रविवार दिल्ली नेटवर्क
जयपुर : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री अविनाश गहलोत ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि नियमानुसार राज्य से बाहर की महिला के, राजस्थान के मूल निवासी पुरूष से विवाह करने के बाद राज्य में ही निवास करने की स्थिति में, महिला को राज्य का मूल निवासी मान लिया जाता है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गृह विभाग, राजस्थान सरकार के परिपत्र 28 अगस्त, 2012 के तहत राज्य से बाहर की महिला के राज्य के मूल निवासी पुरूष के साथ विवाह कर राज्य में ही रहने पर उसे 10 वर्ष के निवास की शर्त के बिना ही राज्य का मूल निवासी माना जाता है।
इससे पहले विधायक श्री मनोज कुमार के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने बताया कि कार्मिक विभाग राजस्थान सरकार के परिपत्र 21 अक्टूबर, 2002 के अनुसार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछडा वर्ग के ऐसे व्यक्ति जो अन्य राज्यों से माईग्रेट होकर राजस्थान राज्य में निवास कर रहे हैं, ऐसे व्यक्तियों को स्वंय के उपयोगार्थ तो जाति प्रमाण पत्र जारी नही किया जा सकता है, लेकिन ऐसे माईग्रेट व्यक्तियों की संतान को जिनका जन्म राजस्थान राज्य में ही हुआ है, यहीं शिक्षा ग्रहण की है, यहीं से मूल निवास प्रमाण पत्र प्राप्त किया है तथा राजस्थान सरकार द्वारा जारी इन वर्गों की सूची (जिसे अधिसूचित किया गया है) में सम्मिलित है, तो उन्हें नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। उन्होंने नियम की प्रति सदन के पटल पर रखी।