ओमान के साथ व्यापार समझौता भारत के लिए कितना फायदेमंद?

How beneficial is the trade agreement with Oman for India?

अशोक भाटिया

प‍िछले द‍िनों ब्र‍िटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर साइन करने के बाद भारत ने अब ओमान के साथ ऐसी ही डील पर साइन क‍िये हैं. अमेर‍िका की तरफ से भारतीय एक्‍सपोर्ट पर 50 प्रत‍िशत टैर‍िफ लगाए जाने के बाद भारत सरकार की तरफ से इस तरह के एग्रीमेंट करने में तेजी लाई गई है. भारत और ओमान के बीच यह ऐत‍िहास‍िक समझौता गुरुवार यानी 18 दिसंबर 2025 को हुआ. प्रधानमंत्री मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की मौजूदगी में दोनों देशों के कॉमर्स मिनिस्टर ने कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) पर साइन क‍िये. भारत का पिछले छह महीने के दौरान यह दूसरा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) है.

भारत-ओमान के बीच जिन वस्तुओं का कारोबार होगा उनमे प्रमुख जो है उसके अनुसार ओमान ने अपनी कुल शुल्क दरों की 98.08% श्रेणियों पर शून्य-शुल्क पहुंच की पेशकश की है. इसमें ओमान को होने वाले भारत के 99.38% निर्यात को हिस्सा शामिल है.पहली बार भारत की पारंपरिक औषधियों को शामिल किया गया है. इससे खाड़ी देशों में आयुष उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बढ़ेगी.रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, जूते, खेल सामग्री, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधि, चिकित्सीय उपकरण और मोटर वाहन सहित सभी प्रमुख श्रम-प्रधान क्षेत्रों को पूर्ण शुल्क समाप्ति का लाभ मिलेगा.97.96% शुल्क श्रेणियों पर तत्काल शुल्क समाप्ति की पेशकश की जा रही है.भारत अपनी कुल शुल्क श्रेणियों (12,556) में से 77.79% पर शुल्क उदारीकरण की पेशकश कर रहा है, जिसमें मूल्य के आधार पर ओमान से होने वाले भारत के 94.81% आयात शामिल है.

ओमान के लिए जिन उत्पादों में निर्यात रुचि है और जो भारत के लिए संवेदनशील हैं, वहां अधिकांश मामलों में शुल्क-दर कोटा (टीआरक्यू) आधारित शुल्क उदारीकरण की पेशकश की गई है.संवेदनशील उत्पादों जैसे कृषि उत्पादों (दुग्ध, चाय, कॉफी, रबर एवं तंबाकू उत्पाद सहित), सोना व चांदी उत्पादों, आभूषण, जूते, खेल सामग्री तथा कई आधारभूत धातुओं के कबाड़ पर पर कोई शुल्क रियायत नहीं.यूएसएफडीए, ईएमए और यूकेएमएचआरए सहित अन्य द्वारा स्वीकृत औषधि उत्पादों के लिए विपणन अनुमतियों की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा.ओमान का वैश्विक सेवा आयात 12.52 अरब अमेरिकी डॉलर है, जबकि भारत की हिस्सेदारी मात्र 5.31% है.आंकड़े भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए अपार अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाते हैं.ओमान ने कंप्यूटर संबंधी सेवाओं, व्यापार एवं पेशेवर सेवाओं, ऑडियो-विजुअल सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं.

ओमान ने पहली बार कुशल पेशेवरों की आवाजाही (मोड-4) के तहत व्यापक प्रतिबद्धताएं पेश की हैं, जिनमें कंपनी के भीतर स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों की सीमा को 20% से बढ़ाकर 50% कर दिया है. संविदा आधार पर सेवा प्रदान करने वालों के लिए ठहरने की स्वीकृत अवधि में भी वृद्धि की गई है. इसे मौजूदा 90 दिन से बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया है. इसे दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है.लेखांकन, कराधान, वास्तुकला और चिकित्सा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के लिए अधिक उदार प्रवेश और ठहरने की शर्तें.सीईपीए के तहत ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों द्वारा 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रावधान है.दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि ओमान की अंशदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लागू होने के बाद सामाजिक सुरक्षा समन्वय पर भविष्य में चर्चा की जाएगी.यह 2006 में अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद ओमान द्वारा किसी अन्य देश के साथ हस्ताक्षरित पहला द्विपक्षीय समझौता है.द्विपक्षीय व्यापार 2024-25 में 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है.ओमान खाड़ी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और पश्चिम एशिया पूर्व तथा अफ्रीका के व्यापक क्षेत्रों में भारतीय वस्तुओं व सेवाओं के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार है.ओमान में करीब सात लाख भारतीय नागरिक निवास करते हैं, जिनमें ऐसे भारतीय व्यापारी परिवार भी शामिल हैं जो 200-300 वर्ष से वहां रह रहे हैं.ओमान में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 6,000 से अधिक भारतीय प्रतिष्ठान हैं.भारत को ओमान से प्रतिवर्ष लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त होती है.

इससे पहले भारत ने ब्र‍िटेन के साथ एफटीए (FTA) पर हस्‍ताक्षर क‍िये थे. अमेर‍िका की तरफ से टैर‍िफ लागू क‍िये जाने के बाद भारत की तरफ से उठाए जा रहे इस तरह के कदम काफी अहम हैं. ओमान के लिए यह 2006 के बाद किसी देश के साथ पहला ऐसा करार है. इस डील के बाद दोनों देशों के बीच ट्रेड, इनवेस्‍टमेंट और सर्विसेज को लेकर आने वाले समय में नई संभावनाएं बनेंगी. इस डील के साथ ही भारत की खाड़ी देशों में पहुंच मजबूत होगी और लाखों नौकरियों के मौके बनने की उम्मीद है.

एग्रीमेंट की बड़ी खासियत यह है क‍ि ओमान ने भारत के निर्यात पर बड़ी छूट दी है. ओमान अपनी 98.08 प्रतिशत टैरिफ लाइन्‍स पर जीरो ड्यूटी देगा, जो क‍ि भारत के एक्‍सपोर्ट का 99.38 प्रतिशत वैल्यू कवर करता है. इसमें से 97.96 प्रतिशत पर तुरंत ड्यूटी खत्म हो जाएगी. आसान भाषा में समझें तो भारतीय सामान ओमान में पहले से काफी सस्‍ते हो जाएंगे. इससे भारतीय न‍िर्यात को बढ़ावा म‍िलेगा. इससे टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, जेम्स एंड ज्वेलरी, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, प्लास्टिक, फर्नीचर, एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट, दवाइयां, मेडिकल डिवाइस और ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा फायदा होने वाला है.

जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, प्लास्टिक, फर्नीचर, एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भारत और ओमान के बीच हुई डील से बड़ा फायदा होने वाला है. दरअसल, ये सभी लेबर-इंटेंसिव सेक्टर हैं… जहां लाखों कारीगर, महिलाएं और छोटी इंडस्‍ट्री (MSMEs) काम करती हैं. सरकार को उम्मीद है क‍ि इस डील के बाद इन सेक्‍टर में ड‍िमांड बढ़ेगी और रोजगार के मौकों में भी इजाफा होगा. अमेर‍िका की तरफ से टैर‍िफ लगाए जाने के बाद यह भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा मौका है.

ओमान की तरफ से हाथ बढ़ाए जाने के बाद भारत ने भी अच्छी खासी छूट दी है. भारत अपनी 77.79 प्रतिशत टैरिफ लाइन्स पर ड्यूटी कम कर रहा है. यह ओमान से आयात क‍िये जाने वाले सामान की 94.81 फीसदी वैल्यू कवर करता है. लेकिन संवेदनशील प्रोडक्ट्स के लिए भारत ने टैरिफ-रेट कोटा (TRQ) का तरीका अपनाया है, यानी ल‍िमि‍टेड क्‍वांट‍िटी में ही कम ड्यूटी. कुछ अहम सेक्टर को इससे बाहर रखा गया है. इसका मकसद भारतीय किसान और इंडस्‍ट्री को सुरक्षित रखना है. इनमें डेयरी प्रोडक्ट्स, चाय, कॉफी, रबर, टोबैको, गोल्ड-सिल्वर बुलियन, ज्वेलरी, फुटवियर, स्पोर्ट्स गुड्स और कई मेटल्स का स्क्रैप शामिल हैं.

इस करार के तहत सर्विसेज सबसे अहम ह‍िस्‍सा है. ओमान की तरफ से हर साल करीब 12.52 बिलियन डॉलर की सर्विसेज का आयात क‍िया जाता है, लेकिन भारत का हिस्सा इसमें 5 प्रतिशत के करीब है. इस सेक्‍टर से भारत को काफी उम्‍मीद है. ओमान ने पहली बार 127 सब-सेक्टर्स जैसे कंप्यूटर सर्विसेज, बिजनेस और प्रोफेशनल सर्विसेज, ऑडियो-विजुअल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, एजुकेशन और हेल्थ सर्विसेज का एक्‍सेस भारत को द‍िया है. इससे भारतीय कंपनियों को मौका म‍िलेगा और स्किल्ड जॉब्स में भी इजाफा होगा. आईटी, एजुकेशन और हेल्थ केयर जैसे सेक्‍टर में भारतीय प्रोफेशनल्स को फायदा होगा.

भारत और ओमान के बीच हुई डील का फायदा भारतीय प्रोफेशनल्स को सबसे ज्‍यादा म‍िलेगा. यह पहला मौका है जब ओमान ने Mode 4 (टेम्पररी एंट्री) में राहत देने की बात कही है. इंट्रा-कॉर्पोरेट ट्रांसफरी (कंपनी के अंदर ट्रांसफर) का कोटा 20 से बढ़ाकर 50 फीसदी कर द‍िया गया है. कॉन्ट्रैक्टुअल सर्विस सप्लायर्स के लिए स्टे 90 दिन से बढ़ाकर दो साल कर द‍िया गया. अकाउंटेंसी, टैक्सेशन, आर्किटेक्चर, मेडिकल और एलाइड सर्विसेज जैसी फील्ड में एंट्री आसान हो गई. ओमान में रहने वाले 7 लाख से ज्यादा भारतीयों के लि‍ए और नए प्रोफेशनल्स के लिये यह अच्‍छी खबर है. भारतीय कंपन‍ियां अब ओमान के प्रमुख सर्विस सेक्टर्स में 100% FDI कर सकेंगी. इससे भारतीय फर्मों के ल‍िए वहां पर कारोबार के मौके बढ़ेंगे. पहले से ही ओमान में 6000 से ज्यादा इंडिया-ओमान जॉइंट वेंचर्स हैं, इनकी संख्‍या में आने वाले समय में और इजाफा होगा. आने वाले समय में सोशल सिक्योरिटी एग्रीमेंट भी होगा, जो भारतीय कामगरों की स‍िक्‍योर‍िटी को बढ़ाएगा.

भारत द्वारा अब तक साइन किए गए FTA में प्रमुख है श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, UAE, मॉरीशस, 10 देशों के समूह ASEAN (एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस) और चार यूरोपीय देशों के समूह EFTA (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड) के साथ यह ट्रेड डील साइन की हैं।इसके अलावा, भारत अपने कई ट्रेडिंग पार्टनर्स, जिनमें US, न्यूजीलैंड, यूरोपीय संघ (EU), चिली, पेरू और इज़राइल शामिल हैं, के साथ ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहा है।

भारत, ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2025 में भारत का निर्यात USD 4.1 बिलियन रहा, जिसमें नेफ्था, पेट्रोल, कैल्सीन्ड एल्यूमिना, मशीनरी, विमान, चावल, इस्पात के सामान, सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद और सिरेमिक उत्पाद शामिल थे। जबकि आयात USD 6.6 बिलियन का था, जिसमें मुख्य रूप से कच्चा तेल, लिक्विफाइड नेचुरल गैस और उर्वरक शामिल थे।

बताया जाता है कि अपने हितों की रक्षा के लिए, भारत ने बिना किसी छूट की पेशकश किए संवेदनशील उत्पादों को बहिष्करण या नकारात्मक श्रेणी में रखा है। इसमें 2,789 टैरिफ लाइनें शामिल हैं। इस लिस्ट में डेयरी, चाय, कॉफी, रबर और तंबाकू उत्पादों जैसे कृषि उत्पाद भी शामिल हैं; सोने और चांदी के बिस्किट, गहने, चॉकलेट और अन्य श्रम-प्रधान उत्पाद जैसे जूते-चप्पल, खेल का सामान और कई बेस मेटल का स्क्रैप शामिल है।