- ‘सभी को संसार से एक दिन चले जाना है पर यदि कुछ पीछे रह जाएगा तो वह यही साहित्य है’: चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी
रविवार दिल्ली नेटवर्क
कोलकाता महानगर के प्रख्यात वरिष्ठ कवि चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी जी के प्रथम काव्य संग्रह ‘धूप और छाँव जब दोनों ही हमारे होंगे’ (प्रखर गूंज प्रकाशन) का लोकार्पण पोथी बस्ता संस्था द्वारा, अनु नेवटिया के संयोजन में, बड़ा बाज़ार लाइब्रेरी के प्रांगण में सफलतापूर्वक किया गया| यह कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ जिसमें प्रथम सत्र में पुस्तक लोकार्पण हुआ एवं दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया| इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विश्वम्भर नेवर एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ.एस.आनंद, डॉ.लखबीर सिंह निर्दोष, डॉ.अभिज्ञात, शिखर चंद जैन तथा मुख्य वक्ता के रूप में डॉ.ऋषिकेश राय ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा और भी बढ़ा दी| कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता की रामेश्वर नाथ मिश्र ने एवं संचालन किया निशा कोठारी ने| निशा कोठारी ने सरस्वती वन्दना के साथ कार्यक्रम का प्रारम्भ किया, अनु नेवटिया ने स्वागत भाषण दिया और उसके पश्चात सभी अतिथियों के सम्मान के साथ, अनुरागी जी की पुस्तक का लोकार्पण किया गया| लोकार्पण के पश्चात डॉ. ऋषिकेश राय ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए पुस्तक की विषय वस्तु, कवर पृष्ठ एवं इस समस्त आयोजन में सहयोगी टीम के अथाह परिश्रम पर प्रकाश डाला| नेवर जी ने कहा इस पुस्तक में, अनुरागी जी के पूरे जीवन की काव्य यात्रा का निचोड़ मिलता है| डॉ. अभिज्ञात ने कहा अनुरागी जी के गीत समय की टूटन को दर्शाते हैं| डॉ. एस. आनंद ने कहा अनुरागी जी ने अपनी पुस्तक में सुख दुःख में उठता गिरता संसार पिरोया है| डॉ. निर्दोष ने कहा अनुरागी जी के जैसा सृजन करने के लिए लोगों को साहित्य के सागर में गहरी डुबकी लगानी पड़ती है| शिखर चंद जैन ने कहा जो इस पुस्तक को पढ़ेगा, फील गुड की भावना का उसमें संचार होना अवश्यम्भावी है| अनुरोध जी ने कहा एक माली जिस तरह फूलों को एक सूत्र में पिरोता है, अनुरागी जी ने ग्राम्य शब्दों को अपने काव्य में पिरोकर एक विलक्षण सृजन किया है| आलोक चौधरी ने इस मौके पर, अनुरागी जी की रचना ‘अभी अधूरे गीत’ की आवृत्ति कर सभी का मन मोह लिया| इनके अलावा सुरेश चौधरी, योगेन्द्र शुक्ल सुमन एवं रणजीत भारती ने भी अपना वक्तव्य रखते हुए अनुरागी जी को पुस्तक लोकार्पण की अशेष बधाइयां दी| कार्यक्रम की उत्सवमूर्ती अनुरागी जी ने कहा हम सभी को संसार से एक दिन चले जाना है पर यदि कुछ पीछे रह जाएगा तो वह यही साहित्य है| कार्यक्रम का यह प्रथम सत्र, रामाकांत सिन्हा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संपन्न हुआ| दूसरा सत्र नंदलाल रौशन की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे विवेक शुक्ला एवं अन्य अतिथिगण में शामिल रहे योगेन्द्र शुक्ल सुमन, रंजीत भारती, हीरालाल जैसवाल एवं नवीन कुमार सिंह| संचालन का भार सम्भाला विकी यादव ने| काव्य पाठ के दौरान, ‘एक लेखक था कर्ज़दार किसी से मत कहना’ अपनी लोकार्पित पुस्तक की इन पंक्तियों को दोहराकर, अनुरागी ने भी सभी का ह्रदय भाव विभोर कर दिया| नंदलाल रौशन की रचना ‘कविता तो मन का संबल है’, विवेक शुक्ला की रचना ‘मैं तो अपने लक्ष्य पर अड़ा हूँ’, रणजीत भारती की रचना ‘मोदी नाम आला है’ नवीन सिंह की रचना ‘अनुभव का सम्मान’ हीरालाल जैसवाल की रचना ‘आदमी की पहचान’, योगेन्द्र शुक्ल सुमन की रचना ‘ज़िन्दगी इसी तरह बयार सी गुज़र गयी’ बेहद सराही गयी| इनके अतिरिक्त जिन रचनाधर्मियों ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया उनके नाम हैं – रामाकांत सिन्हा, अमित अम्बष्ट, निशा कोठारी, आलोक चौधरी, विकी यादव, शम्भूलाल जालान निराला, मनोज मिश्र, चन्द्रभानु गुप्त, महेंद्र नाथ मिश्र, वन्दना पाठक, डॉ. शिप्रा मिश्रा, प्रणति ठाकुर, संजय शुक्ला, प्रदीप धानुक, मौसम जी, संचिता सक्सेना, गौरीशंकर दास, राम नारायण झा देहाती, मनसा यादव, आरती भारती, सपना खरवार, प्रिया श्रीवास्तव, कालिका प्रसाद उपाध्याय, किशन झा एवं परेश पटियालवी| साथ ही कार्यक्रम में श्रोताओं के रूप में सरिता खोवाला, रामनाथ बेखबर, सत्यप्रकाश भारती, जय कुमार रुसवा, जीवन सिंह, रणविजय श्रीवास्तव, मंजू बैज, विश्वजीत शर्मा, सुषमा राय पटेल, नंदू बिहारी, ऊषा जैन, देवेश मिश्र, ज्ञान प्रकाश पांडे, श्रद्धा टिबरेवाल, नीतू सिंह भदोरिया, डॉ. सुशीला ओझा, डॉ. अरविन्द मिश्रा, दीप नायक, चन्दन सोनकर, दीपचंद सोनकर, विजय अग्रवाल, प्रीति धानुक, प्रियम धानुक, पंकज शर्मा, विवेक तिवारी एवं संजीत बर्मन भी उपस्थित रहे| अंत में यह कार्यक्रम, अमित अम्बष्ट द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सुसंपन्न हुआ|
कार्यक्रम को सफल बनाने में रमाकांत सिन्हा, आलोक चौधरी, अमित अम्बष्ट, विक्की यादव, पवन अग्रवाल का विशेष सहयोग रहा।