बढ़ती आबादी घटता रोजगार

पल्लवी सिंह

देशभर में बढ़ती आबादी के बीच बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। विश्व में जनसंख्या के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे पायदान पर है और भारत की लगभग 60% जनसंख्या युवा अवस्था में जिसके लिए रोजगार सांस की तरह आवश्यक है। लेकिन वर्तमान समय में युवाओं के लिए रोजगार न होना गंम्भीर चिंता का विषय बना हुआ है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में बेरोजगारी दर सितंबर 2022 में 6.4 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

सीएमआईई के आकड़ों के अनुसार, हरियाणा राज्य में सबसे ज्यादा बेरोजगारी देखी गई है, वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 1% के भी नीचे है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक देश के राज्यों में बेरोजगारी दर 31.8 फीसदी के साथ हरियाणा इस मामले में सबसे ऊपर है, इसके बाद दूसरे स्थान पर 30.7 फीसदी के साथ राजस्थान, तीसरे स्थान पर 23.2 फीसदी के साथ जम्मू-कश्मीर, चौथे स्थान 17.7 फीसदी के साथ त्रिपुरा, 16.5 फीसदी के साथ पांचवें स्थान पर झारखंड और 14.05 फीसदी के साथ छठे स्थान पर बिहार है इसके बाद तेलगांना, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ हैं।

साल 2022 में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक बेरोजगारी दर क्रमश: जनवरी में 6.57%, फरवरी में 8.10%, मार्च में 7.60%, अप्रैल में 7.83% रही। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार शहरी बेरोजगारी दर मार्च 2022 में 9.22% रही जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.18% रही। बीते वर्ष की बात करें तो सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, मई 2021 में बेरोजगारी दर 11.84% तक पहुंच गई थी जो कि जनवरी 2022 में 6.57% पर आई लेकिन फरवरी में या 8.10% से अप्रैल में यह 7.83% पर रह गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के सर्वे के अनुसार ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर बढ़कर सितंबर में 5.84% से अक्टूबर में 8.04% पर पहुंच गई हालांकि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में कमी देखी गई जो कि सितंबर में 7.7% से अक्टूबर में 7.21% पर आई।

श्रम भागीदारी दर यानी एलपीआर में मामूली गिरावट से भी बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है । ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर घटने की वजह से अक्टूबर में देश की बेरोजगारी दर 7.77 फ़ीसदी पहुंच गई। पिछले 4 साल में सितंबर में बेरोजगारी दर सबसे निचले स्तर 6.43 पर रही। सीएमआईई ने कहा- देश में श्रम भागीदारी दर में लगातार गिरावट गंभीर चिंता का विषय है। इसका अर्थ यह है कि रोजगार घट रहा है। देश में अक्टूबर में रोजगार मिलने की दर कम होकर 36% रह गई। इस दौरान कर्मचारियों की संख्या 40.42 करोड़ से घटकर 39.64 करोड़ यानि 78 लाख घट गई है।

आंकड़ों के मुताबिक कृषि प्रधान देश भारत में कृषि क्षेत्र में रोजगार में पिछले 4 साल से लगातार कमी आई है। बीते वर्ष नवंबर 2021 में कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या 16.4 करोड़ थी लेकिन अक्टूबर 2022 में यह संख्या घटकर 13.96 करोड़ रह गई।

बेरोजगारी दर आकलन के लिए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) सबसे विश्वसनीय प्रतिष्ठान माना गया है जो सरकारी संस्थाओं से हीं जानकारी एकत्रित करने के अलावा प्रति माह नियमित सर्वे कराने के बाद वैज्ञानिक विधि से परीक्षण कर रिपोर्ट जारी करती है। इसके आंकड़ों के आधार पर केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों का भी निर्धारण किया जाता है।

देश में शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। इस कारण से भारत की जीडीपी पर भी साफ असर दिख रहा है । बेरोजगारी की वजह से गंभीर सामाजिक- आर्थिक परिणाम होते हैं। इससे न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। बेरोजगारी समाज में विभिन्न समस्याओं का मूल कारण है। हालांकि बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार ने कुछ हद तक कदम भी उठाए हैं लेकिन उठाए गए कदम व निकाले गए उपाय पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। सरकार योजनाओं के माध्यम से निजी नौकरियों में वृद्धि करना चाहती है लेकिन कोरोना के बाद निजी क्षेत्र खुद ही घुटन महसूस कर रहा है।

शिक्षा और बेरोजगारी का भी गहरा संबंध है। आज भी भारत की जनसंख्या का एक बड़ा अनुपात अशिक्षित है, तो अशिक्षा के चलते बेरोजगारी का आना तो स्वभाविक बात है। क्योंकि भारत में स्किल का अभाव है। परंतु आज कल अशिक्षा के साथ-साथ शिक्षित बेरोजगारी भी बहुत बड़ी समस्या है। हर छात्र के द्वारा एक ही तरह की शिक्षा को चुना जाना। जैसे आज कल हम कई सारे इंजीनीयर्स को बेरोजगार भटकते देखते है, इसका कारण इनकी संख्या की अधिकता है।

सरकार को चाहिए कि ठोस कदम उठाए और छात्रों के रोष को कम करे। बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके अलावा नीति निर्माताओं और नागरिकों को अधिक नौकरियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के लिए सही कौशल प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।