
अशोक भाटिया , मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को बार – बार टैरिफ बढ़ाने की धमकी का करारा जवाब दिया है । मोदी ने दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए कहा कि किसानों का हित भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी ने सम्मेलन में कहा, ”मुझे किसानों के हितों की रक्षा के लिए कीमत चुकानी पड़ेगी तो मैं इसके लिए तैयार हूं।” बताते चलें कि अमेरिका, व्यापार वार्ता की शुरुआत से ही भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश करने की मांग कर रहा है। लेकिन भारत ने अमेरिका को पहले ही स्पष्ट शब्दों में कहा दिया था कि वो कृषि और डेयरी सेक्टर के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे।
ज्ञात हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ के अलावा अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है। इसका मतलब ये हुआ कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगने जा रहा है। ट्रंप ने बुधवार को इस संबंध में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की वजह ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने को बताया है। लेकिन इसमें एक ट्विस्ट भी है। 7 अगस्त से भारत पर केवल 25 फीसदी टैरिफ ही लगेगा। अतिरिक्त शुल्क इसके 21 दिन बाद से लगना शुरू होगा।
दरअसल 30 जुलाई 2025 को ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद 6 अगस्त को उन्होंने एक और बड़ा फैसला लिया और भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। ट्रंप ने इसका कारण भारत द्वारा रूस से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से कच्चे तेल की खरीद को बताया। इस फैसले के बाद अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू होगा।शुरुआती 25% टैरिफ 7 अगस्त 2025 से लागू हो रहा है, जबकि अतिरिक्त 25% टैरिफ 21 दिन बाद, यानी 27 अगस्त से लागू होगा। यह पहली बार है जब ट्रंप ने “सेकेंडरी टैरिफ” का इस्तेमाल किसी ऐसे देश पर किया है जो रूस से व्यापार कर रहा है।
बताया जता है कि 50 फीसदी टैरिफ का असर सीधे तौर पर ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम पर पड़ेगा। इसके अलावा स्टील, केमिकल और फार्मा इंडस्ट्री के प्रोडक्ट्स भी अभी के मुकाबले काफी महंगे हो जाएंगे। इस टैरिफ से भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र जैसे कि टेक्सटाइल व परिधान, रत्न व आभूषण, सीफूड (झींगे आदि), चमड़ा के जूते, रासायनिक पदार्थ और इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल मशीनरी बुरी तरह प्रभावित होंगे। हालांकि, कुछ क्षेत्रों को छूट दी गई है जैसे कि दवाएं, ऊर्जा उत्पाद जैसे कि कच्चा तेल, गैस, कोयला, बिजली के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में शामिल कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टीवी आदि।
जानकार मानते हैं कि लंबे समय के बाद अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी में रह रहे लोगों का जेब खर्च भी बढ़ेगा। भारत से अमेरिका को सर्वाधिक निर्यात करने वाले शीर्ष तीन उद्योग इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न एवं आभूषण तथा फार्मास्यूटिकल्स हैं, जिन पर अब सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
मौजूदा समय में अमेरिका भारत का सबसे पहला निर्यात गंतव्य स्थल है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत ने अमेरिका को 25.52 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 की समान तिमाही में 20.89 बिलियन डॉलर था। जबकि अमेरिका से 12.86 अरब डॉलर का आयात हुआ है जो बीते वित्तीय वर्ष की समान तिमाही में 11.52 बिलियन डॉलर का रहा था।
उधर, भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक है, जो दुनिया की कपास जरूरतों का 23 फीसदी से ज़्यादा पूरा करता है। यही कारण है कि देश का कपड़ा उद्योग मजबूती से फल-फूल रहा है। भारत में सूती धागे जैसे अत्यधिक मांग वाले उत्पाद बनते हैं। धागों के अलावा कई किस्म के कपड़े और गार्मेन्ट्स की भारी मांग है। अमेरिका को निर्यात होने वाले भारतीय सामानों में इसका सातवां स्थान है जिसका कुल मूल्य करीब 2.64 अमेरिकी अरब डॉलर है।
विभिन्न बासमती किस्म के चावल, मुख्य रूप से रॉयल शेफ सीक्रेट, दावत सुपर और पारंपरिक बासमती, संयुक्त राज्य अमेरिका को भेजे जाते हैं। बासमती चावल, भैंस के मांस के बाद सर्वाधिक कृषि निर्यात किए जाने वाला कृषि उत्पाद समुद्री खाद्य है। भारत से अमेरिका हर साल 3,00,000 से 3,50,000 टन बासमती चावल खरीदता है। इस क्रम में अन्य वस्तुएं जैसे तिलहन, अरंडी का तेल और प्रसंस्कृत फल, मसाले और काजू का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इस निर्णय के जरिए भारत पर द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द अंतिम रूप देने का दबाव बना रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत औद्योगिक वस्तुओं, ई-वाहन, कृषि उत्पाद, डेयरी, जीएम फसलों के साथ-साथ शराब जैसे क्षेत्रों में आयात शुल्क कम करे। दाम बढ़ने से इनकी मांग में कमी आएगी और फिर अमेरिकी इंपोर्टर भारतीय सामानों पर इंपोर्ट करना कम कर देंगे या भारतीय एक्सपोर्टर्स पर कम कीमत में सामान देने का दबाव बनाएंगे।इससे इंडस्ट्री को भी नुकसान पहुंचेगा और भारतीय बिजनेसमैन प्रभावित होंगे। हालांकि ट्रंप का टैरिफ कुछ आवश्यक वस्तुओं पर नहीं लागू होगा। ट्रंप ने ये भी कहा है कि अगर भारत ने जवाब देने की कोशिश की, तो उस पर टैरिफ और बढ़ा दिया जाएगा। अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ अमेरिका की तरफ से लगाया गया वह फाइन है, जिसकी घोषणा ट्रंप ने कुछ समय पहले की थी।इन टैरिफ्स के लागू होने के बाद भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ना तय है। भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ सकता है और इसका असर व्यापारियों तक भी पहुंच सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि भारत इस मुद्दे को किस तरह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है और अमेरिका के साथ डिप्लोमैटिक स्तर पर बातचीत किस दिशा में जाती है।
अगर भारत और अमेरिका जल्द समझौता नहीं करते तो भारतीय निर्यातक भारी नुकसान का सामना कर सकते हैं। यह टैरिफ नीति अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में नए तनाव की शुरुआत बन सकती है। भारत के लिए यह राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौती भी साबित हो सकती है।भारत ने इस कदम को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और एकतरफा दंडात्मक बताया है। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, “हम पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत की ऊर्जा खरीद नीतियां बाजार की स्थितियों और देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं पर आधारित हैं। यह चिंताजनक है कि अमेरिका ने केवल भारत को निशाना बनाया, जबकि अन्य देश जो राष्ट्रीय हित में रूस से खरीदारी कर रहे हैं उन्हें बख्श दिया गया है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”
भारतीय निर्यात महासंघ के डीजी अजय सहाय ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि अमेरिका का यह कदम बेहद चौंकाने वाला है। इससे अमेरिका को भारत के कुल निर्यात का 55% हिस्सा प्रभावित होगा।” वहीं, HDFC बैंक की अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता का कहना है कि अगर कोई समाधान नहीं निकलता तो हमें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी अनुमान को 6% से नीचे लाना होगा।
हाल फ़िलहाल अमेरिका से भारत में करीब 1.11 अरब डॉलर (करीब 9737 करोड़ रुपये) के फल और मेवे आते हैं। इसमें कैलिफोर्निया के बादाम नंबर वन पर हैं। इनके बाद अखरोट, पिस्ता और सेब भारत में खूब मंगाए जाते हैं। इसमें Crest Container Lines, Summit Almonds,Hilltop Ranch कंपनी के बादाम भारत में आते हैं।भारत ने 447.08 मिलियन डॉलर (करीब 3,920 करोड़ रुपये) के पेय पदार्थ और शराब अमेरिका से आयात किए। प्रीमियम व्हिस्की और क्राफ्ट स्पिरिट्स मेट्रो शहरों के बार और होटलों में बिकते हैं। अमेरिकी ब्रांड्स जैसे Jim Beam और Maker’s Mark शामिल हैं।लगभग 22.54 मिलियन डॉलर (करीब 197.32 करोड़ रुपये) के पैकेज्ड फूड जैसे कैन्ड फ्रूट्स, सॉस और रेडी-टू-ईट प्रोडक्ट्स भारतीय बाजार में खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।अमेरिका से भारत में 83।97 मिलियन डॉलर की सब्जियां आती हैं, जिनमें खासतौर पर प्रोसेस्ड पोटैटो और वे सब्जियां शामिल हैं जो यहां आसानी से नहीं मिलतीं।अमेरिकी चॉकलेट्स और कन्फेक्शनरी का भी क्रेज कम नहीं है। 20.55 मिलियन डॉलर के इम्पोर्ट्स से साफ है कि इंडियन फेस्टिव सीजन इनके बिना अधूरा है।शायद आपको हैरानी हो, लेकिन भारत में करीब 2.53 मिलियन डॉलर के सीरियल्स और 751.48 हजार डॉलर के सीरियल-बेस्ड ब्रेकफास्ट प्रोडक्ट्स आते हैं। कॉर्नफ्लेक्स से लेकर ओट्स तक सब अमेरिकी ब्रांड्स से भरे पड़े हैं।
क्यों ऐसी हरकतें कर रहा अमेरिका के बारे में बताया जा रहा है कि अमेरिका इस कार्रवाई से भारत पर दबाव बनाना चाहता है ताकि भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते में अमेरिकी मांगें माने, जिसमें कृषि, डेयरी और जीएम फूड्स पर रियायतें शामिल हैं। भारत इन मांगों को छोटे किसानों के हितों को देखते हुए स्वीकार नहीं करना चाहता। अब तक दोनों देशों के बीच 5 दौर की बातचीत हो चुकी है। अगली मीटिंग 25 से 29 अगस्त के बीच भारत में होगी।
पूर्व डिप्लोमैट अनिल त्रिगुणायत के अनुसार ट्रंप जिस तरह की बातें कर रहे हैं उससे लग रहा कि निजी दुश्मनी निकाल रहे हों। न कोई ठोस नीति, न कोई समझदारी। बातचीत की कोशिश भी नहीं। अमेरिका का रूस के साथ ट्रेड बेहद कम है, इसलिए वह उन देशों को निशाना बना रहे हैं जो मास्को से व्यापार कर रहे हैं, जैसे भारत। त्रिगुणायत ने खुलासा किया कि भारत और अमेरिका के बीच एक ट्रेड फॉर्मूला 6 जुलाई तक लगभग तय हो चुका था, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने उसे ठुकरा दिया और अमेरिकी वार्ताकारों को दोबारा सेशुरुआत करने को कह दिया। उन्होंने सवाल उठाया, अगर आप बातचीत को फिर से शुरू कर रहे हैं, तो एकतरफा प्रतिबंध दोबारा क्यों लगाए जा रहे हैं?
गौरतलब है कि ट्रंप एक ओर भारत को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी ओर ब्राजील उनके खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन पहुंच गया है। ट्रंप ने ब्राजील को भी इसी तरह से धमकाया था और अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी। ब्राजील की लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा सरकार से जुड़े सूत्रों ने AFP को बताया है कि डब्ल्यूटीओ से शिकायत की गई है।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार