भारत के पास है अर्जेंटीना को हरा कर कांसा जीत पदक के सूखे को खत्म करने का मौका

India has a chance to end its medal drought by defeating Argentina and winning bronze

भारत को जीतने के लिए अर्जेंटीना के मातियो व करेरा को रोकना होगा

सत्येन्द्र पाल सिंह

चेन्नै : दो बार खिताब जीत चुके व पिछले दो संस्करण में चौथे स्थान पर रहे मेजबान भारत के पास अपनी गलतियों से सबक लेकर 2005 और 2021 की चैंपियन अर्जेंटीना को यहां बुधवार को हरा कर 14वें एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप 2025 में कांसा जीत पदक जीतने के सूखे को खत्म करने का मौका है। भारत का अपने घर में दूसरी बार खिताब जीतने का सपना सात बार खिताब जीतने वाली जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में 1-5 से हार से टूट गया था। भारत के पास सेमीफाइनल में चैंपियन जर्मनी से निपटने के लिए कोई योजना और रणनीति ही नहीं दिखी थी। भारत को जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार का सबक यह है कि जीत के लिए हॉकी कौशल के साथ योजनाबद्ध से खेलना बेहद जरूरी है। भारत को अर्जेंटीना से जीतना है तो उसे उसके स्ट्राइकर मातियो तोरिजियानी , निकोलस रॉड्रिग्ज व ब्रूनो करेरा की मजबूत चौकसी करनी होगी। रोहित ने रक्षापंक्ति की मजबूत चौकसी करने की शारदानंद तिवारी के साथ मिल कर पुरजोर कोशिश जरूर की है लेकिन बतौर कप्तान वह टीम से अनुकरणीय प्रदर्शन कराने में नाकाम रहे हैं। अर्जेंटीना के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में रोहित को कप्तान के रूप में खुद बतौर फुलबैक और ड्रैग फ्लिकर अनुकरणीय खेल दिखाना होगा।
अर्जेंटीना की टीम स्पेन के हाथों सेमीफाइनल में बदकिस्मती से 1-2 से हार खिताब की होड़ से बाहर हो गई और ऐसे में वह भारत के खिलाफ कांसे के लिए इस मुकाबले के लिए ज्यादा बेहद तैयार दिखाई देती है। भारत को अर्जेंटीना के खिलाफ जीत दर्ज कर मौजूदा संस्करण से खाली हाथ से लौटने से बचना है तो उसे कोशिश यह करनी चाहिए पहले क्वार्टर में दो गोल की बढ़त बना ले। भारत की अग्रिम पंक्ति यदि उसे शुरू में बढ़त दिलाने में कामयाब रही तो फिर वह अर्जेंटीना को उसके ‘कम्फर्ट’ जोन से बाहर निकाल कर अपने खेल के उलट आक्रामक हॉकी खेलने पर मजबूर कर सकती है। ऐसे में भारत के स्ट्राइकरों के लिए आगे अर्जेंटीना के गोल पर हमले गोल करने का मौका रहेगा।
अर्जेंटीना जवाबी हमले बोल कर गोल करने के साथ अपने किले की मजबूत किलेबंदी कर उसे बचाना जानती है। अर्जेंटीना ने फाइनल में 2005 में रॉटरडम में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हरा कर पहली बार और फिर बाद 2021 में जर्मनी को भुवनेश्वर को 4-2 से हरा कर दूसरी बार जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीता था। वही भारत ने 2016 में बेल्जियम को लखनउ में फाइनल में 2-1 से हरा कर दूसरी बार खिताब जीता था। भारत अपने घर भुवनेश्वर में 2021 में फ्रांस से तथा 2023 में स्पेन से 1-3 के समान अंतर से हार कर कांसा जीतने से चूक गया था। भारत और अर्जेंटीना की टीम पिछले दो जूनियर विश्व कप में आमने सामने ही नहीं हुई। भारत ने चीफ कोच राजिंदर सिंह के मार्गदर्शन में होबार्ट में 2001 में अर्जेंटीना को 6-1 से हरा कर पहली बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीता था।
अब चीफ कोच पूर्व ओलंपियन पीआर श्रीजेश के मार्गदर्शन में भारत की अग्रिम पंक्ति को दबाव में धैर्य धरते हुए अर्जेंटीना पर जीत के लिए आक्रामक हॉकी खेलनी होगी। बेशक भारतीय हॉकी का दर्शन ही है आक्रमण सर्वश्रेष्ठ रक्षण हैं। ऐसे में उसके स्ट्राइकरों को खुद गोल करने व गोल के मौके बनाने के लिए पेनल्टी कॉर्नर भी बनाने के साथ इन पर अपनी गोल की चौकसी पर ध्यान देना होगा। भारत की मध्यपंक्ति को अर्जेंटीना के लिए पांच मैदानी व पेनल्टी कॉर्नर पर सबसे ज्यादा गोल करने वाले उसके तेज तर्रार स्ट्राइकर ब्रूनो करेरा व दो दो गोल करने वाले निकोलस रॉड्रिग्ज व मातियो तोरिगनी की मजबूत चौकसी कर उन्हें अपनी 25 गज की रेखा से बाहर ही रोकने की कोशिश करनी होगी।
भारत के लिए उसके स्ट्राइकर दिलराज सिंह, सौरभ आनंद कुशवाहा व मनमीत सिंह ने पूल मैचो में पांच पांच, अर्शदीप सिंह ने चार तथा अपना लगातार तीसरा जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप खेल रहे ड्रैग फ्लिकर शारदा नंद तिवारी ने चार, अनमोल एक्का,व अजित यादव न तीन तीन तथा गुरजोत सिंह ,अनमोल एक्का, लुआंग ने दो -दो गोल किए हैं। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि भारत के स्ट्राइक दिलराज, मनमीत व अर्शदीप सिंह, अजित यादव ने अपने सभी गोल पूल बी में चिली,ओमान व स्विटजरलैंड के खिलाफ ही किए और जैसे सामने बेल्जियम व जर्मनी जैसी मजबूत यूरोपीय टीमें आई तो मानों उनकी धार ही कहीं खो गई। भारत के लिए क्वॉर्टर फाइनल में निर्धारित समय में रोहित और शारदा नंद तिवारी सरीखे ड्रैग फ्लिकर ने गोल किए। वहीं दिलराज और खासतौर पर अर्शदीप सिंह बेल्जियम व जर्मनी के खिलाफ मैदानी गोल करना तो छोड़ ही दीजिए वहां भारत को पेनलटी कॉर्नर दिलाने को तरस गई।
भारत को अर्जेंटीना के खिलाफ जीत हासिल करनी है तो अपने किले की चौकसी के साथ खासतौर पर ही शुरू के दो क्वॉर्टर में अधिक से अधिक से बढ़त बनाने की कोशिश करनी होगी। भारत ने 2001 में पहली बार गोल की बारिश कर आक्रामक हॉकी खेल अर्जेंटीना को फाइनल में हरा पहला बार खिताबी जीत हासिल की थी। भारत को अर्जेंटीना से मैच जीतना है तो फिर कप्तान फुलबैक रोहित,शारदानंद तिवारी अनमोल एक्का रोशन कुजुर को अपने किले की मजबूत चौकसी के साथ पेनल्टी कॉनरों का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करना होगा। भारत के लिए गुरजोत सिंह को लिंकमैन होने के कारण आगे साथी स्ट्राइकर के लिए गेंद बढ़ाने के साथ मौका मिलती ही डी में साथी खिलाड़ियों के लिए गेंद बढ़ानी होगी। भारत के ड्रैग ड्रैग फ्लिकर के रूप में शारदा नंद ने अपने कप्तान रोहित से कही ज्यादा गोल किए हैं। भारत को अर्जेंटीना के खिलाफ जीत हासिल करनी है तो बतौर फुलबैक कप्तान रोहित,शारदा नंद तिवारी को ड्रैग फ्लिक पर सही निशाने जमाने होंगे। भारत की मध्यपंक्ति मे प्रियव्रत तलेम,मनमीत सिंह, रोशन कुजूर को अंकित पाल को हॉकी की कलाकारी के साथ समझबूझ से साथी खिलाड़ियों के लिए आगे गेंद बढ़ानी होगी।
हमारे खिलाड़ी ध्यान कांसा जीतने पर लगाएं :श्रीजेश
‘मैं अब अपनी टीम के खिलाड़ियों से यही कहूंगा कि अपना पूरा ध्यान अर्जेंटीना के खिलाफ कांस्य पदक मैच जीतने पर लगाए क्योंकि जूनियर हॉकी विश्व कप से खाली हाथ लौटने ज्यादा दर्द देगा। कांस्य पदक के साथ जूनियर पुरुष विश्व कप से विदा होना खाली हाल लौटने से बेहतर होगा। अर्जेंटीना के खिलाफ कांस्य पदक के लिए मैच में उतरने पर मेरी अपनी टीम को बस यही सलाह है कि वे उसके खिलाफ जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल की गलतियों को दोहराने से बचे और उसे बीच मैदान से उसे हमले बोलने का मौका न दें।- पीआर श्रीजेश, भारत की जू पुरुष हॉकी टीम के चीफ कोच