भारत के पास स्पेन से पूल मैच की हार का हिसाब चुका जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में कांसा जीतने का मौका

  • भारत को जीतना है तो पेनल्टी कॉर्नर बनाने के साथ भुनाने भी होंगे

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : स्ट्राइकर उत्तम सिंह की अगुआई वाली भारतीय टीम के पास अब स्पेन से पूल सी में मिली 1-4 की हार का हिसाब चुका कर के खिलाफ एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप के शनिवार को तीसरे- चौथे स्थान के लिए खेला जाने वाला मैच जीत कर कांसा जीतना का मौका है। पूल सी में पहले स्थान पर रहने वाली स्पेन और दूूसरे स्थान पर रही भारत की जूनियर टीमें अपने अपने सेमीफाइनल हार खिताब की होड़ से बाहर होने के बाद अब कांसा जीत खाली हाथ घर जाने से बचना चाहेंगी। वहीं पूल बी में अपने तीनों मैच के साथ क्वॉर्टर फाइनल व सेमीफाइनल भी जीत फ्रांस की जूनियर टीम अपना अजेय क्रम जारी रखते हुए छह बार चैंपियन रह चुकी जर्मनी की जूनियर टीम के खिलाफ पूल मैच की 2-0 की जीत को फाइनल में भी दोहरा कर नया इतिहास रचने के इरादे से उतरेगी।

स्पेन ने मौजूदा जूनियर विश्व कप के पूल मैच से सहित भारत से आठ में पांच मैच जीते हैं। भारत की जूनियर टीम के कप्तान उत्तम सिंह ने कहा, ‘ जर्मनी से हार कर फाइनल में न पहुंच पाना निराशाजनक है लेकिन हम अब हार को पीछे छोड़ चुके हैं। अब हमारे पास बस स्पेन के खिलाफ मैच के रूप में एक मैच बाकी है और हमारा पूरा फोकस इसमें जीत दर्ज करने पर है।’

भारत की जूनियर टीम के कोच सीआर कुमार ने कहा, ‘हम वाकई फाइनल में खेलना पसंद करते लेकिन अब हमारा पूरा फोकस स्पेन के खिलाफ जीत के साथ कांसा जीतने पर है। हम इस कांस्य पदक मुकाबले में अपनी पूरी क्षमता से खेलेंगे।

भारत की जूनियर टीम के कप्तान उत्तम सिंह ने बतौर स्ट्राइकर अनुकरणीय खेल दिखाया है। खासतौर पर प्रतिद्वंद्वी टीम के हमलों के वक्त हड़बड़ी में गड़बड़ी , नाजुक वक्त पर गलती कर हरा या पीला कार्ड लेकर बाहर होने के साथ खासतौर पर जर्मनी और स्पेन की जूनियर टीमों के खिलाफ अहम खिलाडिय़ों का बाहर होना और पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने के लिए सही रणनीति के अभाव में गोल करने से चूका भारत को 13 वें जूनियर विश्व कप में खासा महंगा पड़ा है। भारत की जूनियर टीम को स्पेन से जीतना है मैदानी गोल करने के साथ पेनल्टी कॉर्नर बनाने के साथ उन्हें को गोल में बदलना होगा।

भारत की जूनियर हॉकी टीम कोच सीआर कुमार के पास पेनल्टी कॉर्नर पर प्रतिद्वंद्वी टीमों की रक्षापंक्ति और गोलरक्षकों की मुस्तैदी से निपट कर उनके किले को भेद कर गोल करने की रणनीति का अभाव नजर आया है। जर्मनी की जूनियर टीम सेमीफाइनल भले ही भारत की जूनियर टीम से 4-1 से जीती हो लेकिन मैच का स्कोर यह नहीं दर्शाता की पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में भारत के ड्रैग फ्लिकर रोहित व अमनदीप लाकरा में विविधता का अभाव के साथ कोच सीआर कुमार का अरिजित सिंह हुंदल को न आजमाना समझ से परे रहा है। भारत 2021 के संस्करण में अपने घर में फ्रांस से पूल मैच में 4-5 से तथा फिर कांस्य पदक मुकाबले में 1-3 से हार कर कांस्य पदक जीतने से चूक गया था।

भारत की जूनियर टीम को स्पेन को हरा कर कांसा जीतना है तो उसकी रक्षापंक्ति में सुनील जोजो, आमिर अली, रोहित व अमनदीप लाकरा को डी के भीतर ज्यादा चतुराई से गेंद को बाहर करना होगा साथ ही अरिजित सिंह हुंदल, तीन-तीन गोल करने वाले स्ट्राइकर आदित्ज अर्जुन लालगे और ड्रैग फ्लिकर और रशर रोहित, दो-दो गोल करने वाले कप्तान उत्तम सिंह, सौरभ कुशवाहा के साथ बॉबी सिंह धामी और आक्रामक मिडफील्डर विष्णुकांत सिंह को ज्यादा चतुराई से पूरी ताकत आक्रमण पर झोंकनी होगी।
शनिवार : कास्य पदक मैच : भारत जू.वि. स्पेन जू.(दोपहर बाद साढ़े तीन बजे)