- लोमंस की सलाह के बाद हरमनप्रीत खो बैठे ड्रैग फ्लिक में लय
- राज कुमार पाल ने साबित किया शुरू से टीम में जगह के हकदार थे
- भारत को सिमरनजीत, दिलप्रीत और गुरजंट जैसे स्ट्राइकरों की कमी
सत्येन्द्र पाल सिंह
भुवनेश्वर : 1975 के चैंपियन भारत के हॉकी विश्व कप में 48 बरस बाद फिर पदक जीतने के सपने के टूटने पर चीफ कोच ग्राहम रीड की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। भारत ने रीड के बेवजह के प्रयोगों और जिद की कीमत न्यूजीलैंड के खिलाफ रविवार को क्रॉसओवर में 3-1 की बढ़त ले जीत के दरवाजे पर दस्तक के बाद सडनडेथ में हार के साथ पदक की होड़ से बाहर होकर चुकाई। टोक्यो ओलंपिक में भारत को कांसा दिलाने में पेनल्टी कॉर्नर दिलाने के साथ सही वक्त पर खुद गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह(3), गुरजंट सिंह (3)और दिलप्रीत सिंह (2) जैसे अनुभवी धुरंधर स्ट्राइकरों को चीफ कोच रीड द्वारा विश्व कप के लिए नजरअंदाज करना भारत को महंगा पड़ा। संभवत: यही भारत के लिए फिर पदक चूकने का बड़ा कारण बना। रीड ने सिमरनजीत सिंह को टोक्यो ओलंपिक के लिए शुरू में भारत के 16 खिलाडिय़ों में न रखकर रिजर्व खिलाडिय़ों में रखा। कोरोना के बाद नियमों में ढील के चलते रीड ने सिमरनजीत सिंह और वरुण कुमार को टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में शामिल किया। इन दोनों ने अहम मौकों पर गोल कर भारत को जर्मनी के खिलाफ जीत दिला कांसा जिताने में अहम भूमिका निभाई। आठ बार के चैंपियन भारत ने यदि टोक्यो ओलंपिक में 41 बरस के लंबे वक्त के बाद कांसा नहीं जीता तो तब ओलंपिक के बाद ही रीड के लिए अपने पद पर बना रहना मुश्किल हो जाता।
राज कुमार पाल को यहां ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह के साथ विश्व कप के लिए शुरू में भारत के 18 खिलाडिय़ों में न चुन कर दो वैकल्पिक खिलाडिय़ों रखा गया था। हार्दिक की जांघ में मांसपेशी में खिंचाव के कारण बाहर होने पर वैकल्पिक खिलाड़ी राज कुमार पाल नेे भारत के लिए न्यूजीलैड के खिलाफ विश्व कप क्रॉसओवर में मौका मिलते ही निर्धारित समय में बढिय़ा खेल दिखाने के साथ शूटआउट और सडनडेथ में एक-एक गोल कर साबित किया कि वह शुरू से ही भारत के 18 खिलाडिय़ों में जगह पाने के हकदार थे। हार्दिक के चोट के चलते बाहर होने पर राज कुमार पाल को भारत की 18 सदस्यीय टीम में शामिल करने पर रीड ने उनके हॉकी कौशल और पीछे बचाव में रक्षापंक्ति के लिए पीछे आने की कूवत को सराहा था। इससे इस बात पर मुहर लग गई कि राज कुमार पाल को शुरू में भारत की विश्व कप टीम में न चुनना बड़ी गलती थी। सभी भारतीय हॉकी प्रेमियों को इस बात का मलाल रहेगा कि जब तक राज कुमार को टीम में शामिल कर गलती सुधारी गई तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
स्ट्राइकरसुखजीत सिंह और फुलबैक नीलम संजीप खेस की विश्व कप के लिए भारत की 18 सदस्यीय टीम में जगह ही नहीं बनती थी। टोक्यो ओलंपिक की टीम में शामिल रहे अनभुवी ललित उपाध्याय से गुरजंट सिंह या दिलप्रीत सिंह तथा मध्यपंक्ति में अब तक विश्व कप में जूझते नजर आ रहे नीलकांत शर्मा और विवेक सागर प्रसाद से निश्चित रूप से राजकुमार शुरू से फिट हार्दिक सिंह के साथ बेशक बेहतर विकल्प रहते। भारत ने तीन पूल मैच और एक क्रॉसओवर सहित कुल चार मैचों में नौ गोल किए और पांच गोल खाए। शूटआउट और सडनडेथ में किए गोल किसी भी खिलाड़ीं के खाते में नहीं जाते हैं और इसलिए उनको नहीं गिना। भारत ने क्रॉसओवर तक सहित चार मैचों कुल मिलने वाले 26 पेनल्टी कॉर्नर में से पांच को गोल बदला और इनमें मात्र दो को सीधे ड्रैग फ्लिक से वरुण और हरमनप्रीत ने गोल में बदला। हरमनप्रीत ने जिस पेनल्टी कॉर्नर पर सीधे गोल किया तब गोल किया तब वेल्स ने अपने गोलरक्षक को बाहर बुला लिया था। बाकी पेनल्टी कॉर्नर पर तीन गोल रिबाउंड पर शमशेर, सुखजीत और अमित रोहिदास ने दागे। भारत के लिए सबसे ज्यादा दो मैदानी गोल आकाशदीप सिंह ने किए जबकि ललित उपाध्याय और हार्दिक सिंह ने भी एक एक मैदानी गोल किया। हरमनप्रीत सिंह के फ्लिक पर गेंद गोलरक्षक तो छोड़ ही दीजिए बमुश्किल घिसट कर प्रतिद्वंद्वी फुलबैक तक पहुंच पाई। एफआईएच प्रो लीग में सबसे ज्यादा गोल करने वाले कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह की बतौर ड्रैग फ्लिक कोच बुलाए गए नीदरलैंड के ब्रेम लोमंस ने शैली ऐसा क्या बदली की वह मात्र एक पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने को छोड़ गोल को भेदनेे को तरस गए। हरमनप्रीत दरअसल पेनल्टी कॉर्नर पर बढिय़ा अचूक तेज ड्रैग फ्लिक लगा खूब करने में सफल रहे जबकि मेहमान की तरह आए डै्रग फ्लिक उस्ताद लोमंस का उंचे फ्लिक से गोल करने का हरमनप्रीत को सिखाया दांव उलटा पड़ा। भारत को ब्रेम लोमंस को ड्रैग फ्लिक कोच के रूप में यदि बुलाना ही था तो विश्व कप से दो महीने बुलाना चाहिए था। भारत के विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहने का कारण चीफ कोच रीड और कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर का पूरा इस्तेमाल न करना माना जरूर लेकिन साथ ही कह कर इससे बचने की भी कोशिश की लेकिन केवल यही एकमात्र कारण नहीं था। चीफ कोच रीड और कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह भारत के इस विश्व कप क्रॉस ओवर में हार के साथ क्वॉर्टर फाइनल में न पहुंच पाने की जिम्मेदारी लेते तो इन दोनों की इज्जत बढ़ जाती। बदकिस्मती से रीड यह कह कर पल्ला झाड़ गए कि अब उनका ध्यान जर्मनी के खिलाफ एफआईएच प्रो लीग मैचों पर है।
विश्व कप जैसे बड़े मंच पर क्रॉस ओवर जैसे मुकाबले अक्सर शूटआउट में खिंच जाते हैं लेकिन इसके लिए टीम के पास स्पष्टï रणनीति होनी चाहिए कि इसमें 23 मीटर से 8 सेकंड के भीतर कौन प्रतिद्वंद्वी गोलरक्षक को छका गोल कौन करेगा। विश्व कप, ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसे बड़े मंच पर शूटआउट के लिए कोच और कप्तान को मालूम होना चाहिए कि इसके लिए उसके पांच सर्वश्रेष्ठï खिलाड़ी कौन से हैं। इसके लिए एक बनाम एक यानी गोलरक्षक और इस पर गोल करने के लिए जाने वाले स्ट्राइकर के लिए टीम में हॉकी की कलाकारी दिखाने खिलाड़ी को ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए। भारत के पास इस लिहाज से अनुभवी आकाशदीप सिंह, ललित उपाध्याय, मनदीप सिंह, मनप्रीत सिंह न्यूजीलैंड के खिलाफ शूटआउट में सबसे बेहतर विकल्प थे लेकिन इन तीनों को नजरअंदाज कर शमशेर, अभिषेक, सुखजीत सिंह और कप्तान हरमनप्रीत और राज कुमार और कप्तान हरमनप्रीत सिंह को शूटआउट में गोल करने के लिए चुनना रीड की बड़ी गलती थी। शमशेर का सुखजीत का शूटआउट और सडनडेथ दोनों में तथा कप्तान अभिषेक का शूटआउट में कप्तान हरमनप्रीत व सुखजीत का शमशेर के साथ गोल करने में नाकाम रहना बताता है कि उन्हें अपनी टीम में हर खिलाड़ी की सही ताकत का ही मालूम नहीं है।
भुवनेश्वर मंगलवार के मैच
क्वार्टर फाइनल
ऑस्ट्रेलिया वि. स्पेन (4.30 बजे से)
बेल्जियम वि. न्यूजीलैंड (शाम 7 बजे)