“भारत देश की”

सतीश “बब्बा”

शान बड़ी है,
आन बड़ी है,
बच्चों भारत देश की!

भारत है गुलदस्ता,
अनुपम न्यारा है,
खुशबू तुम्हारे फूल की!

उत्तर में हिमालय,
कहता रहता है,
मुकुट हूँ भारत देश की!

दक्षिण में है,
दूध का सागर,
निशानी है समृद्धि की!

पूरब में गंगासागर,
भारत की पवित्रता है,
जो कुंडल है कान की!

पश्चिम में द्वारावती,
आत्मनिर्भरता दर्शाती है,
भारत माँ के आँचल की!

मध्य भारत में अद्भुत,
कनश्रृंगा, महाकाल है,
गर्व से कहते भारत देश महान है!!