सीता राम शर्मा ” चेतन “
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकन व्यवस्था में बेलगाम नौकरशाही, मनमानी और उससे उपजी अव्यवस्था में प्रभावी बदलाव और सुधार लाने के लिए एक नई सरकारी एजेंसी ‘डाॅज’ डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी सरकारी दक्षता विभाग के निर्माण की घोषणा करते हुए अपने बड़े सहयोगी एलन मस्क और भारतीय मूल के विवेक रामास्वमी को डाॅज की महत्वपूर्ण कमान सौंपी है । डाॅज बनाने का कारण और अभिप्राय यह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ समय से यह महसूस किया था कि अमेरिका में नौकरशाही अनियंत्रित और कम जवाबदेह हो गई है । उस पर नियंत्रण लगाने और उसे ज्यादा जवाबदेह बनाने के साथ डाॅज का काम गैर जरुरी और अनावश्यक अत्यधिक सरकारी खर्चों को नियंत्रित करने के साथ उसका आधुनिकीकरण करना भी होगा । स्वाभाविक रूप से ऐसे समाचार पढ़कर एक भारतीय चिंतक, लेखक, राजनीतिज्ञ और सजग नागरिक के मन-मस्तिष्क में यह विचार कौंधता है और नहीं कौंधता है तो आवश्यक रुप से कौंधना चाहिए कि डाॅज जैसी एजेंसी की जरूरत तो आज अमेरिका से ज्यादा भारत को है । दुर्भाग्य से अब तक इस समाचार पर भारतीय बुद्धिजीवियों और राजनीतिज्ञों ने ना तो बहुत ज्यादा गंभीरतापूर्वक विचार किया है और ना ही अपने विचार लिखे, व्यक्त किए हैं ! स्पष्ट है कि इस शिकायत पर उनका पक्ष भी स्पष्ट होगा कि यह भारत के लिए कोई नया विषय नहीं है । भारत के लिए बेलगाम नौकरशाही और भ्रष्टाचार कोई समस्या नहीं यह तो इस देश की व्यवस्था की आत्मा है । जिसकी पूरी वास्तविकता ना दिखाई देती है और ना ही दिखाई जा सकती है ! यह सर्वत्र और सर्वव्यापी सिद्ध सत्य है क्योंकि यह हमारी सरकारी व्यवस्था के साथ लोकाचरण का भी अभिन्न हिस्सा है ! इस समस्या को समस्या मानने वाले लोग बहुत कम हैं । सौभाग्य से इन चंद गिने-चुने लोगों में एक हमारे देश के प्रधानमंत्री भी हैं । उन्होंने कई बार स्पष्ट और सांकेतिक रूप से इस बात का अपना अनुभव भी सार्वजनिक मंचों से साझा किया है ।
भारत को विकसित भारत बनाने की बात इन दिनों खूब हो रही है । भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात भी खूब होती है । ऐसे में यह जानना समझना आवश्यक है कि व्यवस्था को पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त, सुशासन युक्त और शत-प्रतिशत जवाबदेह व्यवस्था बनाने की तमाम बातें या कवायद क्या नौकरशाह को जवाबदेह और ईमानदार बनाए बिना पूरी की जा सकती है ? जवाब बहुत सरल और स्पष्ट है – नहीं । गौरतलब है कि किसी भी व्यक्ति, अधिकारी या शासक को जवाबदेह और ईमानदार बनाने का सबसे कारगर तरीका उस पर अंकुश लगाने वाली एक व्यवस्था के बिना संभव नहीं हो सकता । अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बेलगाम नौकरशाही को नियंत्रित करने के लिए डाॅज बना दिया है पर क्या भारत में मोदी ऐसा कुछ करेंगे ? मोदी कई बार भारतीय नौकरशाही पर सार्वजनिक मंचों से खुलकर अपनी बात और राय रख चुके हैं । वह मानते हैं कि भारतीय नौकरशाह मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक को अपने हिसाब से चलाने और मैनेज करने में माहिर हैं । सच्चाई भी यही है कि भारत में प्रशासनिक भ्रष्टाचार राजनीतिक भ्रष्टाचार का भी एक मुख्य बड़ा कारण और माध्यम रहा है । भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार खत्म करने का सबसे सरल मार्ग भी प्रशासनिक भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा । दलगत कमजोरियों के बावजूद मोदी, योगी और गड़करी जैसे कुछ नेता इसी का प्रयास कर रहे हैं । उन्हें भारत की केंद्रीय और राज्य स्तरीय नौकरशाही व्यवस्था में व्यापक सुधार हेतु डाॅज जैसी सरकारी एजेंसी बनाने के महत्व को समझना होगा । हालाकि ऐसा करना भारत के लिए अमेरिका से बहुत अधिक मुश्किल है क्योंकि एक तरफ जहां अमेरिका की कुल जनसंख्या और उसके लिए नौकरशाह की संख्या भारत से बहुत कम है तथा ट्रंप की चिंता में बेलगाम नौकरशाह की जो स्थिति होगी भारत में वह स्थिति अमेरिका से कुछ नहीं बहुत ज्यादा बड़ी और भयावह है तो दूसरी तरफ अमेरिका में भ्रष्ट और बेलगाम नौकरशाह और राजनीतिज्ञों के पापी गठजोड़ का संकट भी भारत से बहुत छोटा और कम होगा इसलिए भारत में नौकरशाह पर अंकुश लगाने के लिए जिस राजनीतिक ईमानदारी और इच्छाशक्ति की जरूरत होगी वह मोदी जैसे नेतृत्व के लिए भी बहुत मुश्किल और जोखिम भरा काम होगा । हां, अपनी कमियों, कमजोरियों या मजबूरियों से सीखते हुए वे आगामी नेतृत्व और टीम के लिए इसकी तैयारी जरुर कर सकते हैं । उन्हें राष्ट्रहित और विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य हेतु इसकी तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिए । उसके लिए फिलहाल डाॅज जैसी संस्था के निर्माण और नौकरशाह पर अंकुश लगाने तथा उसे ज्यदाके जवाबदेह बनाने के लिए कुछ कठोर कानून अवश्य बनाने चाहिए । मुझे लगता है इसका प्रारंभ सरकारी नौकरी में प्रोबेशन पीरियड को खत्म करना तथा कर्तव्यहीनता, कदाचार और भ्रष्टाचार की स्थिति में सेवा समाप्ति का कानून लागू करना सबसे सरल और अधिक कारगर तरीका सिद्ध होगा । असंभव कुछ भी नहीं इसी सिद्धांत और विश्वास पर ऐसा सोचा, लिखा, कहा और किया जा सकता है ।