इं.डि.या. गठबंधन भाजपा के लिए ‘डेमोक्रेटिक डेफिसिट’

India Alliance 'Democratic deficit' for BJP

प्रो. नीलम महाजन सिंह

भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में चुनावों का सर्वाधिक मह्त्व है, क्योंकि जनता इस बात को तय करती है, कि किस पार्टी व प्रत्याशी को अपना मतदान देंगीं। अपने नाज़ुक स्वास्थ्य के बावजूद, मैंने यह सुनिश्चित किया कि मैं अपने मित्र सलमान खुर्शीद; पूर्व विदेश मंत्री, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष, की पुस्तक विमोचन समारोह में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शामिल होऊं। ‘कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट – एन इनसाइड स्टोरी’ (CONTESTING DEMOCRATIC DEFICIT: AN INSIDE STORY OF THE 2024 ELECTIONS) शीर्षक पुस्तक, सलमान खुर्शीद व मृत्युंजय सिंह यादव द्वारा लिखित है। मृत्युंजय वर्तमान में जे.एन.यू. से पी.एच.डी. कर रहे हैं। भारत सरकार के पूर्व गृह व वित्त मंत्री श्री पी. चिदंबरम ने मुख्य भाषण दिया। ज़मीनी स्तर पर ‘इंडिया गठबंधन’ (I.N.D.I.A. Alliance) के सामुहिक प्राचार से नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं मिलना शामिल है। अन्य वरिष्ठ वक्ताओं में प्रो. अभिषेक मिश्रा, प्रो. हिलाल अहमद व पत्रकार विनोद शर्मा शामिल थे। कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। सांसद मनोज झा ने अपने आंकलन में, इस पुस्तक को राजनीति की आन्तरिक कूटनिति का श्रेष्ठ संकलन माना है। विनोद शर्मा ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की विनम्रता, सभ्य आचरण को विचारक संग्रह कहा है। साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद झा ने लिखा है कि ‘इन्डिया गठबंधन व कॉंग्रेस’ की नीतियों द्वारा एनडीए के घमंड को करारा झटका लगा। 2024 लोकसभा चुनाव को कांग्रेस ने कैसे लड़ा? इस से जुड़े आंतरिक निर्णय इस पुस्तक का सार हैं। कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट – एन इनसाइड स्टोरी नामक यह पुस्तक 2024 के लोकसभा के दस्तावेज़ीकरण का पहला गंभीर प्रयास है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति व प्रदर्शन कैसा रहा? इसमें अनेक अंदरूनी गतिविधियों को रेखांकित किया गया है। सलमान खुर्शीद व मृत्युंजय सिंह यादव द्वारा लिखी इस शोध ‘कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट- एन इनसाइड स्टोरी ऑफ दी 2024 इलेक्शनस’ को लोकसभा चुनाव को, पुस्तक के रूप में दर्ज करना मृत्युजंय का गंभीरतापूर्वक प्रयास है। चुनाव व नतीजों को लेकर अनेक भविष्यवाणियों का ज़िक्र हुआ। यह संग्रह 2024 लोकसभा चुनाव ने दूर-दराज़ के गांवों से लेकर, दिल्ली के राजनीतिक गलियारों तक को करीब से देखने, समझने व अध्ययन करने का मौका देता है। 2024 चुनाव घोषित होने के बाद, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु व केरल, चुनाव नतीजों में यह बात साफ दिख रही थी कि कुछ ऐतिहासिक परिवर्तन हो रहा है। सलमान खुर्शीद ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कांग्रेस व विपक्ष 2024 का चुनाव कैसे लड़ेंगें? इंडिया गठबंधन को ‘भाजपा व एनडीए’ के खिलाफ़त में एक मज़बूत विपक्ष के रूप में देखा गया था। लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र व दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों में इसका क्रियान्वयन ‘बहुत मुश्किल’ रहा व कांग्रेस को जीत नहीं मिली। इंडिया ब्लॉक के भविष्य के बारे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की शंकाओं से कुछ सीख लेनी चाहिए। उन्होंनें चेतावनी दी कि यह ब्लॉक कमज़ोर नज़र आ रहा है व उस पर साकारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया, क्योंकि आगामी चुनावों में भाजपा का प्रभुत्व मज़बूत हो सकता है। पी. चिदंबरम की टिप्पणी – विपक्षी ब्लॉक की स्थिरता शक्ति व सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ‘दुर्जेय मशीनरी’ के बारे में, जो 2029 के आम चुनावों को ध्यान में रखकर दी गई दोनों चेतावनियाँ हैं, पर हमला बोल दिया है। पी. चिदंबरम भविष्यवाणी करते हैं, ‘भविष्य में विपक्ष एकजुट नहीं रहेगा, भाजपा एक दुर्जेय संगठन है’। यहां तक ​​कि राहुल गांधी के करीबी सहयोगी भी जानते हैं कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की केरल इकाई के नए प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “यह एक विविध समूह है जो केवल भ्रष्टाचार के प्रति प्रेम के कारण एक साथ आया है”। वैसे मृत्युंजय सिंह यादव ने 2014 से अब तक को, ‘लोसट डिकेड – यानी 10 वर्षों को खोना’ कहा है। मृत्युंजय ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को देश भर में कांग्रेस पार्टी को जनमानस तक पहुंचने का सफल आयोजन बताया है। साथ ही राहुल गांधी, ‘काग्रेस को एक सिद्धांत व विचारधारा’ मानते हैं। इंडिया गठबंधन के एकीकरण के कारण, नरेंद्र मोदी के ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे को गहरा झटका लगा। ‘फाइटिंग दी पालिटिक्स ऑफ फालज़हूड’ में लेखक ने झुठे प्राचार को अनावृत करने को मह्त्व दिया। भाजपा सरकार के 10 वर्षों पर झूठे प्राचार का ‘व्हाइट पेपर’ भी मह्त्वपूर्ण था। भाजपा के अल्पसंख्यक विरोधी दृष्टिकोण व विशेष रूप से मुस्लिम समाज पर प्रहार से भाजपा-एनडीए को नुकसान उठाना पड़ा। मृत्युंजय सिंह यादव ने भारत जोड़ों यात्रा को ‘भारत माता की आवाज़’ माना है। पी चिदंबरम के अनुसार, “भाजपा एक मज़बूत पार्टी है, क्योंकि यह ‘भारत प्रथम’ के मज़बूत मूल्यों – सिद्धांतों में विश्वास करती है, तथा सभी भारतीयों की परवाह करती है, इसलिए इसे अधिकांश भारतीयों का समर्थन प्राप्त है”। यह विवाद, ‘कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट’ के विमोचन के समय शुरू हुआ, जब श्री पी. चिदंबरम ने इंडिया ब्लॉक पर अनिश्चितता की बात को स्वीकारा। “भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है, जितना मृत्युंजय सिंह यादव (सह-लेखक) कह रहे हैं। उन्हें लगता है कि इंडिया गठबंधन अभी भी बरकरार है। शायद सलमान इसका जवाब सलमान खुर्शीद दे सकें, क्योंकि वे वार्ता टीम का हिस्सा थे। अगर इंडिया गठबंधन पूरी तरह से बरकरार है, तो मुझे बहुत खुशी होगी, लेकिन यह कमज़ोर लगता है। इसे एक साथ रखा जा सकता है। अभी भी समय है। अभी भी कई घटनाएं घटित होंगीं,” चिदंबरम ने कहा। हालांकि यह क्षणिक आशावादी टिप्पणी के बाद पी. चिदंबरम ने कांग्रेस व भाजपा से गठबंधन न करने वाले अन्य विपक्षी दलों को चेतावनी दी कि अब कार्रवाई करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, “मेरे अनुभव में, इतिहास को पढ़ते हुए, ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं है जो भाजपा की तरह इतनी मज़बूती से संगठित हो। हर क्षेत्र में यह पार्टी मज़बूत है।” खैर, बिहार, बंगाल, तमिलनाडु: इंडिया गठबंधन के एकीकरण के कारण की परीक्षा है। यह चेतावनी राज्य चुनावों से कुछ महीने पहले आई है, जो देश के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार देंगें, या तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी को निर्णायक जीत दिलाएंगें, जो 2029 में लगातार चौथी बार आम चुनाव में अभूतपूर्व जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। बिहार में 2025 के उत्तरार्ध में मतदान होगा। बंगाल व तमिलनाडु में 2026 में, तथा उत्तर प्रदेश में 2027 में तथा कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 2028 में मतदान होगा। उत्तर प्रदेश व बिहार हिंदी पट्टी के राज्य हैं, जहां भाजपा व उसके सहयोगी नीतीश कुमार की ‘जदयू’ का शासन है, जबकि बंगाल व तमिलनाडु उन मुट्ठी भर राज्यों में से हैं, जिन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भगवा पार्टी के कट्टरपंथ को लगातार खारिज किया है। हाल के वर्षों में तृणमूल व द्रमुक शासित राज्यों में तीखे चुनावी मुकाबले देखने को मिले हैं, जिसमें भाजपा ने लगातार तीखी बयानबाज़ी बढ़ा दी व मुख्य-मंत्रियों ममता बनर्जी और एम.के. स्टालिन को निशाना बनाया, ताकि उन राज्यों पर नियंत्रण हासिल किया जा सके। 2029 के आम चुनाव या तो भाजपा की पहले से मज़बूत राजनीतिक मशीनरी होगी, जो या तो भारत में पूर्ण लोकतंत्र को बहाल कर सकता है और या अपना आधिपत्य स्थापित कर सकता है। सारांशार्थ, सलमान खुर्शीद ने बताया कि ‘इंडिया गठबंधन’ एकीकरण के कारण, संयुक्त गैर-भाजपा गठबंधन की आवश्यकता को मान्यता दिए जाने के जवाब में संगठित हुआ। “इंडिया गठबंधन इसलिए बनाया गया क्योंकि इस तथ्य को स्वीकारा गया कि हमें इस लड़ाई में गठबंधन की आवश्यकता है। हमने अपनी ‘शीर्ष जगह’ छोड़कर भी गठबंधन किया,” सलमान खुर्शीद ने कहा। गठबंधन की आवश्यकता है, लेकिन यह एकत्रित व साकारात्मक गठबंधन होना चाहिए। हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद सहयोगी दलों ने ‘अहंकारी कांग्रेस’ पर वार किया है। इंडिया गठबंधन ने इसकी आलोचना की, जिनमें तेजस्वी यादव का राष्ट्रीय जनता दल शामिल है, जिसके साथ कांग्रेस, बिहार के गठबंधन में है व 2025 का चुनाव लड़ेंंगें। ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं है जो आज की भाजपा की तरह इतना संगठनात्मक रूप से मज़बूत हो। सलमान खुर्शीद ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि कांग्रेस संगठन द्वारा, एक संयुक्त, गैर-भाजपा गठबंधन की आवश्यकता को मान्यता दिए जाने के जवाब में इंडिया गठबंधन बना।इंडिया गठबंधन इसीलिए बनाया गया, क्योंकि इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि राजनीतिक रणभूमि में गठबंधन की आवश्यकता है। हालांकि, इस समूह को मिली-जुली सफलता मिली, जिसमें जीत की तुलना में हार अधिक है व सदस्य, कांग्रेस के नेतृत्व से नाखुश हैं, तथा राज्य या क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सीटें साझा करने के लिए स्पष्ट रूप से अनिच्छुक हैं। मृत्युजंय सिंह यादव, महात्मा गांधी व नेल्सन मंडेला के अहिंसा के सिद्धांत के आधार पर, व सलमान खुर्शीद के राजनीतिक जीवन के अनुभवों व कांग्रेस की तटस्थता से बुद्धिजीवियों को राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की ओर अग्रसर करने के संदेशवाहक हैं।

प्रो. नीलम महाजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, शिक्षाविद, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)