भारत का फाइनल में पलड़ा भारी, जरूरत है जापान के खिलाफ चौकस रहने की

  • भारत की ताकत स्ट्राइकर मनदीप व अभिषेक के साथ ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत
  • भारत के लिए रोहिदास की रशर, ड्रैग फ्लिकर व फुलबैक के रूप में भूमिका अहम
  • लंबे स्कूप से स्ट्राइकरों के लिए प्रतिद्वंद्वी की डी में पहुंचाने की भारत की रणनीति कारगर
  • भारत को ध्यान बढ़त लेने के बाद इसे बराबर और बढ़ाने पर लगाना होगा
  • जरूरत जापान के स्ट्राइकर कातो,तनाका व मितानी की घेरेबंदी करने की

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अनुभवी स्ट्राइकर मनदीप सिंह, ललित उपाध्याय और नौजवान अभिषेक ने सही वक्त पर मैदानी गोल करने के साथ बराबर पेनल्टी कॉर्नर दिलाए और इनका बतौर ड्रैग फ्लिकर उसके कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने ‘ब्रह्मास्त्र’ के रूप में पूरा इस्तेमाल कर गोल कर भारतीय पुरुष हॉकी टीम को हंगजू(चीन) में सेमीफाइनल सहित अजेय रह कर ‘जीत’ के छक्के साथ 19 वें एशियाई खेलों के फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। भारत की ताकत उसके मनदीप, ललित और अभिषेक जैसे स्ट्राइकरों हॉकी की कलाकारी और हरमनप्रीत सिंह सहित खतरनाक ड्रैग फ्लिकरों की त्रिमूर्ति के साथ बतौर टीम उसका बेहद फिट होना है । भारतीय हॉकी टीम मैच को जिस रफ्तार से शुरू करती है उसी से खत्म करने का भी दम रखती है। 13 वीं बार एशियाई खेलों फाइनल में पहुंचने वाली दुनिया की तीसरे नंबर की टीम भारत के सामने अब शुक्रवार को जवाबी हमले बोलने में माहिर आखिर तक टक्कर देने का जज्बा रखने वाली मौजूदा चैंपियन जापान की टीम होगी। पूरे रंग में चल रहे भारत का पलड़ा फाइनल में भारी है, लेकिन जरूरत जापान के खिलाफ पूरी तरह चौकस रहने की है। भारत और जापान दोनों ही स्वर्ण जीत सीधे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने के मकसद से उतरेंगे और ऐसे में फाइनल में बेहद रोमांचक मुकाबले की उम्मीद है।भारत और जापान 2013 से अब तक 27 बार आमने सामने हुए हैं इनमें भारत 22 और जापान मात्र तीन बार जीता है जबकि दो मैच ड्रॉ रहे। भारत ने तीसरी और आखिरी बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक 2014 में इंचियोन में सरदार सिंह की कप्तानी तें जीता था। भारत ने एशियाई खेलों में पहली बाद स्वर्ण 1966 में जकार्ता में और फिर 32 बरस बाद 1998 में दुबारा जकार्ता में ही धनराज पिल्लै की कप्तानी में जीता था।

भारत के लिए अमित रोहिदास की भूमिका ‘बतौर’ रशर पेनल्टी कॉर्नर को रोकने, ड्रैग फ्लिकर के रूप में गोल करने के साथ बतौर डिफेंडर जापान के हमलों को नाकाम करने के लिहाज बेहद अहम होगी। भारत ने फाइनल तक के अपने सफर में छह मैचों में कुल 63 गोल किए हैं और इनमें 50 -मनदीप सिंह (12),हरमनप्रीत सिंह (11), अभिषेक (8), वरुण कुमार (8), ललित उपाध्याय(7) और अमित रोहिदास (चार)- छहों ने मिल कर दागे हैं। सबसे अहम बात यह है कि भारत के लिए इन खेलों में अब तक उसके 18 में से 15 खिलाडिय़ों ने गोल किए हैं। कप्तान हरमनप्रीत ,वरुण कुमार, अमित रोहिदास और सुमित की अपनी डी से प्रतिद्वंद्वी टीम की ‘डी’ में लंबे स्कूप से अपने स्ट्राइकरों के लिए गेंद आगे बढ़ा प्रतिद्वंद्वी टीम को छकाने की भारत की रणनीति खासी कारगर रही है। बस भारत के दोनों गोलरक्षकों पीआर श्रीजेश और कृष्ण बहादुर पाठक के साथ जर्मनप्रीत सिंह अकेले खिलाड़ी हैं, जो गोल नहीं कर पाए हैं। भारत के सबसे अच्छी बात यह है कि मनदीप, अभिषेक ने मैदानी गोल और रोहिदास ने पेनल्टी कॉर्नर पर अहम मौकों पर गोल कर उसे बढ़त दिलाने के साथ दबाव हटाने में मदद की है। जापान की टीम भी भी बहुत हद दक्षिण कोरिया की तरह जवाबी हमलों और गोल करने के लिए पेनल्टी कॉर्नर पर निर्भर करती है। भारत ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सेमीफाइनल में पहले ही क्वॉर्टर में 3-0 की बढ़त लेने के बाद इसे और बढ़ाने की बजाय बरकरार रखने की जो गलती की उससे उसे शुक्रवार को फाइनल में जापान के खिलाफ बचना होगा। भारत को ‘खोल’ में जाने की बजाय बढ़त को बराबर और बढ़ाने की रणनीति जापान के खिलाफ अपनानी होगी। भारत के पास कप्तान हरमनप्रीत सिंह बेशक दुनिया के सबसे बेहतरीन और खतरनाक फ्लिकर हैं लेकिन जापान शोता यमादा को बतौर ‘रशर’ तैनात कर उन्हें रोकने की कोशिश करेगा। भारत की खुशकिस्मती है उसके पास कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ बतौर ड्रैग फ्लिकर अमित रोहिदास और वरुण कुमार के रूप दो और ऐसे विकल्प हैं जो सही वक्त पर गोल करना जानते हैं।

भारत ने जापान को अपने पूल ए मैच में बेशक 4-2 से शिकस्त दी थी लेकिन जापान ने 0-4 से पिछडऩे के बाद जेंको मितानी के पेनल्टी कॉर्नर पर और उसके लिए इन खेलों में सबसे ज्यादा गोल करने वाले स्ट्राइकर कातो रयोसी (सात गोल) ने आखिरी तीन मिनट में दो गोल दागे उससे भारत उसके खिलाफ अब फाइनल में आखिरी क्षण तक किसी भी तरह की ढील गवारा नहीं कर सकता है। भारत को बतौर टीम किले की मजबूत चौकसी की जरूरत है। कप्तान हरमनप्रीत के गोल भारत पिछडऩे के बाद जापान को चेन्नै में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में पूल मैच में एक-एक की बराबरी पर रोक पाया था लेकिन सेमीफाइनल में उसने बदली रणनीति से आक्रामक हॉकी खेल उसे जरूर 5-2 से शिकस्त थी।

भारत को जापान की ताकत उसके स्ट्राइकर कातो रयोसी के साथ दो ड्रैग फ्लिकर राइकी फुजियामा (छह गोल) और केन नागायोशी (3 गोल) सर्न तनाका (2)व जेंकी मितानी (तीन गोल )हैं। जापानी ड्रैग फ्लिकरों के फ्लिक को रोकने के लिए भारत के पास खासतौर पर अमित रोहिदास और मनप्रीत के रूप में बेहतरीन ‘रशर’ हैं। जापान के स्ट्राइकर कातो, सर्न तनाका व जेंकी मितानी की भारत को मजबूत घेरेबंदी करनी होगी। भारत की मध्यपंक्ति में मनप्रीत सिंह, विवेक सागर प्रसाद और नीलकांत शर्मा को पूरी तरह चौकस रहना होगा। लिंकमैन शमशेर और आक्रामक सेंटर हाफ हार्दिक सिंह को टीम की ‘धुरी’ के रूप में बराबर साथी स्ट्राइकर मनदीप, ललित, अभिषेक ,गुरजंट और सुखजीत के लिए गेंद आगे बढ़ा गोल करने में मदद करनी होगी। भारत की अग्रिम पंक्ति में खासतौर पर मनदीप, अभिषेक और सुखजीत की तारीफ करनी होगी कि प्रतिद्वंद्वी टीम के हमलों के वक्त से ये सभी भी अपनी रक्षापंक्ति की मदद के लिए पीछे आते हैं।

पूरा विश्वास है हम फाइनल भी जीतने में कामयाब रहेंगे : हरमनप्रीत
भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने जापान के खिलाफ फाइनल की पूर्व संध्या पर कहा, ‘ जब भी आप किसी भी बड़े मैच में खेलने उतरते है तो बेेशक कुछ बैचेनी तो होती ही है। हमने एशियाई खेलों के लिए लंबे समय तक तैयारी की है और अब वह अहम क्षण आ गया है। एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत सीधे 2024 के ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना हमेशा से हमारा लक्ष्य रहा है। हम जापान को पूल मैच हरा चुके हैं और इससे हम अब उसके खिलाफ फाइनल में पूरे आत्मविश्वास से उतरेंगे।हम बतौर टीम किसी भी प्रतिद्वंद्वी को कभी हल्के मे नहीं लेते हैं। जापान एक मजबूत टीम है। जापान हमसे पूल मैच की हार का हिसाब बराबर करने को बेताब होगा और इससे फाइनल किसी समय पलट सकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब हम डी में पहुंचे और वहांजो मौके बनाए उनसे पूरी तरह भुनाएं। जो टीम दबाव बेहतर ढंग से झेलेगी वही फाइनल में बेहतर स्थिति में होगी। बतौर टीम हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम फाइनल का दबाव हम हावी न हो और हम खुल कर खेलें और इसका पूरा लुत्फ उठाएंगे। हम यदि ऐसा करने में कामयाब रहे तो मुझे पूरा विश्वास है हम फाइनल भी जीतने में कामयाब रहेंगे।’

जीत और हार के लिए एक गोल ही काफी, जरूरत चौकस रहने की : फुल्टन
भारत के चीफ कोच क्रेग फुल्टन ने कहा, ‘ हमने मौजूदा एशियाई खेलों में बढिय़ा प्रदर्शन किया है। हमारा सेमीफाइनल सहित छह मैचों में 63 गोल करना और मात्र आठ खाना यह दर्शाता है कि हमारे हमले तो धारदार रहे ही हैं हमने अपने किले की भी बहुत मुस्तैदी से चौकसी की है। फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में जीत और हार के लिए बस एक गोल ही निर्णायक हो सकता है। ऐसे में हमें जरूरत पूरी तरह चौकस रहने की है। हमें अपने प्रतिद्वंद्वी को गोल करने के आसान मौके देने से बचना होगा और हमें अपने किले की हर लिहाज से मजबूत चौकसी करनी होगी। हमारे लिए यह वाकई बढिय़ा हमारी पूरी टीम ही हमला बोल गोल पर सही निशाने लगा रही है। यह दर्शाता है कि हमारा हर खिलाड़ी जब भी मुमकिन हो अपनी जगह बदल कर बेहतर प्रदर्शन को बेताब है। यदि आपके प्रतिद्वंद्वी के जेहन में बराबर यह रहे कि आपकी टीम में हर कोई गोल करने में सक्षम है तो वह दबाव में होती है। हम पूरी लय और जज्बे से खेल फाइनल में जापान के खिलाफ भी जीत हासिल करने में कामयाब रहेंगे, जैसी हमने अब तक हासिल की है।’