पहली बार गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलूंगा, हर चुनौती का सामना करने की कोशिश करूंगा : केएल राहुल

I will play a test match with pink ball for the first time, I will try to face every challenge: KL Rahul

  • मुझे मेरे बल्लेबाजी क्रम की बाबत बता दिया गया है, पर इसे किसी से साझा न करने को कहा गया है
  • गेंदबाज के हाथ से गेंद को छूटते पढ़ने पर बतौर बल्लेबाज हरकत में अच्छी पॉजिशन मे आने का मौका

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अपने कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल की गैरमौजूदगी में कार्यवाहक कप्तान तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की अनुकरणीय कप्तानी में भारत मेजबान ऑस्ट्रेलिया से पर्थ में पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर गावसकर ट्रॉफी का पहला क्रिकेट टेस्ट 295 रन सजीत से पूरी तरह आश्वस्त होकर एडिलेड में गुलाबी गेंद से सीरीज का दूसरा डे नाइट क्रिकेट टेस्ट खेलने उतरेगा। ऐसा लगता है कि केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल की सलामी जोड़ी के भी एडिलेड में दूसरे टेस्ट में भी भारत के ही पारी का आगाज करने और कप्तान रोहित शर्मा के चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने की पूरी संभावना है। भारतीय बल्लेबाजों ने एडिलेड में सुबह दो नेटस सत्र पर अभ्यास कर खुद इस डे नाइट के लिए अपनी लय पाने की कोशिश की।भारत की मौजूदा टेस्ट टीम के जिन आठ सदस्य ने अब डे नाइट टेस्ट मैच खेला है उनमें से तीन हैं -विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह और रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं।

यशस्वी जायसवाल के पहले टेस्ट की दूसरी पारी में पहले विकेट के लिए 200 रन से भागीदारी करने वाले केएल राहुल ने एडिलेड में शुक्रवार से गुलाबी गेंद से शुरू हो रहे डेनाइट दूसरे टेस्ट से पहले कहा, ‘मुझे मेरे बल्लेबाजी क्रम की बाबत बता दिया गया है, लेकिन मुझे इसे किसी से साझा न करने को कहा गया है। हमें बल्लेबाजी क्रम की बाबत अंतिम फैसला करने के लिए हमें अपने कप्तान रोहित शर्मा जब बृहस्पतिवार को आएंगे तब तक इंतजार करना पड़ेगा। गुलाबी गेंद लाल गेंद से कुछ ज्यादा ठोस होने के साथ कुछ ज्यादा सीम होती है और हमारी निगाहें इसी चुनौती पर टिकीं है। मेरे लिए यह रोमांचक रहेगा क्योंकि मैं पहली बार गुलाबी गेंद से डेनाइट टेस्ट मैच खेलूंगा। मैं एकदम साफ सोच के साथ एडिलेड में खेलने उतर कर देखूंगा कि आखिर क्या होता है। मैं राह में आने वाली हर चुनौती का सामना करने की कोशिश करूंगा। गुलाबी गेंद पर कुछ अतिरिक्त ‘लेकर’ होता है, जिससे यह न तो जल्दी घिसती है और न ही ज्यादा फटती है । इसी का गेंद के मिजाज पर खासा असर पड़ता है। गुलाबी गेंद के लाल गेंद से कहीं ज्यादा ठोस होने के कारण फील्डिंग करते हुए आप यह महसूस करते हैं तेजी से हाथ पर लगती है और ज्यादा तेजी से निकलती भी है। गुलाबी गेंद के सामने जब आप बल्लेबाजी करते हैं तो ऐसा ही महसूस करते हैं।

ऐसा लगता है कि लाल गेंद से कहीं ज्यादा तेजी से गुलाबी गेंद आपके बल्ले तक पहुंचती है। यह बस गेंद को किसी गेंदबाज के हाथ से छूटते देखने का अभ्यस्त होने की बात है। मुझे ऐसा लगता है यह गुलाबी गेंद को खेलने का बल्लेबाज का पहला कदम है। यदि आप गेंदबाज के हाथ से गेंद को छूटते हुए पढ़ लेते हैं और तब आप खुद को बतौर बल्लेबाज इस पर हरकत में अच्छी पॉजिशन मे आने का मौका देते हैं। तो बस सभी बल्लेबाज यह चर्चा कर रहे हैं और उससे ज्यादा गेंद खेलने की कोशिश करने की बात कर रहे हैं,जिससे की आप इसके अभ्यस्त हो सकें।’

एडिलेड के दूसरे टेस्ट के पिच क्यूरेटर डैमियन हयू कहते हैं, ‘हमने डे नाइट टेस्ट में बल्लेबाजी करने वाले बहुत से बल्लेबाजों से यह जाना कि यदि एक साथ दो नए बल्लेबाज डे नाइट टेस्ट मैच में क्रीज पर उतरे तो उनको गुलाबी गेंद के सामने बल्लेबाजी करने में खासी दिक्कत आती है। गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलने से आप यह जान सकते हैं इसका मिजाज कैसा रहेगा कि और यह कैसे मूव करेगी।ऐसे में आप यह जान सकते हैं कि आप गुलाबी गेंद के सामने बल्लेबाजी करना कितना आसान अथवा मुश्किल है। आप अब तक गुलाबी गेंद से खेले गए डेनाइट टेस्ट मैचों पर निगाह डालेंगे तो पाएंगे कि ये टेस्ट बहुत लंबे तो कतई नहीं चले। जहां तक गुलाबी गेंद से टेस्ट के लिए पिच को तैयार करने की बात है तो सब कुछ एक सा ही रहता है। हां इस पर घास कुछ बेशक उलझी सी है। इस पर घास का आवरण अच्छा है।इस पर गहरी नमी है लेकिन पिच ठोस है। जहां इस पिच पर तेज गेंदबाजों को कुछ फायदा मिलेगा और स्पिनरों को कुछ उछाल मिल सकती है और उनकी कुछ गेंदें उंची रह सकती हैं।

ऐसे में बल्लेबाजों के लिए इस पिच पर कुछ भागीदारियां बनाना और अपने कुछ शॉट खेलना अहम होगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनो ही टीमों के बाद इलीट और वर्ल्ड क्लास गेंदबाज हैं। दोनों टीमों डे नाइट टेस्ट खेलने वाले पर्याप्त खिलाड़ी हैं वे जानते हैं कि जब दो नए बल्लेबाज एक साथ क्रीज पर होंगे तो उनके लिए बल्लेबाजी थोड़ी मुश्किल हो सकती है। ऐसे में टीमों की कोशिश खुद को रणनीतिक रूप से पिच के मुताबिक ढालने की होगी। यदि गेंदबाजी कर रही टीम के पास नई गेंद लेने का मौका है तो फिर तो फिर बल्लेबाजी करना मुश्किल हो सकता है।‘