- भारत की कोशिश पेरिस ओलंपिक में दस पदक जीतने की
- सिंधू व श्रीजेश पेरिस ओलंपिक में यादगार प्रदर्शन को बेताब
- पेरिस ओलंपिक का रंगारंग उदघाटन समारोह शुक्रवार को रात को होगा
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत वर्ल्ड और मौजूदा ओलंपिक चैंपियन 26 बरस के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से अपने सुनहरे प्रदर्शन को 2024 के पेरिस ओलंपिक में भी दोहराने की आस में शुक्रवार को अपना अभियान शुरू करेगा। भारत ने 2020 में टोक्यो में नीरज के इकलौते स्वर्ण सहित कुल साल पदक जीत ओलंपिक के इतिहास का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। भारत की कोशिश पेरिस ओलंपिक में इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दस पदक जीतने की होगी।भारत को पेरिस ओलंपिक में भारत को टोक्यो ओलंपिक से ज्यादा पदक जीतने हैं तो खासतौर पर उसके निशानेबाजों को पिछली बार से बेहतर और सटीक निशाने लगाने होंगे। पेरिस ओलंपिक में भारत के 117 एथलीट हॉकी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, घुड़सवारी, गोल्फ, टेनिस, टेबल टेनिस, रोइंग, सेलिंग, तैराकी , जुडो सहित कुल 16 खेलों में 69 पदकों के लिए अपनी किस्मत आजमाएंगे। भारत के 72 ए़थलीट बार ओलंपिक में शिकरत करेंगे। पेरिस ओलंपिक का रंगारंग उदघटान समारोह शुक्रवार भारतीय समयानुसार रात 11 बजे से रिवर सिने में होगी। ओलंपिक के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब इसका उदघाटन समारोह स्टेडियम के भीतर नही होगी। ओलंपिक में शिरकत करने वाले देशों की परंपरागत परेड फ्रांस की राजधानी के बीचोबीच बहने वाली रिवर सिने के साथ होगी।
भारत की पेरिस ओलंपिक में पदक की सबसे बड़ी आस उसके जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा हैं। पूरा भारत नीरज से अपने करियर में पहली बार 90 मीटर से भी दूर भाला फेंक पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन कर 6 अगस्त को एक बार फिर पेरिस ओलंपिक में सुनहरी कामयाबी को दोहराने की उम्मीद कर रहा है। नीरज चोपड़ा को जेवलिन थ्रो में अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखने की राह में जर्मनी के मैक्स डेनिंग से चुनौती मिल सकती है। मैक्स ने इसी साल फरवरी में सबसे कम उम्र में 90 मीटर जेवलिन फेंकने का गौरव हासिल किया था। नीरज चोपड़ा का टोक्यो ओलपिक में बेस्ट थ्रो 89 .94 मीटर रहा था।
पेरिस में भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू अपना लगातार तीसरा ओलंपिक पदक जीतने की कोशिश में होंगी। अपने लगातार चौथे व आखिरी ओलंपिक में शिरकत करने जा रहे हॉकी टीम के गोलरक्षक पीआर श्रीजेश एक बार फिर मुस्तैद प्रदर्शन कर पेरिस ओलंपिक में भी भारत को पदक जिताने में बेताब होंगे।
भारतीय निशानेबाज खासे अनुभवी हैं और टोक्यो ओलंपिक की नाकामी अब उन्हें पेरिस ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करने को प्रेरित करेगी। कुश्ती के गद्दे के बाहर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह से ’कुश्ती‘ के चलते चाहे विनेष फोगाट और या अंतिम पांघल के सामने पदक जीतना नामुमकिन न सही लेकिन खासा मु्श्किल रहने वालाहै। बैडमिंटन में पुरुष युगल में भारत के पास सात्विक साईराज और चिराग शेट्टी के रूप में पुरुष युगल में बेशक दुनिया की नंबर एक जोडी है और बीते करीब डेढ़ बरस से बराबर सधा प्रदर्शन कर ओलंपिक पदक की उम्मीद जगाई है।
नीरज चोपड़ा के कोच क्लाउस बार्तोनिज का कहना है कि उनके शार्गिद की मांसपेशी की चोट अब ठीक है और वह पेरिस ओलंपिक में अपना डंका बजाने को तैयार हैं। नीरज चोपड़ा बेशक पेरिस ओलंपिक में भारत की पदक जीतने की सबसे बड़ी उम्मीद है। मुक्केबाज लवलिना बोरगोहन, निखत जरीन, बैडमिंटन में रियो ओलंपिक की रजत तथा टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता पीवी सिंधु से सिंगल्स तथा सात्विक साइराज -चिराग शेट्टी की जोड़ी से पुरुष डबल्स, भारोत्तोलन में मीरा बाई चानू, हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में पुरुष हॉकी टीम यदि अपने पूल बी में शीर्ष दो में रहती है तो उससे कम से कम अपना कांसा बरकरार रखने, निशानेबाज सिफ्त कौर सामरा, दो बार ओलंपिक में शिरकत कर चुकी पहलवान विनेश फोगट व अंतिम पांघल से पदक के रूप में इस बार ओलंपिक में भारत अपने पदकों का आंकड़ा दहाई में पहुंचाने की उम्मीद कर सकता है। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा बेशक टोक्यो ओलंपिक की सुनहरी कामयाबी को पेरिस में दबाव होगा लेकिन बेहद शांत के सामने दुनिया का हर धुरंधर जेवलिन थ्रोअर दबाव में होगा। नीरज की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह मैदान पर एक बार खेलने उतर कर बेहद शांत रहते हैं। नीरज खुद ओलंपिक के दबाव से वाकिफ हैं उन्हें नाजुक वक्त पर संयम रख कर बाजी पलटने खूब आता है। एक बात तो उनके आलोचक तक मान रहे हैं दबाव में उनका प्रदर्शन और ज्यादा निखरता है। नीरज से पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की आस करने वाले भारतीय खेल प्रेमियों को यह दुआ करनी होगी वह इस बार भी यह कामयाबी दोहरा कर इतिहास रच देंगे। भारत ने बेशक पुरुष हॉकी में अब तक सबसे ज्यादा आठ स्वर्ण जीते हैं लेकिन वैयक्तिक स्पर्द्धा में अब तक उसका कोई भी खिलाड़ी लगातार दो बार स्वर्ण पदक नहीं जीत सका है ,लेकिन नीरज चोपड़ा लगातार दूसरी बार जेवलिन में स्वर्ण पदक जीत नया इतिहास लिख सकते हैं।नीरज चोपड़ा की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी वह ओलंपिक जैसे खेल के सबसे बड़े मंच के दबाव से बखूबी वाकिफ हैं और उन्होंने ठीक ही कहा अपना जेवलिन थ्रो का स्वर्ण पदक बरकरार रखने के लिए जोश के साथ होश भी जरूरी है। नीरज चोपड़ा की जेवलिन थ्रोअर के रूप में सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह निरंतर बढ़िया प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं और बराबर 86 से 89 मीटर तक जेवलिन फेंक रहे हैं और यही उनकी ताकत है। नीरज चोपड़ा को इस बार पेरिस ओलंपिक में खुद बढ़िया प्रदर्शन के साथ भारतीय एथलीटों से भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है।