अगर रामदेव को आपत्ति नहीं है तो रहमान को आपत्ति क्यों है? योग गुरु का सवाल

If Ramdev has no objection then why does Rehman have any objection? yoga guru's question

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कावड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के साइनबोर्ड पर दुकान मालिक का नाम लिखने की अनिवार्यता पर जमकर राजनीति हो रही है। इसी पृष्ठभूमि में जब योग गुरु बाबा रामदेव से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बीजेपी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। अगर रामदेव को अपनी पहचान उजागर करने में कोई आपत्ति नहीं है तो रहमान को क्या आपत्ति हो सकती है? उन्होंने कहा कि हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद अब उज्जैन नगर निगम ने भी दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपने नाम का बोर्ड लगाने का आदेश दिया है। इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उज्जैन मेयर मुकेश टटवाल ने कहा कि अगर कोई नियमों का पालन करने को तैयार नहीं है तो उससे 5,000 रुपये का जुर्माना लिया जाएगा।

इस संबंध में बाबा रामदेव ने प्रतिक्रिया दी है। हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए। अपना नाम छुपाने की जरूरत नहीं। बस हमारे कार्य में पवित्रता होनी चाहिए। बाबा रामदेव ने कहा, अगर हमारा काम साफ-सुथरा है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हिंदू हैं या मुस्लिम। उज्जैन एक धार्मिक नगरी है और यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि उन्हें किस दुकानदार से सेवा मिल रही है। उन्होंने कहा कि अगर किसी ग्राहक के साथ धोखाधड़ी हुई है तो उसे संबंधित दुकानदार के बारे में पता होना चाहिए ताकि वह शिकायत दर्ज करा सके।

इस फैसले का विरोधियों ने कड़ा विरोध किया है। एआईएमआईएम प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक दल मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। सीपीआई-एम नेता बृंदा करात ने भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है। योगी सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है। पूरे समाज पर अत्याचार हो रहा है। वे समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। जर्मनी में नाज़ी भी ऐसे ही काम करते थे। बृंदा करात ने कहा है कि मैं इसकी निंदा करती हूं। हालांकि, पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार ने विपक्ष की आलोचना का जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि इस तरह की अधिसूचनाएं मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार के दौरान जारी की गई थीं।