
- दिल्ली विधानसभा में गूँजेगें नए भारत के साथ राजस्थान विधानसभाध्यक्ष के नवाचारों के स्वर
- देश के पहले निर्वाचित केंद्रीय विधानसभाध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल की अध्यक्षता के 100 वर्ष पूरे होने पर हों रहा यह सम्मेलन
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
दिल्ली की विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा है जहाँ से भारत के क्रांतिकारियों और राष्ट्रीय नेताओं ने आज़ादी का आह्वान किया था । इसी विधानसभा में वर्षों बाद अब नए भारत और विकासशील भारत के स्वर गूँजेगें ।साथ ही राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के नवाचारों के स्वर भी गूँजेगें।
दिल्ली विधानसभा परिसर में देश के पहले निर्वाचित केंद्रीय विधानसभा अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल की अध्यक्षता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पहली बार 24 और 25 अगस्त को देश के विधानसभाध्यक्षयों का दो दिवसीय विशेष सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और समापन लोकसभाष्यक्ष ओम बिरला द्वारा किया जाएगा। विठ्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा के स्पीकर बनने के 24 अगस्त को 100 साल पूरे हों रहे हैं । दिल्ली विधानसभा में इस मौके पर शताब्दी समारोह आयोजित हो रहा है और अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन आयाोजित हो रहा है। इस अवसर पर विट्ठलभाई पटेल के जीवन, संसदीय योगदान और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर आधारित भव्य प्रदर्शनी, विशेष डॉक्यूमेंट्री और स्मारक डॉक टिकट का केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह लोकार्पण करेंगे।
इस प्रदर्शनी में दुर्लभ अभिलेख, फ़ोटोग्राफ़, शब्दशः रिकार्ड और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित होंगीं , जो भारत के संसदीय संस्थानों के निर्माण में उनके योगदान को उजागर करेंगी। प्रदर्शनी के एक भाग में अमर शहीद भगत सिंह से जुड़ी प्रदर्शनी होंगी, जिसमें 8 अप्रैल 1929 को उनके और बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधान सभा में गैर-घातक बम फेंकने के साहसिक कार्य का वर्णन होगा।इस भाग में भगत सिंह का मूल मृत्यु प्रमाण पत्र और मृत्यु वारंट भी प्रदर्शित होंगे , जिसमें यह दर्ज था कि उन्हें फांसी पर एक घंटे के लिए लटका कर रखा गया था। यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ और अन्य दुर्लभ अभिलेख प्रदर्शनी में जनता के लिए प्रदर्शित होंगे। लोग अपना आधार कार्ड दिखाकर प्रवेश पा सकेंगे। इस प्रदर्शनी वाइस-ओवर पद्म भूषण और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अनुपम खेर द्वारा किया गया है। I उल्लेखनीय है कि विठ्ठलभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन महान नेताओं में से एक थे जिन्होंने राजनीति और संसदीय लोकतंत्र को नई दिशा दी। वे सरदार वल्लभभाई पटेल के बड़े भाई थे और भारत की संसदीय व्यवस्था के पहले निर्वाचित अध्यक्ष (स्पीकर) के रूप में इतिहास में दर्ज हैं।
दिल्ली और उसकी विधानसभा (या कहें यहाँ की जनप्रतिनिधिक संस्थाएँ) का आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दिल्ली की विधानसभा हालाँकि 1952 में बनी थी, लेकिन स्वतंत्रता से पहले “केंद्रीय विधान परिषद” और बाद में “केंद्रीय विधानसभा” ही ब्रिटिश भारत की संसद मानी जाती थी। यहीं पर भारतीय नेताओं ने अंग्रेज़ी सरकार को सीधी चुनौती दी।विठ्ठलभाई पटेल (1925–1930)पहले निर्वाचित अध्यक्ष (स्पीकर) बने। उन्होंने और अन्य प्रमुख भारतीय नेताओं ने सदन में भारतीय जनता की आवाज़ बुलंद की और ब्रिटिश अधिकारियों को जवाबदेह बनाया।यहीं पर भारतीय नेताओं ने अंग्रेज़ी सरकार को सीधी चुनौती दी।इसी केंद्रीय विधानसभा हॉल (आज का संसद भवन) में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त (8 अप्रैल 1929) ने बम फेंक कर “अंग्रेज़ों की दमनकारी नीतियों” का विरोध किया।उनका नारा था – “इंकलाब ज़िंदाबाद” और “साम्राज्यवाद का नाश हो”।यह घटना स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी मोड़ बन गई। विधानसभा परिसर का इतिहास:
दिल्ली विधानसभा भवन का निर्माण 1912 में हुआ था और यहां से लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेताओं ने औपनिवेशिक नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. रॉलेट एक्ट का विरोध भी यहीं से शुरू हुआ था, जिसने असहयोग आंदोलन को जन्म दिया था.
दिल्ली विधान सभा परिसर में पहली बार आयोजित होजा रहे ऑल इंडिया स्पीकर्स कांफ्रेंस को दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सांस्कृतिक गरिमा और संसदीय विरासत का संगम बताया है। उन्होंने बताया है कि 24 और 25 अगस्त को दिल्ली विधानसभा के ऐतिहासिक भवन में ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कांफ्रेंस’ का आयोजन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी आदि ने अपने शुभकामनाएं संदेश भेजें है।विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस में एकमात्र पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हिस्सा लेने नहीं आ रहे. बाकी केरल, तमिलनाडु, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत सभी राज्यों के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर तथा सचिव हिस्सा लेंगे।सभी अतिथियों को स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया गया है। इन राज्य अतिथियों के स्वागत और प्रोटोकॉल के लिए दिल्ली सरकार ने 125 अधिकारियों की नियुक्ति की है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “विरासत से विकास” के विज़न को ध्यान में रखते हुए दिल्ली विधानसभा ने इस सम्मेलन में न केवल अपने गौरवशाली अतीत को प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है, बल्कि पेपरलेस प्रणाली, सौर ऊर्जा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे भविष्यमुखी विषयों को भी शामिल किया है । दो दिवसीय कांफ्रेंस में लगाई जाने वाली प्रदर्शनी में विट्ठलभाई पटेल के अभिलेखीय दस्तावेज, फोटोग्राफ और सदन की ऐतिहासिक कार्यवाही के रिकॉर्ड प्रदर्शित होंगे. इनमें वह दिन भी दर्ज है जब शहीद भगत सिंह ने विधानसभा में बम फेंका था. डॉक्यूमेंट्री में महात्मा गांधी के सदन में तीन ऐतिहासिक आगमन, साइमन कमीशन के विरुद्ध विरोध और पटेल के अध्यक्ष पद संभालने के क्षण भी दिखाए जाएंगे।
विशेष रात्रिभोज और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन:
अतिथियों के लिए विशेष रात्रिभोज और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 23 अगस्त को मुख्यमंत्री द्वारा स्वागत रात्रिभोज, दिया गया। 24 अगस्त को संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा रात्रिभोज और 25 अगस्त को राज निवास में उपराज्यपाल द्वारा रात्रिभोज शामिल हैं।प्रत्येक अवसर पर भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हुए विशेष रूप से तैयार किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
दो दिवसीय इस कांफ्रेंस में चार प्रमुख सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं, पहला विट्ठलभाई पटेल की संविधान और संसदीय संस्थाओं के निर्माण में भूमिका, दूसरा स्वतंत्रता-पूर्व केंद्रीय विधानसभा के नेताओं का स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में योगदान, तीसरा शासन में पारदर्शिता और जनविश्वास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका, तथा अंतिम सत्र भारत लोकतंत्र की जननी. ये सत्र भारत की संसदीय परंपराओं, लोकतांत्रिक मूल्यों और आधुनिक शासन में तकनीक की प्रासंगिकता पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान करेंगे।
थीमैटिक सत्र चार प्रमुख सत्रों में पहला सत्र विठ्ठलभाई पटेल – संविधान और संसदीय संस्थाओं के निर्माण में योगदान विद्या पर हीगत। इस सत्र का उद्घाटन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार करेंगी। दूसरा सत्र पूर्व-स्वतंत्रता केंद्रीय विधान सभा के नेताओं की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में भूमिका विषय पर रहेगा जिसे केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत संबोधित करेंगे। तीसरा सत्र एआई और पारदर्शिता: शासन में जवाबदेही और विश्वास सुनिश्चित करना विषय पर होगा जिसे केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य में द्वारा संबोधित किया जाएगा ।चौथा सत्र भारत – लोकतंत्र की जननी विषय पर होगा जिसे राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह संबोधित करेंगे।
उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्षों के इस सम्मेलन में भारत के संसदीय इतिहास के साथ ही राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों द्वारा लागू किए गए नवाचारों और विधायी कार्यों में आए दिन उत्पन्न होने वाली बाधाओं के निराकरण पर गंभीर चर्चा होगी।अनिल अंबानी ने बैंकों को लगाया हजारों करोड़ का चूना