दीपक कुमार त्यागी
- सीटीआई ने केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखा पत्र
- कनाडा की आर्थिक रूप से कमर तोड़ना जरूरी
- सालाना 5 लाख टन मसूर दाल का कनाडा से आयात करता है भारत
- दाल आयात के लिए अमेरिका, रूस जैसे देशों के विकल्प तलाशने की जरूरत
भारत और कनाडा के बीच उत्पन्न विवाद का असर व्यापार जगत पर भी पड़ सकता है। देश में मसूर की दाल का सबसे बड़ा हिस्सा कनाडा से इंपोर्ट होता है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या का सनसनीखेज आरोप लगाया है। इससे भारतीय व्यापारी भी नाराज हैं।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि कनाडा को आर्थिक रूप से सबक सिखाने की जरूरत है।
सीटीआई ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। बृजेश गोयल ने कहा कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों का गढ़ बनता जा रहा है। वहां खुलेआम हिन्दुस्तान विरोधी पोस्टर लगते हैं। भारतीय दूतावास पर प्रदर्शन करते हैं। जस्टिन ट्रूडो वहां होने वाले चुनाव की वजह से भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं। अब कनाडा की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने की आवश्यकता है। भारत में सालना लगभग 23 लाख टन मसूर दाल की खपत होती है। घरेलू स्तर पर सालाना लगभग 15-16 लाख टन मसूर दाल का उत्पादन होता है और बाकी का आयात किया जाता है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने कनाडा से 37 करोड़ डॉलर मूल्य के 4.85 लाख टन मसूर दाल का आयात किया था।
बृजेश गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार को अब मसूर की दाल के लिए अन्य दूसरे देशों से संपर्क करना होगा। वैकल्पिक देशों से आयात होने वाली दाल की इंपोर्ट ड्यूटी घटानी होगी।
अमेरिका से दाल आयात पर 30 प्रतिशत का शुल्क लगता है जिसे खत्म कर देना चाहिए जिससे कि लोग अमेरिका से दाल का आयात कर सकें।
इसके अलावा रूस, सिंगापुर और तुर्किये जैसे देशों से भी मसूर दाल के इंपोर्ट की संभावना तलाशी जाए।