ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में ज्यादा पदक जीतने हैं तो खेल के फंड के सही इस्तेमाल की जरूरत : परगट सिंह

If we want to win more medals in big tournaments like Olympics, then there is a need to use sports funds properly: Pargat Singh

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारत के पूर्व हॉकी कप्तान ओलंपियन परगट सिंह खिलाड़ी, पंजाब के खेल निदेशक और राजनीतिज्ञ की भूमिका कामयाब ढंग से निभा चुके हैं। परगट पहले नवजोत सिद्धू के साथ कांग्रेस में हैं। परगट की इस बात की सराहना करने चाहिए कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम में आज सबसे ज्यादा खिलाड़ी करीब सात आठ खिलाड़ी पंजाब के है और इन सभी को परगट सिंह ने पंजाब का खेल निदेशक रहते तलाशा और संवारा। परगट सिंह ने यहां शनिवार को एकामरा स्पोटर्स फेस्टिवल में स्टेट पॉवर , स्पोर्टिंग पॉवर सत्र में बोलते हुए कहा, ’एक अच्छे खिलाड़ी को तैयार करने में करीब एक से डेढ़ दशक का वक्त लगता है। आज आप भारत में चाहे किसी भी राज्य के खेल बजट की चर्चा करे या देश के खेल बजट की हम दोनों के ही कुल बजट का बमुश्किल 2 फीसदी ही खर्च होता है। देश के निजाम को चलाने चाहे वह राजनेता हों या नौकरशाह उनकी खेल उनकी सबसे आखिरी प्राथमिकता होते हैं। देश के राजनेता और नौकरशाह देश वह खिलाड़ियों के पदक के बारे में सवाल तो जरूर करता है, लेकिन जब इसके फंड की बात आती है तो चुप्पी साध जाता है। कोई देश कितना समृद्ध है इसकी सही तस्वीर उसके मैदान और अस्पताल बयां करते हैं। जिन देश के मैदान खिलाड़ियों से भरे रहते हैं उनके अस्पताल खाली रहते हैं। इसके उलट जिस देश के अस्पताल भरे होते वहां स्टेडियम खाली रहते हैं और अपने भारत की स्थिति कुछ इसी तरह की है। भारत में बराबर चीन के दुनिया की एक बड़ी खेल ताकत बनने की चर्चा होती है। आपको बता दें कि चीन में आज उसके औसत खिलाड़ियों की लंबाई दो से ढाई इंच बहुत बढ़ गई है।‘

उन्होंने कहा, ’भारत अब 2036 के ओलंपिक की मेजबानी की चर्चा है। मेरा मानना है कि हमें दुनिया के ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट में ज्यादा पदक जीतने हैं तो खेल के लिए मिलने वाले फंड के सही इस्तेमाल की जरूरत है। भारत को खेल में हॉकी सहित ज्यादा खेलों में ज्यादा पदक जीतने हैं तो खेल के लिए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से ज्यादा फंड देने और इसके ठीक इस्तेमाल की जरूरत है। मैं जब पंजाब का खेल निदेशक था पजाब के नशे से बचाने और खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को हॉकी खेलने के लिए शिवाजी स्टेडियम की पुरानी एस्ट्रो टर्फ के पांच टुकड़े कर एक पजामे के कच्चे बनाने की तरह दिए और इसका नतीजा एक दशक के बाद आज मनप्रीत, मनदीप और हरमनप्रीत सिंह जैसे खिलाड़ियों का खुद के खेल को निखार कर भारत को पिछले दो ओलंपिक में हॉकी में कांसे जिताए। अगर हम पुराने ढर्रे पर चले तो फिर हम चीन और अमेरिका जैसी दुनिया की बड़ी खेल ताकतों का मुकाबला नहीं कर सकते हैं।‘

एचआईएल का हमारे खिलाड़ियों को बहुत लाभ मिलेगा: दिलीप टिर्की
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पूर्व हॉकी ओलंपियन दिलीप टिर्की ने कहा, ’ मैं अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच परगट सिंह की कप्तानी में खेला और मेरे आदर्श भी हमेशा वही रहे। मुझमें और परगट भाई में एक समानता है कि हम दोनों हॉकी खिलाड़ी होने के साथ राजनीति में रहे। ओडिशा में पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भारतीय हॉकी को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया। मौजूदा ओडिशा सरकार भी भारतीय हॉकी टीम और हॉकी इंडिया के साथ बराबर खड़ी है और हॉकी के लिए बहुत काम कर रही है। बहुत कम लोगों का मालूम होगा कि देश किसी भी खेल सबसे पहली लीग हॉकी में प्रीमियर हॉकी लीग (पीएचएल) थी और इसके बाद ही देश में क्रिकेट में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) शुरू हुई। हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में हमारे खिलाड़ियों को अपनी अपनी फ्रेंचाइजी में दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ और उनके खिलाफ खेलने से अपना खेल सुधारने का मौका मिलेगा। भारत को मनदीप सिह, मनप्रीत सिंह, रूपिंदर पाल सिंह और हरमनप्रीत सिंह जैसे खिलाड़ी एचआईएल से मिले हैं। पिछले चार बरस में भारतीय हॉकी की तस्वीर बहुत बेहतर हुई है। हमने भारत की अंडर 17, अंडर 19, अंडर 21 और डेवलपमेंट हॉकी टीमें बनाई। साथ हमने खासतौर पर ड्रैग फ्लिकरों के लिए विशेषज्ञ तैयार करने पर जोर दिया है।