आधुनिक संचार क्रांति में कृत्रिम बुद्धिमता का प्रभाव

Impact of artificial intelligence on the modern communication revolution

अम्बिका कुशवाहा ‘अम्बी’

वर्तमान समय में AI के निर्माण और प्रसार के साथ ही हम टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक कदम और आगे बढ़ चुके है। एक समय था, जब लोग कंप्यूटर को केवल गणना करने वाली मशीन के रूप में देखते थे, और बहुत ही कम लोगों के पास टेलीफोन हुआ करते थे, और जो केवल बातचीत का साधन मात्र थे। इंटरनेट की खोज ने इस परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। यह एक ऐसी क्रांति थी, जिसने सूचना के आदान-प्रदान को न केवल तीव्र किया, बल्कि विश्व को डिजिटल बना दिया।

आज मोबाइल और इंटरनेट इंसान के जीवन की आवश्यकता बन गई है। यह इंसान के व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक और व्यवसायिक जीवन में पूरी तरह प्रवेश कर चुका है। इनके बिना अब इंसान खुद की कल्पना नहीं कर पा रहा है, दुर्भाग्य ये है कि अब रिश्ते भी इसके आगे फीके है।

इंटरनेट ने संचार के माध्यम खोले और जीवन को सरल बना दिया। अब दूर के रिश्तेदारों और दोस्तों से हम कभी भी और किसी समय भी मिनटों में संपर्क कर सकते है। इंटरनेट के माध्यम से देश- विदेश की खबरों की जानकारी प्राप्त कर सकते है। इंटरनेट ने न केवल संचार के नए द्वार खोले, बल्कि AI के विकास के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान किया। आज AI और इंटरनेट का संगम हमें ऐसी तकनीकों तक ले गया है, जो पहले कल्पना से परे थीं। गूगल असिस्टेंट, ग्राक चैट बॉक्स और अमेज़न के एलेक्सा जैसे उपकरण शिक्षा से लेकर व्यवसाय में योगदान दे रहे है। ये न केवल हमारी बातों को समझते हैं, बल्कि हमारे लिए कार्यों को स्वचालित रूप से पूरा भी करते हैं। लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि AI का निर्माण इंसानी मस्तिष्क ने ही किया है, और कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का अधिक प्रयोग इंसान की बुद्धिमता को ही कमजोर कर सकता है।

AI के तेजी से विकास ने इंसान के जीवन को अधिक सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इसपर ज्यादा निर्भरता इंसान की सोचने समझने की मानसिक शक्ति को कमजोर कर रही है। AI के उपयोग ने कई क्षेत्रों में मानव की कार्यक्षमता को बढ़ाया है, लेकिन यह हमारी स्वतंत्र सोच, रचनात्मकता, और भावनात्मक गहराई को प्रभावित कर रहा है। जैसे–

  1. AI-संचालित उपकरण जैसे स्मार्ट असिस्टेंट, ऑटोमेटेड सर्च, और नेविगेशन ऐप्स(GPS उपयोग) ने जटिल कार्यों को इतना सरल बना दिया है कि लोग अब अपने दिमाग का उपयोग कम करने लगे हैं। जो मानसिक सुस्ती को जन्म दे रहा है।
  2. AI टूल्स जैसे चैटGPT, ऑटोमेटेड लेखन सॉफ्टवेयर, और डिज़ाइन जनरेटर रचनात्मक कार्यों को तेजी से पूरा करते हैं। लेकिन, इन पर अत्यधिक निर्भरता लोगों की मौलिक सोच को सीमित कर रही है। जो मानव समाज के लिए एक बड़ा नुकसान है।
  3. AI और इंटरनेट के माध्यम से वर्चुअल कनेक्टिविटी बढ़ी है, लेकिन यह वास्तविक मानवीय रिश्तों को कमजोर कर रही है। जो इंसान में भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सहानुभूति जैसे गुण का लोप कर रही है, जो सामाजिक ताने-बाने के लिए हानिकारक है।
  4. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अधिक इस्तेमाल मानसिक थकान, एकाग्रता की कमी, और उत्पादकता में कमी का कारण बन रहा है।

AI और इंटरनेट ने मानव जीवन को अभूतपूर्व रूप से सुगम और समृद्ध बनाया है, लेकिन इनका अंधाधुंध उपयोग हमारी मानसिक क्षमता, रचनात्मकता, और सामाजिक संबंधों को कमजोर कर सकता है। जितनी तेजी से टेक्नोलॉजी बढ़ी, उतनी ही तेजी से हमारी व्यस्तता और जरूरतें बढ़ी। टेक्नीक युग में, हमने सुविधाएं तो हासिल कीं, लेकिन मानसिक शांति, रचनात्मक स्वतंत्रता, और मानवीय जुड़ाव को कहीं खो दिया। आशंका है कि भविष्य में कही इंसान में मानवीय गुण का अंत न हो जाए।