2017 में यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव रहे विजय सिन्हा और बेटे को पॉक्सो एक्ट में सजा

In 2017, UP Badminton Association secretary Vijay Sinha and his son were sentenced under the POCSO Act

अजय कुमार

लखनऊ : लखनऊ में पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने 2017 के एक मामले में तत्कालीन उप्र बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव डॉ विजय सिन्हा और उनके पुत्र निशांत सिन्हा को सजा सुनाई गई। नाबालिग खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक शोषण के दोषी विजय सिन्हा को पांच और निशांत को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई गई। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत में हुई। मामला बीबीडी बैडमिंटन अकादमी का है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोषी ने देश की भावी महिला खिलाड़ियों के साथ बार-बार लैंगिक अपराध किया। इसके पहले कोर्ट में जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी और वादी के विशेष वकील प्रांशु अग्रवाल ने बताया कि उप्र बैडमिंटन अकादमी की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने 12 फरवरी 2017 को बैठक करके प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव में कहा कि अकादमी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी जंग बहादुर सिंह को निर्देश दिया कि वह मामले की रिपोर्ट दर्ज कराएं। इस पर वादी जेएसएनजी बहादुर ने 21 फरवरी 2017 को गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उस समय डॉ विजय सिन्हा उप्र बैडमिंटन संघ के सचिव थे। उनके पुत्र निशांत सिन्हा अनाधिकृत रूप से कार्यकारी सचिव बने हुए थे।

तहरीर में कहा गया कि कई बालिका खिलाड़ियों ने संघ को इन दोनों पिता-पुत्र के खिलाफ शिकायत दी। बताया कि निशांत सिन्हा अपने और पिता विजय सिन्हा के पद का अनुचित फायदा उठा रहा है। महिला खिलाड़ियों का मानसिक-शारीरिक शोषण कर रहा है। उसका पिता विजय उसका सहयोग कर रहा है। खिलाड़ियों ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी अनापत्ति प्रमाणपत्र देने के लिए धन की भी मांग करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इन शिकायतों के आने पर बैडमिंटन संघ ने सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बैठाई। जिसने अपनी रिपोर्ट देकर बताया कि आरोपियों के खिलाफ की गई शिकायतें सही हैं और उनमें तथ्य सही हैं।