसा बेहतर क्या हो सकता है ? आइए इस पर चिंतन करें !
आदरणीय, शपथ ग्रहण के पूर्व आपके उस आचरण अथवा नीतिगत समझ ने हर झारखंडी को गर्व से अभिभूत कर दिया, जब आपने अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री को सपरिवार जाकर आमंत्रित किया ! निःसंदेह वह लोक आचरण और लोकतंत्र की श्रेष्ठतम सोच के साथ इस बात की भी संतोषजनक अभिव्यक्ति और सांकेतिक दृष्टि थी कि आप झारखंड के मुख्यमंत्री बनने की योग्यता रखने वाले एक कुशल राजनेता हैं । प्रधानमंत्री के साथ हर्षित माहौल की तस्वीरें देख कर ऐसा प्रतीत हुआ मानों प्रधानमंत्री को आपने कहा हो कि सर, चुनाव के दौरान हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा देने के साथ मेरे सादर आमंत्रण को स्वीकार करें और प्रत्युत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा हो कि उस क्षमा का प्रार्थी तो यह राष्ट्रीय अभिभावक भी है बंधुवर, अब तो बस आइए जनता, राज्य और राष्ट्र के लिए मिलकर काम करें ! हां, ऐसा करते हुए इतना अवश्य याद रखिए कि यह जीत आपके नेतृत्व को है और इसका कोई दुरुपयोग ना करे क्योंकि ऐसी संभावनाएं गठबंधन सरकारों में ज्यादा होती हैं ! अतः विपरीत परिस्थितियों में हमें सदैव साथ ही समझिएगा क्योंकि नेतृत्व का मुख्य कर्तव्य और दायित्व मैं भलीभांति समझता हूं ! आदरणीय मुख्यमंत्री जी, क्षमा कीजिएगा, लेखकीय स्वभाव विचारवान होना भी है और स्वप्नदृष्टा तथा काल्पनिक होना भी । उपरोक्त संभावित संवाद लेखक की उसी काल्पनिक परिकल्पना का परिणाम है ।
महोदय, अब बात आलेख सार और उदेश्य की, तो जाने क्यों ऐसा लगता है कि आपसे वह आग्रह किया जाए जो वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक नई स्वर्णिम राजनीतिक राह और चरित्र का निर्माण करने वाला हो ! विपक्ष ऐसा करेगा इसकी संभावनाओं को छोड़कर सत्ता पक्ष के रुप में आपको इस क्षेत्र में कुछ नया, बड़ा और बेहतर करने का प्रयास ही नहीं, शत-प्रतिशत सफल प्रयास करना चाहिए । मुझे लगता है पक्ष और विपक्ष को लेकर जो राजनीतिक चरित्र और माहौल वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य में दिखाई देता है उसमें एक नया प्रभावशाली और क्रांतिकारी परिवर्तन आपको अपने इस नये कार्यकाल में लाना चाहिए । इससे ना सिर्फ आपकी सरकार का आगामी कार्यकाल राज्य और जनता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और कल्याणकारी सिद्ध होगा अपितु ऐसा करने से आपका और आपके राजनीतिक दल का भविष्य भी अधिक सशक्त, प्रभावशाली और अनुकरणीय होगा ! कैसे ? आइए इस पर विचार करें !
महोदय, अपने वादों, सुशासन और शांतिपूर्ण व्यवस्था के साथ विकास कार्यों पर पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ काम करते हुए आपकी सरकार को अब सबसे पहले और चरणबद्ध तरीके से जिन मुद्दों और क्षेत्रों में प्राथमिकता के साथ काम करना चाहिए वह है चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के मुख्य आरोपों और उसके द्वारा जीत की स्थिति में की गई जन हितैषि घोषणाओं पर काम करना । मुझे लगता है सरकार बनने के बाद सबसे पहले आपको विपक्ष और केंद्र सरकार से यह स्पष्ट कहना चाहिए कि झारखंड में जिस अवैध घुसपैठ की बात पूरे चुनाव के दौरान की गई उसकी विस्तृत जानकरी वह राज्य सरकार से साझा करे । साथ ही इस समस्या का समाधान क्या और कैसे हो ? इसके समाधान में राज्य और केंद्र सरकार कैसे आपसी सामंजस्य और सहयोग के साथ अपने-अपने अधिकार और कर्तव्य का निर्वहन करे ? हम इस पर त्वरित काम करना चाहते हैं । चुकी यह मुद्दा राज्य और राष्ट्रीय हित का है अतः इस पर गंभीरतापूर्वक विचार और काम करना हमारी सामुहिक जिम्मेवारी है । हम करेंगे । घुसपैठ के बाद बात बालू को लेकर त्रुटिपूर्ण सरकारी व्यवस्था की हो, भ्रष्टाचार और नक्सलवाद की हो या फिर कोई और, विपक्ष की हर वास्तविक और जन हितैषि मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार और व्यवहार कर हेमंत सरकार पक्ष-विपक्ष की वर्तमान नकारात्मक राजनीतिक स्थिति को एक नई सकारात्मक दिशा देने का काम करे, यही आत्मीय इच्छा, अभिलाषा भी है और निवेदन भी ! आदरणीय हेमंत जी, झारखंड के अभिभावक होने के नाते आप अपने वादों को निभाते हुए विपक्ष के वादों को भी पूरा कर उसे मुद्दा विहीन बनाने का काम कीजिए ! झारखंड की जनता का साथ, समर्थन और उसकी संवैधानिक सत्ता शक्ति आपके साथ है । रही बात विपक्ष की, तो आगामी पांच वर्षों में उससे भी ऐतिहासिक विपक्षी उत्कृष्टता के आचरण की अपेक्षा झारखंड की जनता को रहेगी । उसका हर विरोध शांतिपूर्ण, जनहितैषी, जनोपयोगी और कल्याणकारी होने के साथ विपक्ष के उत्कृष्ट आचरण का प्रमाण बने, यही आशा और अपेक्षा है ।
अंत में बात लोभ-लालच के बेतहाशा विस्तार की उस राजनीति की, जिसका कोढ़ पूरी राजनीतिक व्यवस्था के साथ दूरगामी राष्ट्रीय व्यवस्था को निगलने को आतुर होता दिखाई देता है । उस पर बहुत ज्यादा गंभीरतापूर्वक विचार और व्यवहार करने की जरूरत पक्ष और विपक्ष दोनों को है । यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसके अति भयावह नुकसान से ना पक्ष का भविष्य सुरक्षित रहेगा और ना ही विपक्ष का । बहुत संभव है कि इस विकराल होती समस्या का समाधान संविधान करे, पर वह भी बनाएगा तो पक्ष और विपक्ष ही । फिलहाल इस अनीति का नीतिगत लाभ उचित उम्मीदवार और हकदार को ही मिले इसका ध्यान रखने की जरूरत है । सकारात्मक रहते हुए सिर्फ शुभ पर विचार और व्यवहार करते हुए पक्ष और विपक्ष दोनों को हार्दिक शुभकामनाएँ!