राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए G20 के डीनर निमंत्रण पत्र से गायब हुआ ” इंडिया”,” लिखा ” भारत”,मचा हंगामा

संदीप ठाकुर

जी-20 के दौरान राष्ट्रपति भवन की ओर से आगामी 9 सितंबर काे रात्रि भोज
का आयोजन किया जाएगा। यह रात्रिभोज नए बने ‘भारत मंडपम’ में होगा । इस
भोज के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर से देश के गणमान्य लाेगाें काे भेजे गए
निमंत्रण पत्र में किया गया बदलाव देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।
काेई छाेटा मोटा बदलाव नहीं किया गया है बल्कि आज तक इस्तेमाल होते आ रहे
इंडिया शब्द काे ही हटा दिया गया है। ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह
‘प्रेजिडेंट ऑफ भारत’ कर दिया गया है। यानी निमंत्रण पत्र में इंडिया
शब्द को हटा भारत का इस्तेमाल किया गया है। X ( ट्वीटर ) पर #भारत ट्रेंड
कर रहा है। विपक्षी दलों ने ये आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार देश के नाम
के तौर पर ‘इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल बंद कर रही है और इसे अब केवल
‘भारत’ कहे जाने की योजना बना रही है। साफ शब्दाें में समझने की काेशिश
करें ताे देश का नाम बदलने की चर्चा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि संसद
के विशेष सत्र में देश का आधिकारिक नाम ‘भारत’ किए जाने का प्रस्ताव लाया
जा सकता है। विपक्षी दलों के इन आरोपों पर केंद्र सरकार या राष्ट्रपति
कार्यालय की ओर से खबर लिखे जाने तक किसी तरह की आधिकारिक प्रतिक्रिया
नहीं आई थी।

राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 समिट का आयोजन होने जा रहा
है। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से
विभिन्न राजनीतिक दलों, प्रमुख संगठनों एवं जानी-मानी हस्तियों को न्योता
भेजा जा रहा है। यह रात्रिभोज नए बने ‘भारत मंडपम’ में होने वाला है।
लेकिन लेटर हेड पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’
लिखे होने पर विवाद हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस
पर आपत्ति दर्ज कराई तो पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी
इंडिया और भारत पर संविधान का हवाला दे दिया। दोनों नेताओं ने संविधान के
अनुच्छेद 1 में वर्णित भारत के ‘राज्यों का संघ’ होने का जिक्र किया है।
इसके बाद सोशल मीडिया पर ‘आर्टिकल 1’ ट्रेंड करने लगा। लोग चर्चा कर रहे
हैं कि आखिर संविधान के अनुच्छेद में इंडिया और भारत के बारे में क्या
कहा गया है। ‘आर्टिकल 1’ में लिखा है ‘इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक
संघ है।’ सोशल मीडिया पर ये निमंत्रण पत्र वायरल हो रहा है। विपक्षी दलों
का ये आरोप है कि बीजेपी ‘इंडिया’ गठबंधन से डर गई है तो दूसरी तरफ़
सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का कहना है कि ‘भारत’ नाम के इस्तेमाल में
कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि ये संविधान का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी
नेता जयराम रमेश ने कहा,संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा है: ‘भारत जो कि
इंडिया है, राज्यों का संघ होगा. लेकिन अब अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर
हमला किया जा रहा है।” पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर
ने कहा, “काेंग्रेस काे हर चीज़ से समस्या होती है। मैं उन्हें कुछ नहीं
कहना चाहता। मैं एक भारतवासी हूं। मेरे देश का नाम भारत है और हमेशा भारत
रहेगा। यदि कांग्रेस को इससे समस्या है तो उन्हें इसका इलाज करना चाहिए.”
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने अपने ट्विटर अकाउंट से इस कथित
निमंत्रण पत्र का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है कि ये देश किसी एक
राजनीतिक पार्टी का नहीं है। ये 135 करोड़ भारतीयों का है। हमारी
राष्ट्रीय पहचान बीजेपी की निजी संपत्ति नहीं है जिसे अपनी मर्जी से बदल
दिया जाए।”

प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड,
हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, भारत, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और
इंडिया। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भारत रहा है। पौराणिक
मान्यताओं को आधार मानने पर भारत नाम के पीछे दुष्यंत व शकुंतला के बेटे
भरत का जिक्र आता है। ऐतरेय ब्राह्मण में इसका जिक्र है कि भरत ने चारों
दिशाओं को जीतने के बाद अश्वमेध यज्ञ किया जिसके चलते उनके राज्य को
भारतवर्ष कहा गया। बाद में इसी पर देश का नाम भारत पड़ा।