प्रदीप शर्मा
प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत काम करने वाले कश्मीरी पंडित घाटी में कितने सुरक्षित हैं, इस बात पर अब सवाल उठने लगे हैं. दरअसल जब से जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित राहुल भट पर आतंकियों ने उनके ऑफिस में हमला किया तब से इस सवाल का जवाब ढूंढा जा रहा है। राहुल भट तहसीलदार कार्यालय में काम करते थे और प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत काम कर रहे थे. घाटी में इस योजना के तहत प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 6 हजार पद निकाले गए जिसमें से 5928 पद भर गए हैं. लेकिन सबसे जरूरी चीज ये है कि इनमें से सिर्फ 1037 कश्मीरी पंडित सुरक्षित आवास में रहते हैं. बाकी बचे हुए लोग सुरक्षित क्षेत्र से बाहर किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर हैं।
राहुल भट कश्मीर के बडगाम में एक सुरक्षित आवास में रहते थे. राहुल जिस कॉलोनी में रहते थे वो कॉलोनी कश्मीरी पंडितों की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कॉलोनी है. वो राजस्व विभाग में काम करते थे और उनका ऑफिस घर से कुछ ही मिनटों की दूरी पर था फिर भी उनको आतंकियों ने अपना निशाना आसानी से बना लिया. आतंकियों ने राहुल के ऑफिस में ही गोली मारकर हत्या कर दी. राहुल भट की हत्या के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों ने विरोध प्रदर्शन किए और एक बार फिर अपनी सुरक्षा की मांग उठाई।
साल 2008 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कश्मीरी पंडितों के लिए 3000 पदों की रिक्तियां निकालीं थी. ये वही पद थे जिन पर राहुल भट कार्यरत थे. इन पदों की रिक्तियां निकालने का मकसद ये था कि घाटी में फिर से कश्मीरी पंडित प्रवासियों को बसाया जा सके. इन लोगों को गृह मंत्रालय वेतन देता है. शुरूआत में मनोहन सरकार ने 3000 पद निकाले फिर उसके बाद 3000 पद और जोड़ दिए गए तो कुल मिलाकर 6000 पद हो गए जिनमें से लगभग सभी पद भर गए. ये सभी काम यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक कश्मीरी पंडितों के लिए कोई भी योजना शुरू नहीं की है। लेकिन इस योजना का बीज 2002-2004 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बोया गया था. दरअसल मनमोहन सरकार ने 2008 का ये जॉब पैकेज कश्मीरी पंडितों की पुनर्वास के लिए 2002-04 में तैयार की गई एक पूर्व योजना के तहत जारी किया था।
इस योजना के मुताबिक घाटी में वापस आने की इच्छा रखने वाले हर प्रवासी कश्मीरी पंडित परिवार को अपने घरों को दोबारा बनाने के लिए 7.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था. इसके साथ ही जो कश्मीरी पंडित खेती करने के इच्छुक हैं उनको खेती करने के लिए जमीन मुहैया कराई जाएगी. हालांकि उस समय ये योजना सफल नहीं हो पाई और सिर्फ तीन परिवार ही शेखपोरा में आकर बसे. इसके बाद प्रधानमंत्री रोजगार योजना की घोषणा की गई जिनमें ये भर्तियां निकाली गई और 6000 भर्तियों में से मात्र 72 पद ही खाली हैं. इस योजना की देखभाल प्रवासी कश्मीरी पंडितों के मामलों वाली नोडल एजेंसी करती है।
राहुल भट की हत्या का विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों ने उनको कम वेतन मिलने का मुद्दा भी उठाया है. इन लोगों का कहना है कि रिस्क में जीवन जीने के बाद भी इन लोगों को दूसरे सरकारी कर्मचारियों की अपेक्षा कम वेतन दिया जा रहा है. इसके साथ इन लोगों ने सुरक्षित स्थान पर अपने घर के लिए मांग की।