भारत ने कुवैत को रोमांचक फाइनल में हरा नौवीं बार जीता सैफ फुटबॉल चैंपियनशिप खिताब

  • कप्तान छेत्री के अनुकरणीय खेल व गोलरक्षक गुरप्रीत की मुस्तैदी से भारत चैंपियन

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : करिश्माई कप्तान सुनील छेत्री के अनुकरणीय खेल और रक्षापंक्ति की मजबूत ‘दीवार’ गोलरक्षक गुरप्रीत सिंह संधू के मुस्तैद रक्षण की बदौलत मौजूदा चैंपियन भारत ने मजबूत कुवैत को सैफ फुटबॉल चैंपियनशिप के फाइनल में बेंगलुरू के श्रीकांतिवीरा स्टेडियम में सडनडेथ शूटआउट में 5-4 से हरा कर खिताब बरकरार रख कर अपनी श्रेष्ठता बरकरार रखी। निर्धारित और अतिरिक्त समय की समाप्ति पर दोनों टीमें के एक-एक से बराबर रहने के बाद फाइनल शूटआउट और फिर सडनडेथ में खिंच गया था। भारत ने नौंवी बार सैफ चैंपियनशिप खिताब जीता है। इगोर स्टीमैक भारत को अपने मार्गदर्शन में लगातार दूसरी बार सैफ चैंपियनशिप खिताब जिताने वाले पहले विदेशी फुटबॉल कोच बन गए। यह पहला ऐसा मौका है जब भारत ने दो पश्चिम एशियाई देशों- लेबनान (सेमीफाइनल) और कुवैत(फाइनल) को शूटआउट में हराकर यह खिताब जीता। भारत के कुवैत के खिलाफ बेहद विवादास्पद ग्रुप मैच में एक-एक की बराबरी रहने के बाद दो रेड कार्ड मिलने के कारण बतौर कोच उसका सैफ चैंपियनशिप के आगे के मैचों में बतौर हेड कोच मार्गदर्शन नहीं कर पाए और सेमीफाइनल और फाइनल में कोच की जिम्मेदारी सहायक कोच महेश गावली ने संभाली। महेश गावली दो बार भारत को बतौर खिलाड़ी सैफ चैंपियनशिप जिताने के बाद मंगलवार रात बतौर कोच भी यह खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई।

भारत की इस खिताब जीत का श्रेय बतौर टीम उसकी आखिर तक लडऩे की क्षमता और पिछडऩे के बाद वापसी की ताकत को दिया जाना चाहिए। सच तो यह है कि भारत ने अपने खिलाडिय़ों की मजबूत फिटनेस और जेहनी मजबूती से कुवैत जैसी मजबूत टीम पर फाइनल में जीत दर्ज की। भारत और भारत की रक्षापंक्ति में खासतौर पर फाइनल में उसके बैक संदेश झींगन और मेहताब के साथ नौजवान आकाश मिश्रा और निखिल पुजारी ने परस्पर छोर बदल कर आगे बढ़ कर कुवैती स्ट्राइकरों खुल कर खेलने नहीं दिया।भारत ने फाइनल में भी पिछडऩे के बाद वापसी कर बराबरी पाई। इसके साथ भारत के गोलरक्षक गुरप्रीत संधू ने फाइनल में भी सही वक्त पर सडनडेथ में कुवैत के कप्तान हाजिया द्वारा ली पेनल्टी किक को रोक कर दिखाया कि वह बड़े मैच के खिलाड़ी हैं।

बेहद रोमांचक फाइनल के 14 वें मिनट में मुबारक अल फनेनी से मिली गेंद को अब्दुल्लाह अल ब्लूशी ने संभाला और उन्होंने गेंद को दाएं छोर से बढ़ते अल शाबेब अल खालिदी की ओर बढय़ा। खालिदी ने इसे संभाल अचूक निशाना जमा गोल कर कुवैत को 1-0 से आगे कर दिया। आशिक कुर्नियावान ने मैच के 38 वें मिनट में गेंद को लेकर बाएं से बढ़े और कप्तान सुनील छेत्री की ओर बढ़ाया और उन्होंने गेंद को तेजी से बॉक्स में पहुंचे सहल अब्दुल समद की ओर सरका दिया। समद के बढिय़ा क्रॉस पर लालियानजुआला चांगटे ने बेहद शांत से गेंद को गोल में डाल कर भारत को एक-एक की बराबरी दिला दी। निर्धारित और अतिरिक्त समय तक स्कोर एक-एक से बराबरी रहने के बाद पेनल्टी शूटआउट का नियम लागू किया गया। शूटआउट में पेनल्टी किक पर बॉक्स में 12 गज की दूरी से लिए शुरू के तीन प्रयास में भारत के कप्तान सुनील छेत्री, चांगटे और संदेश झींगन और पांचवें में स्नेहाशीष बोस ने कुवैत के गोलरक्षक अब्दुल रहमान मरजक को छका गोल किए जबकि चौथे पर उदांत सिंह गेंद को गोल के उपर से बाहर मार बैठे। वहीं कुवैत के लिए पहले प्रयास में मोहम्मद अब्दुल्ला ने पेनल्टी किक कर गेंद बल्ली पर मार मौका चूका ।अगली चार पेनल्टी किक पर अल ओतबी, अल दहफरी, महरान और अल खालिदी ने गोल कर कुवैत को चार-चार की बराबरी दिला दी और मैच सडनडेथ में खिंच गया। सडन डेथ में पहली पेनल्टी किक पर महेश सिंह ने गोल कर भारत को 5-4 से आगे कर दिया। गोलरक्षक गुरप्रीत सिंह संधू ने कुवैत के कप्तान खालिद हाजिया की कमजोर किक को रोक कर भारत को फाइनल जिताने के साथ नौंवी बार सैफ चैंपियनशिप खिताब जिता दिया। सेमीफाइनल में भी गुरप्रीत सिंह शानदार बचाव कर भारत को जीत दिला कर उसके हीरो साबित हुए थे।

‘कुवैत के खिलाफ अपनी बेहतर फिटनेस से हमें मदद मिली’
‘हमारी टीम के बढिय़ा प्रदर्शन का श्रेय संदेश झींगन व सहल अब्दुल समद जैसे हमारे खिलाडिय़ों के बढिय़ा प्रदर्शन को है। यह पहला मौका था जब मैं सेमीफाइनल और फाइनल के रूप में भारत के कोच के रूप में मैदान पर था और मुझे खुशी है कि हम इनमें जीतने में सफल रहे। मैं भारत को बढिय़ा प्रदर्शन करने में सहयोग करना जारी रखूंगा। कुवैत एक बढिय़ा टीम है और फाइनल में दोनों टीमों को गोल करने के मौके मिले। शुरू के करीब दस मिनट में हमारी टीम रंग में नहीं दिखी लेकिन इसके बाद हमने फाइनल पर अपनी पकड़ बना ली। यह एक बड़ा फाइनल था। कुवैत के शुरू में बढ़त लेने के बाद हमारे खिलाड़ी कुछ उखड़ गए थे। ऐसे में मैंने अपने खिलाडिय़ों से शांत हो धैर्य बनाए रख कर खेलने को कहा। कुवैत के खिलाफ अपनी बेहतर फिटनेस से हमें मदद मिली। हमने मैदान पर कुवैती खिलाडिय़ों को जूझते देखा। फाइनल की यह जीत शानदार है और यह दर्शाता है हम निरंतर बढिय़ा खेल रहे हैं।
-महेश गावली, भारत के सहायक कोच