इस बार हिमाचल का चुनावी संग्राम खास होगा

ललित गर्ग

हिमाचल प्रदेश 68 विधानसभा सीटों के भाग्य का फैसला लिखे जाने की तारीखों की घोषणा मुख्य चुनाव आयोग ने कर दी है, 12 नवम्बर 2022 को वोटिंग एवं 8 दिसम्बर को परिणाम घोषित किये जायेंगे। इस बार अकेले हिमाचल में हो रहे चुनाव काफी दिलचस्प एवं अहम होने के साथ कांटे की टक्कर वाले होंगे। हिमाचल में अब तक मुख्य चुनावी दंगल भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता आया है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी अपना भाग्य आजमाने के लिये मैदान में है। आम आदमी पार्टी के लिये पूर्वानुमान लगाना इसलिये पैचीदा है कि उसकी मुफ्त रेवड़ी वाली संस्कृति कभी तो अपूर्व असरकारकारक हो जाती है और कभी एकदम गुब्बारे से निकली हवा की तरह फिस्स। फिर भी आप हिमाचल के लोगों को भी लुभाने की कोशिश कर रही है, उसके हौसलें भी बुलन्द है, इसलिए देखना होगा हिमाचल की जनता इस पार्टी को कितना आशीर्वाद देती है। जो भी हो, आप की चुनावी उपस्थिति भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दलों के लिये एक चुनौती बन रही है। निश्चित ही इस बार हिमाचल के चुनाव खास है।

हिमाचल का चुनाव भाजपा के लिये इसलिये खास है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा एवं केन्द्र सरकार में सर्वाधिक सक्रिय एवं युवामंत्री अनुराग ठाकुर इसी प्रांत से आते हैं। दोनों कद्दावर नेताओं का गृहराज्य होने से भाजपा के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव है। फिलहाल यहां भाजपा की सरकार है। इसलिए भाजपा यहां बेहतर प्रदर्शन के लिए जी-जान से जुटी है। हिमाचल में फिर से सरकार बनाने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद पिछले 17 दिनों में तीन बार राज्य का दौरा कर चुके हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी एक करिश्माई नेता है, उनकी यात्राओं से हिमाचल का चुनावी गणित बनता और बिगड़ता रह सकता है। एक दिन पहले ही उन्होंने राज्य को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन देने के साथ ही विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात दी और दो जिलों में जनसभाओं को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री हाल ही में कुल्लू दशहरा उत्सव में भी शामिल हुए थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। लेकिन मोदी ही भाजपा को जीत दिलाने वाले सर्वाधिक सक्षम भाजपा नेता है, भले ही यह नड्डा एवं ठाकुर का गृहराज्य हो।

हिमाचल में चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही चुनावी सरगर्मिया उग्र होती जा रही है। सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। भाजपा के सामने जहां सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस सत्ता परिवर्तन के लिए जोर लगा रही है। कांग्रेस इसलिये उत्साहित नजर आ रही है कि हिमाचल प्रदेश के इन वर्षों के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां जनता एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देती रही है। इस परम्परा पर विश्वास किया जाये तो इस बार कांग्रेस की बारी है। लेकिन ऐसी परम्पराएं एवं राजनीतिक इतिहास बदलते हुए भी देखे गये हैं, इसीलिये नया इतिहास लिखने वाली भाजपा ने सत्ता में लौटने के लिए पूरी जान लगा रखी है। भाजपा का दावा है कि वह उत्तराखण्ड की तरह ही हिमाचल में भी नया चुनावी इतिहास लिखेगी। उल्लेखीनय है कि इस साल हुए उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में भी भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में लौटी थी। जबकि उत्तराखण्ड की जनता भी इससे पहले एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देती रही है। कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है।

आजाद भारत में हिमाचल का यह पहला चुनाव होगा जब कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह की अनुपस्थिति में यह चुनाव होगा। हिमाचल में इससे पहले सभी चुनावों में वीरभद्र सिंह ने ही कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस को सत्ता पर काबिज किया। उनके निधन के बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई में भारी बिखराव देखने को मिला और वह विभिन्न धड़ों में बंटी हुई है। भले ही पार्टी ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर इस कमी को दूर करने की कोशिश की है, पर पार्टी नेताओं में मतभेद दूर होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को सोलन में परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली कर चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत कर दी है। दरअसल, पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त है। ऐसे में पिछले चुनावों के मुकाबले वह कम प्रचार करेंगे। हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष समेत कई और नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस की तरह यहां भाजपा में कोई गुट नजर नहीं आ रहा है। बल्कि पूरी पार्टी एकजुट नजर आ रही है। यहां मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर भी कोई उठापटक नहीं दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ही भाजपा दोबारा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना सकती है।

पंजाब में ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पंजाब से सटे होने से वह पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। ऐसे में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। मैंने डेढ माह पूर्व शिमला की यात्रा के दौरान यह देखकर दंग रह गया कि पूरी पहाड़ी के राजमार्ग केजरीवाल के पोस्टर लगे थे। इतनी पहले से चल रही चुनावी तैयारी के देखते हुए आप के प्रदर्शन को कमतर आंकना भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दलों के लिये अफसोस का कारण न बन जाये। आप की नजर पार्टी बदलने वाले कांग्रेस और भाजपा नेताओ पर हैं। ऐसे में कुछ सीट पर आप पार्टी मजबूत उम्मीदवार देकर भाजपा और कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकती है। कांग्रेस केन्द्रीय नेतृत्व की निस्तेज छवि के कारण लगातार कमजोर होती जा रही है, इन चुनावों पर उसका असर देखने को मिलेगा। हाल ही में जहां-जहां चुनाव हुए है और उन चुनावों में आप मैदान में उतरी तो कांग्रेस के वोट उसे मिले हैं। इसलिये हिमाचल में आप एवं कांग्रेस दोनों की उपस्थिति का लाभ भाजपा को मिलेगा। भले ही पहली बार में आप अपने अच्छे प्रदर्शन एवं कांग्रेस से टूटे वोटों के बल पर सक्षम विपक्ष बन जाये, लेकिन भाजपा की जीत एवं विजय रथ ही आगे बढ़ता हुआ प्रतीत होता है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में 2021 के स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया था पर पार्टी मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी, शिमला और सोलन में कांग्रेस से पिछड़ गई थी। इसके बाद फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई विधानसभा और मंडी लोकसभा सीट पर हुई चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया। भाजपा सभी चुनाव हार गई। इन स्थितियों के बावजूद हिमाचल प्रदेश में इन चुनावों में विकास ही मुख्य चुनावी मुद्दा है, जो भाजपा के लिये श्रेयस्कर एवं शुभ है। एक और मुद्दा इन चुनावों में मुख्य है वह है पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग का। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में हिमाचल में हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिया था। माना गया था कि सरकार के इस फैसले से सिरमौर जिले की 1.60 लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी क्योंकि चार विधानसभा क्षेत्रों- रेणुका, शिलाई, पच्छाद और पांवटा के बड़े भू-भाग पर रहने वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा। वैसे हिमाचल में अभी तक की राजनीतिक स्थिति यही दर्शा रही है कि यहां भाजपा, कांग्रेस एवं आप के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष है। कांग्रेस जिन आंतरिक संकटों से जूझ रही है यदि उसके बीच हिमाचल में वह कुछ कर पाई तो यकीनन उसके लिए उत्साह की बात होगी लेकिन यदि भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही तो उसका विजय रथ और आगे बढ़ जायेगा। आप के खाते में जो भी आये, वह उसकी राजनीतिक ताकत को बढ़ायेगा।