- गोलरक्षक के रूप में पाठक के रूप में भारत का श्रीजेश का बढ़िया विकल्प
- तुरंत हमारी पाक टीम से चमत्कार की उम्मीद न करें, चीजें दुरुस्त करने में वक्त लगेगा
- भारत एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में खिताब का दावेदार,दिन हमारा रहा तो हम कर सकते हैं उलटफेर
- भारत-पाक बराबर एक दूसरे के खिलाफ तो दुनिया को कलात्मक हॉकी देखने को मिलेगी
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली: अपने जमाने के बेहतरीन राइट इन रहे ताहिर जमां और ‘कलाकार’ के रूप में ख्यात पूर्व कप्तान शाहबाज अहमद की जोड़ी किसी समय पाकिस्तान ही नई नहीं दुनिया के हॉकी बेहतरीन स्टाइकर की जोड़ी में जानी जाती थी। भारत के सर्वकालीन बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकरों में एक धनराज पिल्लै और जगबीर सिंह के खिलाफ ताहिर जमां ने पाकिस्तान के कई यादगार मैच खेले। नीदरलैंड के रोलैंट ऑल्टमैंस के कम अवधि के लिए पाकिस्तान के कोच की जिम्मेदारी संभालने से इनकार करने के बाद मिस्र के पूर्व हॉकी रह चुके 55 बरस के ताहिर जमां को पाकिस्तान ने रविवार से हुलुनबुइर, चीन में शुरू हो रही पुरुष एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से पहले अपनी टीम का हेड कोच नियुक्त किया है। ताहिर जमां के पास कोच के रूप में एफआईएच के मास्टर कोच की डिग्री है और वह पाकिस्तान की जूनियर टीम के कोच रह चुके हैं। ताहिर जमां पाकिस्तान के हेड कोच के रूप में सभी योजना और तकनीकी मुद्दों का जिम्मा संभालेंगे। पाकिस्तान और भारत 14 सितंबर को एशियन चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी मैच में आमने-सामने होंगे और दुनिया भर के हॉकी प्रेमियों की निगाहें इस मुकाबले पर रहेंगी।
ताहिर जमां से लाहौर से बृहस्पतिवार को फोन पर इस मुश्किल समय में पाकिस्तान के हेड कोच की जिम्मेदारी संभालने की चुनौतियों, एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में चुनौती, भारतीय टीम और भारत के साथ हॉकी रिश्तों पर खास बातचीत की। ताहिर जमां ने कहा,‘भारतीय हॉकी टीम 2024 में पेरिस ओलंपिक में अपना कांसा बरकरार रख फिर से विश्व हॉकी में फिर से अपनी अलग जगह बनाई है। भारत के विश्व हॉकी में फिर से अपनी अलग जगह बनाने का श्रेय पिछले एक दशक से ज्यादा प्रोसेस और स्ट्रक्चर पर भरोसा करने और निरंतरता को जाता है। भारत के पास इसीलिए चाहे वह अब अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह चुके गोलरक्षक पी आर श्रीजेश हों अब उन सहित हर खिलाड़ी का एकदम तैयार विकल्प उपलब्ध रहता है। सच तो यह है हमारी पाकिस्तान हॉकी टीम हॉकी एक प्रोसेस और स्ट्रक्चर बनाने के लिए लंबे समय से जूझ रही है। बेशक भारत एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में मौजूदा चैंपियन और एक बार फिर खिताब जीतने का दावेदार है। मैंने मैं अब चीन जाकर वहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी के लिए अपनी पाकिस्तान टीम से बतौर हेड कोच जुड़ूंगा। आप मेरे हेड कोच की जिम्मेदारी संभालते ही हमारी पाकिस्तान टीम से तुरंत किसी चमत्कार की उम्मीद न करें ,चीजों को दुरुस्त करने में जरूर वक्त लगेगा। हमारी पाकिस्तानी हॉकी टीम को भी एक प्रोसेस में ढालने और स्ट्रक्चर के मुताबिक खेलने में वक्त लगेगा। पाकिस्तान हॉकी संघ(पीएचएफ) भी शिद्दत से इसी कोशिश में है । वहीं मैं यह जरूर कहूंगा कि यदि दिन कहीं हमारी पाकिस्तान का दिन रहा तो वह कुछ भी उलटफेर कर भारत तक को हरा तक सकती है क्योंकि हमारे पास हॉकी कौशल की कमी नहीं है। हमारी टीम सूफियान खान, राणा अब्दुल जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी हैं। हमारी पाकिस्तान टीम ने मेजबान चीन और मंगोलिया के खिलाफ कई अभ्यास मैच खेले हैं। हमारी पाकिस्तान हॉकी टीम जरूरत अपने हॉकी कौशल और कलाकारी का सही वक्त पर इस्तेमाल करने की जरूरत है। आप भारत की बात करेंगे तो पाएंगे वहां सही ढंग से हेड कोच कोच नियुक्त किया गया और उसने एक प्रोसेस यानी प्रक्रिया बनाने के साथ स्ट्रक्चर तैयार किया। भारत के पास बढ़िया कोर ग्रुप है। अपने और दुनिया के बेहतरीन गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के पेरिस ओलंपिक के हॉकी को अलविदा कहने के बाद भारत के पास उनके एकदम सही विकल्प के रूप में कृष्ण बहादुर पाठक हैं, जो कि श्रीजेश के साथ पिछले कई बरस से टीम में साथ साथ खेल रहे हैं। भारत के प्रोसेस और स्ट्रक्चर पर यकीन करने का ही नतीजा है कि उसके पास आज मनदीप सिंह व अभिषेक जैसे बेहतरीन स्टाइकरों के साथ हार्दिक सिंह और उपकप्तान विवेक सागर प्रसाद चतुर मिडफील्डर हैं जो अंतर्राष्ट्रीय हॉकी के लिए खुद को अब तैयार कर चुके हैं। भारत के पास आकाशदीप सिंह के रूप में ऐसा बेहतरीन स्ट्राइकर है जो आज भी उपयोगी है लेकिन उनके फिलहाल भारतीय हॉकी टीम में न होने के बावजूद टीम में बहुत दम है। आज के नए जमाने की हॉकी में भारत ही नहीं कोई भी टीम प्रोसेस और स्ट्रक्चर पर भरोसा खेल कर खेलती है तो फिर किसी खिलाड़ी के भी टीम से हटने का बहुत फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि टीम के पास करीब करीब वैसी ही कूवत वाला टीम में जगह लेने वाला खिलाड़ी मौजूद रहता है। भारत के पास किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए खिलाड़ी का विकल्प मौजूद रहना उसकी सबसे बड़ी ताकत है।’
उन्होंने कहा, ‘ भारत का पेरिस ओलंपिक ब्रिटेन के खिलाफ दूसरे क्वॉर्टर के शुरू में रेड कार्ड मिलने के बाद क्वॉर्टर फाइनल 40 मिनट से ज्यादा दस खिलाड़ियों से खेल अपनी डिफेंस पॉकेट को एकदम महफूज रख जीतने वाकई काबिलेतारीफ है। करीब करीब तीन क्वॉर्टर दस खिलाड़िलों से खेलने पर आज के जमाने की एस्ट्रो टर्फ पर तेज हॉकी में कोई भी टीम गोल खा जाती। भारत को मुश्किल हालात से निपटने के लिए जेहनी तौर पर तैयार रहने के उसके जज्बे को सलाम है। भारतीय खिलाड़ी बराबर लंबे समय से निरंतर साथ खेल रहे हैं और ऐसे में सभी का एक दूसरे पर भरोसा है। मेरा मानना है कि भारत और पाकिस्तान का बराबर एक दूसरे के खिलाफ खेलना वैश्विक हॉकी की तरक्की के लिए जरूरी है। भारत और पाकिस्तान बराबर एक दूसरे के खिलाफ जितना खेलेंगे इससे दोनों मुल्कों की हॉकी बेहतर होगी और दुनिया को वैश्विक मंच पर बराबर एक बार फिर कलात्मक हॉकी की बानगी देखने को मिलेगी। बराबर हॉकी स्टेडियम में और ज्यादा लोग हॉकी देखने आएंगे।’