राकेश शर्मा
विपक्ष के इस खंडित गठबंधन में चारों और सिर्फ़ और सिर्फ़ कनफ़्यूज़न नज़र आता है। सनातन और हिंदुओं को गालियाँ , अपशब्द कहने की तो जैसे प्रतियोगिता जीतने की होड़ लगी है। सभी बेलगाम घोड़ों की तरह कुछ भी बकवास करे जा रहें हैं, इस विपक्षी गठबंधन के किसी भी नेता में हिम्मत नहीं है की इसे कोई रोक सके, इसके विरोध में कोई बयान भी दे सके। हर पार्टी में तुष्टिकरण के लिए सिर्फ़ एक मूक सन्नाटा है। क्या देश की अस्सी प्रतिशत आबादी को नाराज़ कर यह 2024 में विजय परचम फहराने का असंभव स्वप्निल विचार संजोये हुए हैं।
उत्तर , दक्षिण , पूरब , पश्चिम में गठबंधन के साथियों में हिंदुओं को नीचा दिखाने की होड़ लगी है।
आज तो हद ही हो गई जब समाजवादी पार्टी के महामंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह के दिया की “हिंदू धर्म धोखा है”। यह अज्ञानी प्राणी क्या बोलते हैं , क्या सोचते हैं यह किसी की भी समझ से बाहर है , लेकिन अखिलेश स्वयं एक हिंदू हैं और उनका अपना ही कोई उच्च पदाधिकारी उनके धर्म को धोखा कहे और वह चुपचाप मूक दर्शक बनकर इस बयान से मुँह मोड़ लें तो इसमें कहीं ना कहीं गहरी साज़िश नज़र आती है, रणनीति नज़र आती है। लगता है सत्ता प्राप्ति के लिए मुसलमानों को प्रसन्न करने के लिए अपने एक उच्च पदाधिकारी से हिंदुओं को अपशब्द कहलवाओ, जातियों में बाँटने के लिए एक दलित को आगे रख कर यह सब कुकृत्य करवाओ और अपनी बीबी डिम्पल यादव से बयान दिलवाकर की यह स्वामी प्रसाद मौर्य का व्यक्तिगत बयान है अपने को दूध से धुला प्रस्तुत करने का कुत्सित प्रयास है।
मैंने स्वामी प्रसाद मौर्य को अज्ञानी इसलिए कहा की उन्हें अभी तक यह भी नहीं पता कि हिंदू कोई धर्म ही नहीं है, धर्म सनातन है, हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है उसकी पूजा पद्यति कुछ भी हो सकती है, उसकी किसी भी धर्म के प्रति आस्था हो सकती है। तो क्या स्वामी प्रसाद मौर्य हर हिंदुस्तानी को धोखा कह रहें हैं।
अरे भाई पाकिस्तान में रहने वाला हर शख़्स पाकिस्तानी है, बांग्लादेश में रहने वाला बांग्लादेशी है, अमेरिका में रहने वाला अमेरिकन है, ब्रिटेन में रहने वाला ब्रिटिश है। दुनिया के हर देश में हर धर्म और जाति के लोग रहते हैं और उस देश के नाम से जाने जाते है और अपने धर्मानुसार पूजा पद्यति का पालन करते है।
हिंदू वह होता है जो वसुधेव कुटुंब में विश्वास रखता है, सर्वे भवंतु में श्रद्धा रखता है, सभी के यहाँ तक कि पेड़, पौधों, नदियों, चाँद, सूरज, पशु और पक्षियों के कल्याण की बात सोचता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में कहा जा सकता है:
जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम् ।
मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः ॥
धर्महीन मनुष्य को जिंदा होने के बावजुद मैं मृत समजता हूँ । धर्मयुक्त इन्सान मर कर भी दीर्घायु रहेता है उस में संदेह नहीं ।
यदि अखिलेश की कोई साज़िश नहीं है तो वह क्यूँ ऐसे व्यक्ति को ढो रहें है जो प्रतिदिन उनके वोटो पर कुठाराघात कर रहा है। विपक्षी गठबंधन की ऐसे बयानों पर मौन स्वीकृति ऐसी साज़िश को और गहरा कर देती है।
शफ़्फ़ीकुर रहमान जो समाजवादी पार्टी के सांसद हैं उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि राम मंदिर उदघाटन के समय वहाँ जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता बल्कि वह दुआ करेंगे की वहाँ बाबरी मस्जिद दुबारा बन जाये। अखिलेश और विपक्षी गठबंधन या तो सामने आकर अपना पक्ष साफ़ करें वरना इनके छुपे हुए चेहरे से हिजाब उतर ही गया है।