राजस्थान में उप चुनाव के मिनी ओलम्पिक में 23 नवम्बर के चुनाव नतीजों से ही पार्टियों और नेताओं का कद होगा तय

In the mini Olympics of by-elections in Rajasthan, the stature of parties and leaders will be decided only by the election results of 23 November

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सत्ताधारी दल भोपा और प्रतिपक्ष कांग्रेस तथा क्षेत्रीय दलों के मध्य घमासान जारी है। इन चुनावों के नतीजों से सरकार के अस्तित्व पर कोई असर नहीं पड़ने वाला क्योंकि जिन सात विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहा है उनमें मात्र एक सीट सलूंबर ही भाजपा के पास थी बाकी छह में से चार सीटें कांग्रेस और एक एक सीट कांग्रेस इंडिया गठबंधन की सहयोगी सांसद हनुमान बेनिवाल को पार्टी आर एल पी और एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी बाप के पास थी। इसलिए भाजपा के पास खोने को कुछ खास नहीं है लेकिन कांग्रेस और उसके नेताओं के लिए उप चुनाव के परिणाम विशेष कर सियासी मायने के लिहाज़ से काफी अहम रहेंगे। मंगलवार से दीपावली का छह दिवसीय त्यौहार होने से सभी पार्टी के नेता ज्यादातर समय दिवाली की रामा सामी और व्यक्तिगत जन संपर्क में ही बितायेंगे और दिवाली के बाद ये सब नेता फिर से फील्ड में उतरेंगे औऱ प्रभावी तरीके से प्रचार में जुटेंगे।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार बताते है कि कांग्रेस ने इस बार उप चुनाव में जिन नए चेहरों को उतारा है उनके चयन में सचिन पायलट और स्थानीय सांसदों की राय को तरजीह दी गई है इसलिए सचिन पायलट के साथ विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली, अलवर के पूर्व सांसद भंवर जितेन्द्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिष्ठा अधिक दांव पर लगी हुई है। उप चुनाव के नतीजे इन नेताओं का सियासी कद तय करेंगे। बताते है कि पूर्व मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने इस बार टिकट वितरण में कोई खास रुचि नहीं दिखाई।ऐसे में गहलोत इस बार चुनाव प्रचार की भूमिका में ही ज्यादा नजर आएंगे।

राजस्थान में सात सीटों पर उम्मीदवारों की अंतिम स्थिति तीस अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख के बाद ही स्पष्ट होंगी लेकिन इसके पहले ही चार सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला तथा तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस तथा क्षेत्रीय दलों के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला तय दिख रहा है और इसके लिए उपचुनाव का घमासान जारी है। भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने उप चुनावों के लिए चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस ने अपनी चार मौजूदा सीटों को वापस जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। वहीं भाजपा लोकसभा चुनाव में ग्यारह सीटों पर मिली हार का बदला लेने के मूड में लग रही है।इसलिए मुख्यमन्त्री भजन लाल और प्रदेश भाजपा नेता तथा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव गजेन्द्र सिंह शेखावत भूपेन्द्र यादव और भगीरथ चौधरी रहा भजन लाल मंत्री परिषद के मंत्री, भाजपा के सांसद विधायक आदि सुनियोजित ढंग से ज़ोरशोर से चुनाव प्रचार में जुटे गई।

उपचुनाव के परिणाम भाजपा की सेहत पर कोई असर नहीं डालने वाले लेकिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की सेहत पर जरुर असर डालने वाले है। इसी प्रकार यह उप चुनाव कांग्रेस के कईं नेताओं का सियासी वजूद भी तय करेगा जैसे झुंझुनूं,देवली-उनियारा औऱ दौसा सीटों के परिणाम सीधे सचिन पायलट की प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं।मौजूदा सांसद औऱ पायलट की सिफारिश पर ही इन तीनों पर प्रत्याशी तय किए गए हैं। रामगढ़ सीट का परिणाम टीकाराम जूली औऱ भंवर जितेंद्र सिंह इन दोनों नेताओं के सियासी वजूद को तय करेगा।

पीसीसी चीफ होने के नाते पर सभी सीटों के परिणाम सीधे गोविंद डोटासरा के सियासी करियर को प्रभावित करेंगे। उप चुनाव में हारे या फिर जीते दोनों स्थितियों में डोटासरा के खाते में क्रेडिट जाएगा।वहीं खींवसर सीट का चुनाव डोटासरा की प्रतिष्ठा से सीधे जुड़ गया है। बताते है कि आरएलपी के साथ गठबंधन नहीं करने से लेकर उम्मीदवार चयन तक जैसे फैसले डोटासरा ने ही किए थे।

अब राजस्थान में उप चुनाव के इस मिनी ओलम्पिक में 23 नवम्बर के चुनाव नतीजों से ही तय होगा कि प्रदेश में किस पार्टी और उनके किस नेता का पलड़ा भारी रहने वाला है?

देखना है इस बार उप चुनाव के परिणाम किस पार्टी के कार्यालय को दीपावली जैसी रौशनी से रोशन करेंगे और किसके वहाँ अंधेरा ?