मुझे भारतीय टीम के एशियन चैंपियंस ट्रॉफी व एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने का पूरा विश्वास : दिलीप टिर्की

  • हमारी टीम एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में पूरी शिद्दत से खेलेगी
  • अगर नहीं क्वॉलिफाई किया तो कहीं भी खेलेंगे ओलंपिक क्वॉलिफायर

सत्येन्द्र पाल सिंह

चेन्नै : हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पूर्व ओलंपियन दिलीप टिर्की की यहां चेन्नै से बहुत सुखद यादें जुड़ी हैं। दिलीप टिर्की यहां 1995 में सैफ खेलों मे पाकिस्तान को फाइनल में हरा कर और फिर 2007 में दक्षिण कोरिया को फाइनल में हरा एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट टीमों का हिस्सा रहे। दिलीप यहां 1996 में भारत के यहां पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में चौथे स्थान पर रहने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे। दिलीप टिर्की ने विश्वास जताया कि भारतीय यहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी तो जीतेगी ही अगले महीने हांगजू(चीन) में स्वर्ण पदक जीत कर सीधे अगले साल होने वाले एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीत कर 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए सीधे क्वॉलिफाई करने में भी कामयाब रहेगी।

दिलीप टिर्की ने एशियन चैंपियंस ट्रॉफी के शुरू होने की पूर्व संध्या पर कहा, ‘मेरे लिए खास तौर पर अपने हॉकी करियर के दौरान यहां से खुशनुमा यादें जुड़ी हैं। मैं यहां 1995 में हॉकी में पहली बार सैफ खेलों के हॉकी टूर्नामेंट में खेला और तब हमारी भारतीय हॉकी टीम ने खिताब जीता। फिर 2007 में दक्षिण कोरिया को यहां एशिया कप के फाइनल में हराकर हमने खिताब जीता। हमारे लिए यहां शुरू हो रही एशियन चैंपियंस ट्रॉफी बेहद अहम है। हमारे लिए एशियन चैंपियंस ट्रॉफी अगले महीने हांगजू (चीन) में शुरू हो रहे एशियाई खेलों की तैयारी के लिए बहुत बढिय़ा अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारी भारतीय टीम 16 बरस के बाद एशियन चैंपियंस ट्रॉफी को जरूर जीतेगी।जहां तक यह सवाल है कि क्या भारतीय टीम पूरी शिद्दत से खेलेगी तो मेरा जवाब है, बेशक। रही बात आगे एशियाई खेलों में चोट की आशंका से कुछ बच कर खेलने की तो मैं यही कहूंगा कि चोट तो कभी भी किसी भी खिलाड़ी को कभी भी लग सकती है। फिर भी एशियाई खेलों में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी के बाद एक महीना है। बदकिस्मती से यदि किसी खिलाड़ी को चोट लगी भी तो भी खिलाड़ी के पास उससे उबरने का मौका रहेगा।’

दिलीप टिर्की कहते हैं, ‘हमारी भारतीय हॉकी टीम का मकसद बेशक हांगजू में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत सीधे 2024 के ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारी भारतीय हॉकी टीम अगले महीने हांगजू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर सीधे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने में कामयाब रहेगी। मुझे इस बात की कोई आशंका ही नहीं है कि हमारी टीम हांगजू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतेगी। यदि बदकिस्मती से हम स्वर्ण पदक न जीत पाए और हमें ओलंपिक क्वॉलिफायर खेलने स्पेन या पाकिस्तान जाना पड़ा तो जाएंगे क्योंकि हमारे लिए ओलंपिक खेल बहुत अहम है। डै्रग फ्लिक पर गेंद की ‘खतरनाक’ रफ्तार से गोलरक्षक व डिफेंडर को बचाने के लिए इसमें नियम के बदलाव का प्रयोक कम से कम यहां चेैंपियंस ट्रॉफी में तो कतई नहीं करेंगे।’

वह कहते हैं, ‘चेन्नै में डेढ़ दशक से भी ज्यादा के बाद एशियन चैंपियंस ट्रॉफी के रूप में ओडिशा के बाहर पहला बड़ा टूर्नामेंट अच्छा है। ओडिशा में खासतौर पर बराबर हॉकी इसलिए आयोजित हुई क्योंकि ओडिशा सरकार ने देश में हॉकी के विकास के बराबर रुचि दिखाई। हमारी कोशिश देश में उन जगह भी हॉकी टूर्नामेंट आयोजित करने की है जो कभी हॉकी का गढ़ रहे हैं। तमिलनाडु सरकार के आभारी हैं उसने यहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी की।’

ठीक से परीक्षण के बाद ही लागू पेनल्टी कॉर्नर में बदलाव की सोचेंगे: तैयब
एफआईएच के अध्यक्ष तैयब इकराम ने कहा,’ हमने बीते कुछ बरसों में महसूस किया है कि पेनल्टी कॉर्नर लेने के मौजूदा नियम में जब ड्रैग फ्लिकर गेंद फ्लिक करता है तो गेंद इतनी तेज रफ्तार से गोलरक्षक और डिफेंडर की ओर जाती है कि काबू से बाहर हो जाती है। हम इस पर खिलाडिय़ों की सुरक्षा के साथ खासतौर पर गोलरक्षक द्वारा पहने उपकरणों की बाबत सोच रहे हैं। यह प्रयोग के दौर में ही है। पहले हम इसका ठीक से परीक्षण कर लें । हम इस यहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में तो लागू नहीं करेंगे। इसमें कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।