डॉ रघुवीर चारण
मनुष्य प्रजाति की उत्पति में माँ का योगदान अहम है धरती पर मौजूद प्रत्येक इंसान का अस्तित्व माँ के कारण ही है माँ हमें जन्म देकर अपने स्नेह दुलार और संस्कारों से मानवता का गुण सिखाती है आज सम्पूर्ण विश्व अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस मना रहा है माँ के त्याग और समर्पण को एक दिवस में आंकना संभव नहीं है।
प्रति वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जाता है इस दिन माताओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है मदर्स डे को उत्सव के रूप में मनाने को लेकर आज भी कई भ्रांतियां है पश्चिमी देशों में विश्व युद्ध के दौरान सामाजिक अलगाव को प्रेम और सोहार्द में बदलने तथा अनाथ बच्चों को ममत्व का भाव देने के लिए मनाया जाने लगा। हमारी भारतीय परम्परा में इसका कहीं भी वर्णन नहीं है क्योंकि हमारी संस्कृति में माँ शब्द सदैव पूजनीय रहा और पौराणिक शास्त्रों में “मातृ देवो भवः” की संज्ञा दी गई।
माँ ममता का सागर होती है माँ, यह शब्द नारी को पूर्ण करता है। बच्चे के बड़े होने तक अलग-अलग रूपों में खुद मां का पुनर्जन्म होता है। यानी शिशु के जन्म के साथ ही स्त्री की कई खूबसूरत रूपों में लगातार अभिव्यक्त होती है वैसे माँ शब्द को किसी भी व्याख्या की आवश्यकता नहीं है माँ शब्द की पवित्रता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है की कई धर्मों में देवियों को माँ के संबोधन से पुकारते हैं।
माँ और उसके पुत्र का रिश्ता दुनिया का सबसे बड़ा पावन रिश्ता होता है जिसमें कोई कपट नहीं होता शिशु के जन्म से लेकर उसके सफल व्यक्तित्व निर्माण में माँ की भूमिका अकल्पनीय होती है हमारे जीवन की प्रथम शिक्षिका माँ ही है माँ के द्वारा रोपित संस्कार के बीज हमें जीवन में गुणवान, आत्मविश्वास से भरपूर एवं हर परिस्थिति से लड़ने में सक्षम बनाते हैं माँ की गोद में प्रत्येक बालक खुद को सहज और प्रफुल्लित महसूस करता है।
हमारी भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का योगदान सर्वोपरि रहा है इतिहास के पन्नों में देखे तो जीजाबाई जैसी महान माँ नहीं होती तो शिवाजी जैसा वीर शक्तिशाली योध्दा देश को नहीं मिलता जीजाबाई एक बहादुर माँ थी जिन्होंने अपने बेटे को सैनिक की तरह बड़ा कर राष्ट्रहित के लिए उसके अंदर देशभक्ति और वीरता की भावना जगाई माता गुजरी ने भी अपने पति गुरु तेगबहादुर जी को धर्मरक्षा के लिए लड़ने हेतु प्रेरित किया और गुरु गोविंद सिंह जी जैसे वीर पुत्रों को पैदा किया देश के सभी वीर सपूतों की जिंदगी में उनकी माताओं का अहम योगदान रहा।
माँ के समान कोई छाया नहीं है, माँ के जैसा कोई सहारा नहीं है, माँ के जैसा कोई रक्षक नहीं है और माँ से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है महर्षि वेदव्यास की उपरोक्त पंक्तियां हमारे वास्तविक जीवन में बिल्कुल सटीक बैठती है आखिर माँ के बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं आज हम जो कुछ भी हैं जितने भी सफ़ल हैं जीवन की जिस ऊँचाइयों को छुआ उन सबका आधार स्तंभ हमारी माताएँ है ईश्वर ने नारी को कई रूपों में अवतरित किया जिसमें माँ वाला रूप सबसे सुंदर है आज में इस मातृ दिवस पर सभी माताओं के प्रति प्रेम और आदर पूर्वक सत्कार के लिए कृतज्ञता प्रकट करता हूँ ।