भारत को जल्द लेनी चाहिए आईसीसी की सदस्यता

India should take ICC membership soon

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ की ओर से विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय न्याय को सुनिश्चित करने में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय-आईसीसी की भूमिका पर हुई विचार गोष्ठी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ की ओर से विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय न्याय को सुनिश्चित करने में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय-आईसीसी की भूमिका पर हुई विचार गोष्ठी में विधि संकाय के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने कहा कि आईसीसी के प्रति जागरूकता बढ़ाना आज के वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। आईसीसी का मुख्य उद्देश्य गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों जैसे- नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाना है। आईसीसी के कार्य और उसकी प्रक्रिया को समझना आवश्यक है, ताकि दुनिया भर के लोग जान सकें कि कैसे यह संस्थान अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रवर्तन में मदद करता है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रो. दीक्षित बोले, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के प्रति जागरूकता बढ़ाने से न केवल अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ संघर्ष को मजबूत किया जा सकता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि पीड़ितों को न्याय मिले और अपराधियों को उनके कृत्यों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाए। जागरूकता के माध्यम से हम एक अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण विश्व की ओर बढ़ सकते हैं। उल्लेखीनीय है, भारत अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का सदस्य नहीं है, ऐसे में उसे आईसीसी की अविलंब सदस्यता लेनी चाहिए। इससे आईसीसी को और भी अधिक मजबूती मिलेगी, क्योंकि भारत इस समय में विश्व स्तर में एक प्रभावी भूमिका रखता है। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय विधि के विशेषज्ञ श्री बिश्नानन्द दुबे के अलावा विधि संकाय के डॉ. मनीष यादव, डॉ. अमित वर्मा, डॉ. सौरभ बटार, डॉ. प्रदीप कश्यप, प्रो. अरुणो राज सिंह, डॉ. योगेश गुप्ता, डॉ. सुशीम शुक्ल, डॉ. कृष्णा मोहन मालवीय, डॉ. राधा विज आदि उपस्थित रहे। संचालन लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार सिंह ने किया।