जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

ओम प्रकाश उनियाल

मौसम का बदलता मिजाज पहाड़ से मैदान तक गर्मी में सर्दी का अहसास करा रहा है। उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में जहां बर्फबारी व तेज हवाओं के साथ बारिश से तापमान में गिरावट आ गयी है वहीं मैदानी इलाकों में झमाझम बारिश से गर्मी की तपन कम हो गयी है। लेकिन राज्य में चल रही चारधाम यात्रा अनवरत रूप से जारी है। धामों के दर्शन हेतु जो पंजीकृत तीर्थयात्री हैं फिलहाल उन्हें ही अनुमति है। आगे के लिए अभी पंजीकरण रोका हुआ है। ऐसे मौसम में पहाड़ों में भूस्खलन, सड़कों का क्षतिग्रस्त होना जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। जिस प्रकार से मौसम ने अचानक करवट बदली है इसका मुख्य कारण जलवायु-परिवर्तन का प्रभाव ही माना जा सकता है। पृथ्वी प्रदत संसाधनों का जिस तरह से मानव दुरुपयोग कर रहा है उससे धीरे-धीरे उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बार-बार मानव विभिन्न भयंकर से भयंकर आपदाओं के दौर से गुजरता आ रहा है इसके बावजूद सबक नहीं ले रहा है। मनुष्य की इस गलती का नतीजा जल-थल और नभ में विचरण करने वाले एवं अन्य प्रकार के जीव-जन्तु भी प्रभावित हो रहे हैं। इसी कारण कई प्रकार के जीव-जन्तु, पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं। पृथ्वी पर जितनी आबादी का दबाव बढ़ता जा रहा है उतना ही उसका पर्यावरण-संतुलन व पारिस्थितिकीय-तंत्र बिगड़ता जा रहा है। ये कैसी विडम्बना है कि, एक तरफ धरा को बचाने की कोरी और खोखली बातें इंसान ही करता चला आ रहा है, दूसरी तरफ यही इंसान उसका स्वरुप बिगाड़ने पर तुला हुआ है। फिर दोषी ईश्वर को ठहराता है?