भारत@2025: सामर्थ्य, संतुलन और संकल्प का निर्णायक दौर

India@2025: A decisive era of strength, balance and resolve

2025 भारत के लिए केवल उपलब्धियों का वर्ष नहीं बल्कि आत्मनिर्भर आत्मविश्वास के परिपक्व होने का प्रतीक रहा। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अर्थव्यवस्था, रक्षा, अंतरिक्ष, डिजिटल नवाचार, स्वास्थ्य और शिक्षा, हर क्षेत्र में भारत ने सिद्ध किया कि वह अब संभावनाओं का देश नहीं बल्कि परिणाम देने वाली शक्ति है।

योगेश कुमार गोयल

अर्थव्यवस्था से अंतरिक्ष तक भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियां

भारत के लिए वर्ष 2025 केवल एक कैलेंडर वर्ष नहीं बल्कि एक ऐसे संक्रमणकाल का प्रतीक बनकर उभरा, जिसने देश की विकास यात्रा को नई दिशा, नई भाषा और नया आत्मविश्वास दिया। यह वह वर्ष रहा, जब भारत ने न केवल अपनी आंतरिक क्षमताओं को सुदृढ़ किया बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक परिपक्व, स्थिर और निर्णायक शक्ति के रूप में अपनी पहचान को और गहराया। अर्थव्यवस्था, रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल नवाचार, बुनियादी ढ़ांचा, ऊर्जा, स्टार्टअप और खेल, लगभग हर क्षेत्र में भारत की प्रगति ने यह स्पष्ट कर दिया कि देश अब केवल संभावनाओं का राष्ट्र नहीं बल्कि परिणाम देने वाला, नीति-आधारित और दीर्घकालिक दृष्टि से संचालित राष्ट्र बन चुका है। वैश्विक परिदृश्य 2025 में किसी भी दृष्टि से आसान नहीं था। दुनिया आर्थिक मंदी की आशंकाओं, ऊर्जा संक्रमण के दबाव, आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता और तीव्र होती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से जूझ रही थी। ऐसे समय में भारत का स्थिर, संतुलित और आत्मविश्वासी प्रदर्शन इस बात का संकेत बना कि देश अब वैश्विक परिस्थितियों का केवल अनुसरण करने वाला नहीं बल्कि कई मामलों में दिशा तय करने की क्षमता भी रखता है। भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि यही रही कि तेज विकास और रणनीतिक परिपक्वता के बीच संतुलन साधते हुए उसने अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक स्थायित्व को प्राथमिकता दी।

आर्थिक मोर्चे पर 2025 भारत के लिए मजबूती का वर्ष रहा। वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत तक पहुंचना केवल एक आंकड़ा नहीं था बल्कि यह घरेलू मांग, सार्वजनिक निवेश और संरचनात्मक सुधारों की संयुक्त शक्ति का प्रमाण था। अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि ने यह संकेत दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अपनी आंतरिक गतिशीलता बनाए रखने में सक्षम है। केंद्रीय बैंक द्वारा वृद्धि अनुमान को 7.3 प्रतिशत तक संशोधित किया जाना आर्थिक लचीलेपन और नीति-विश्वसनीयता को दर्शाता है। लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर के आकार के साथ भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल रैंकिंग का विषय नहीं बल्कि वैश्विक आर्थिक शक्ति-संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रतीक है।

विनिर्माण क्षेत्र में 2025 ने एक प्रकार से पुनर्जागरण का संकेत दिया। वर्षों से सेवा क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता के बाद अब विनिर्माण को विकास का मजबूत स्तंभ बनाने की दिशा में ठोस प्रगति दिखाई दी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में विनिर्माण उत्पादन की 4.26 प्रतिशत वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में निरंतर सुधार यह दर्शाता है कि उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने की रणनीति धरातल पर उतर रही है। इलैक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का 115 अरब डॉलर तक पहुंचना और निकट भविष्य में इसके तीव्र विस्तार की संभावना भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने की भूमिका निभा रही है।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 2025 ने भारत को एक नई वैश्विक पहचान दी। यह वर्ष केवल प्रक्षेपणों की संख्या या तकनीकी प्रयोगों तक सीमित नहीं रहा बल्कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की भूमिका के गुणात्मक परिवर्तन का वर्ष बना। बड़े और जटिल संचार उपग्रहों की सफल तैनाती ने यह स्थापित किया कि भारत अब केवल किफायती लॉन्च सेवाओं तक सीमित नहीं है बल्कि उच्च-मूल्य और तकनीकी रूप से जटिल वाणिज्यिक मिशनों का भरोसेमंद साझेदार बन चुका है। इन-ऑर्बिट सैटेलाइट डॉकिंग जैसी उन्नत क्षमता का सफल प्रदर्शन भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों, उपग्रह सेवा विस्तार और गहरे अंतरिक्ष अभियानों की आधारशिला है। मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में किए गए परीक्षण, स्वदेशी अंतरिक्ष-ग्रेड माइक्रोप्रोसेसर का विकास और छोटे उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक का निजी क्षेत्र को हस्तांतरण, ये सभी संकेत देते हैं कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब नवाचार, आत्मनिर्भरता और निजी भागीदारी के नए युग में प्रवेश कर चुका है।

रक्षा क्षेत्र में 2025 को सुधार और आत्मनिर्भरता के निर्णायक वर्ष के रूप में देखा जा सकता है। सैन्य ढ़ांचे के आधुनिकीकरण के साथ-साथ संयुक्त युद्ध क्षमता को मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास किए गए। थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतर समन्वय के लिए एकीकृत कमांड संरचना की ओर बढ़ना भविष्य की युद्ध आवश्यकताओं के अनुरूप एक रणनीतिक कदम है। नौसेना में नई पनडुब्बियों की तैनाती, स्वदेशी लड़ाकू विमानों की श्रृंखलाबद्ध आपूर्ति और रक्षा बजट में दीर्घकालिक निवेश यह स्पष्ट करता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आयात-निर्भरता से बाहर निकलकर घरेलू क्षमता निर्माण पर जोर दे रहा है। यह केवल सैन्य शक्ति का प्रश्न नहीं बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता का आधार भी है।

बुनियादी ढ़ांचे के विकास ने 2025 में भारत के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। सड़क, रेल, बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के विस्तार ने न केवल आवागमन को सुगम बनाया, बल्कि क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने की दिशा में भी भूमिका निभाई। राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार, सीमावर्ती सड़कों का निर्माण और तटीय विकास परियोजनाओं का क्रियान्वयन भारत को घरेलू रूप से अधिक एकीकृत और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अधिक सक्षम बना रहा है। यह निवेश केवल निर्माण गतिविधि तक सीमित नहीं बल्कि रोजगार सृजन, लागत में कमी और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का माध्यम भी है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत ने 2025 में वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान को और मजबूत किया। डिजिटल भुगतान प्रणालियों का अभूतपूर्व विस्तार, लेनदेन की बढ़ती संख्या और मूल्य तथा तकनीकी नवाचार ने यह सिद्ध किया कि भारत केवल डिजिटल उपभोक्ता नहीं बल्कि डिजिटल समाधान प्रदाता भी है। डिजिटल भुगतान में निरंतर वृद्धि, उच्च-मूल्य लेनदेन की सुविधा और वैश्विक स्तर पर भारत की डिजिटल प्रणालियों की स्वीकार्यता, भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की अग्रणी भूमिका की झलक देती है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में 2025 का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि स्वास्थ्य सेवा को अधिकार के रूप में सुलभ बनाने की दिशा में ठोस प्रगति हुई। लाखों नागरिकों तक स्वास्थ्य बीमा और उपचार की पहुंच, निजी स्वास्थ्य खर्च में उल्लेखनीय कमी और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों तक विस्तार, ये सभी संकेत देते हैं कि सामाजिक कल्याण अब केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं बल्कि वास्तविक जीवन में प्रभाव डाल रहा है। स्वास्थ्य अवसंरचना में किया गया निवेश दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता को मजबूत कर रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में 2025 ने यह स्पष्ट किया कि ज्ञान और अनुसंधान को राष्ट्रीय विकास का केंद्र बनाने की रणनीति पर गंभीरता से काम हो रहा है। उच्च शिक्षा संस्थानों के विस्तार, नई सीटों का सृजन, अनुसंधान पार्कों की स्थापना और संकाय क्षमता में वृद्धि, ये सभी कदम आने वाले वर्षों में भारत की मानव पूंजी को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेंगे। स्टार्टअप पारिस्थितिकी में 2025 परिपक्वता का वर्ष रहा। यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या, उनके मूल्यांकन और निवेश आकर्षित करने की क्षमता यह दर्शाती है कि भारत का उद्यमी तंत्र अब केवल संख्या पर नहीं बल्कि गुणवत्ता और स्थायित्व पर भी केंद्रित है। महानगरों के साथ-साथ नए क्षेत्रों में स्टार्टअप गतिविधियों का विस्तार एक व्यापक उद्यमी संस्कृति के निर्माण की ओर संकेत करता है।

खेल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी 2025 ने यह दिखाया कि भारत बहुआयामी विकास की दिशा में अग्रसर है। युवा खिलाड़ियों की अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियां और स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में निरंतर वृद्धि, दोनों ही भारत के भविष्य को अधिक सशक्त, टिकाऊ और आत्मविश्वासी बनाती हैं। समग्र रूप से देखें तो 2025 भारत के लिए केवल उपलब्धियों का वर्ष नहीं बल्कि आत्मनिर्भर आत्मविश्वास के परिपक्व होने का वर्ष रहा। यह वह समय रह जब भारत ने यह सिद्ध किया कि वह संकटों के बीच भी अवसर गढ़ सकता है, अनिश्चितताओं के बीच स्थिरता बनाए रख सकता है और वैश्विक मंच पर अपने हितों को स्पष्ट, संतुलित और दृढ़ स्वर में प्रस्तुत कर सकता है। 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में 2025 एक ऐसा पड़ाव रहा, जिसने भरोसा दिया कि लक्ष्य कठिन जरूर है पर दिशा सही है। आने वाले वर्षों में इस गति को बनाए रखना, समावेशिता और उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ना ही भारत की सबसे बड़ी चुनौती और सबसे बड़ी संभावना दोनों होगी।