- भारत ने फाइनल में जापान को 5-1 से करारी शिकस्त दे श्रेष्ठïता साबित की
- हरमनप्रीत बने अपनी कप्तानी में भारत एशियाई खेलों में स्वर्ण जिताने वाले चौथे कप्तान
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : कप्तान हरमनप्रीत सिंह के पेनल्टी कॉर्नर पर बेहतरीन ड्रैग फ्लिक पर दागे दो, ऑलराउंडर अमित रोहिदास के एक तथा सबसे अनुभवी आक्रामक सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह और नौजवान स्ट्राइकर अभिषेक के एक -एक मैदानी गोल की बदौलत भारत की पुरुष हॉकी टीम ने पिछली विजेता जापान को हंगजू(चीन) में शुक्रवार को एशियाई खेलों के फाइनल मे 5-1 से हरा कर स्वर्ण पदक जीत लिया। भारत ने नौ बरस बार फिर एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के साथ सीधे 2024 पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों के क्वॉलिफाई कर लिया। भारत ने इस सुनहरी जीत के साथ जापान के खिलाफ अपनी श्रेष्ठïता साबित की। भारत की इस सुनहरी जीत का कोई एक हीरो नहीं था बल्कि पूरी टीम हीरो साबित हुई। भारत के सर्वकालीन महानतम गोलरक्षक दादा शंकर लक्ष्मण (1966, बैंकॉक), धनराज पिल्लै (1998 बैंकॉक) और सरदार सिंह ( 2014 , इंचियोन) के बाद बतौर ड्रैग फ्लिकर अनुकरणीय खेल दिखाने वाले हरमनप्रीत सिंह अपनी कप्तानी में एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक जिताने वाले चौथे कप्तान बन गए। जापान को भारत ने पूल ए मैच में भी 4-2 से हराया था। भारत ने पूल मैच में 4-0 की बढ़त लेने के बाद उसे बरकरार रखने की कोशिश में आखिरी तीन में दो गोल खाने की गलती से सबक लेकर आखिर तक आक्रामक खेल दिखाया। पराजित जापान के लिए एकमात्र गोल तीसरे और अंतिम पेनल्टी कॉर्नर पर सर्न तनाका ने अचूक ड्रैग फ्लिक से चौथे और आखिरी क्वॉर्टर के छठे मिनट में दागा।
आक्रामक सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह ने दूसरा क्वॉर्टर खत्म होने से पांच मिनट पहले डी के भीतर रिबाउंड पर गोल कर भारत का खाता खोला। भारत का दूसरे क्वॉर्टर में रणनीति बदल कर गेंद को धैर्य दिखा अपने कब्जे में रखना उसकी तुरुप चाल साबित हुआ। भारत की इस जीत में मध्यपंक्ति में सदाबहार हार्दिक सिंह, मनप्रीत सिंह, जर्मनप्रीत सिंह ,विवेक सागर प्रसाद की तारीफ करनी होगी कि बराबर आक्रामण और किले की चौकसी में टीम की मदद की। दक्षिण कोरिया के खिलाफ सेमीफाइनल में पैर में चोट के कारण भारत को फाइनल के लिए भरोसेमंद फुलबैक और ड्रैग फ्लिकर वरुण कुमार उपलब्ध नहीं थे लेकिन खासतौर पर बड़े जिगरे वाले सुमित ने अपने किले की चौकसी में कप्तान हरमनप्रीत और अमित रोहिदास के साथ दोनों गोलरक्षक पीआर श्रीजेश और कृष्ण पाठक की ही मौका ताड़ आगे बढ़ हमले बोलने में अपने साथी स्ट्राइकरों का पूरा साथ निभाया। भारत के सबसे अनुभवी मिडफील्डर को चीफ कोच क्रेग फुल्टन ने मैच की जरूरत के मुताबिक अग्रिम पंक्ति और मध्यपंक्ति की कड़ी के रूप में ठीक बीच में खिलाकर जापान के हमलों को नाकाम किया।
मनदीप सिंह, अभिषेक , ललित उपाध्याय, सुखजीत सिंह ने लिंकमैन शमशेर सिंह और मध्यपंक्ति में विवेक सागर प्रसाद द्वारा आगे बढ़ाई गेंद को संभाल आक्रामक अंदाज में आगाज किया। सुमित और मनप्रीत सिंह ने अपने किले की चौकसी के साथ मौका ताड़ कर आगे बढ़ कर जापान के गोल पर खुद हमले बोल दबाव बनाने की कोशिश की। भारत के स्ट्राइकर ललित , अभिषेक , गुरजंट और सुखजीत दूसरे क्वॉर्टर में बेहतर तालमेल खेले और दोनों छोर से हमले बोल कर जापान के गोल पर दबाव बनाया। सुखजीत और ललित उपाध्याय परस्पर गेंद को लेते डी में पहुंचे वहां ललित के तेज शॉट पर गेंद जापान के गोलरक्षक कातुमी कितागवा के पैड से लगकर बाहर आई लेकिन वहीं बाएं से तेजी से डी में मनप्रीत सिंह ने जोरदार रिवर्स हिट जमा गोल कर भारत को अंतत: दूसरा क्वॉर्टर खत्म होने से पांच मिनट पहले गोल कर 1-0 से आगे कर दिया। कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने अंतत: मिले लगातार तीसरे और पांचवें पेनल्टी कॉर्नर पर तीसरे क्वॉर्टर के दूसरे मिनट में बेहतरीन ड्रैग फ्लिक से गोल कर भारत की बढ़त 2-0 कर दी। ड्रैग फ्लिकर अमित रोहिदास ने चार मिनट बाद मिले छठे पेनल्टी कॉर्नर पर तेज अचूक ड्रैग फ्लिक से गोल कर भारत की बढ़त 3-0 कर दी।भारत के हमलों के नाकाम करने के लिए पूरी जापान की रक्षापंक्ति अपने किले की चौकसी पर लगी दिखी। आक्रामक सेंटर हाफ हार्दिक के दाएं से बेहतरीन क्रास पर अभिषेक ने डी के भीतर संभाल कर मैच का सबसे बेहतरीन मैदानी गोल कर भारत को मैच के 49 वें मिनट में 4-0 से आगे कर उसकी जीत निश्चित कर दी थी। जापान को 51 वें मिनट में लगातार दो पेनल्टी कार्नर मिले मिले इस पर सर्न तनाका ने तिरछे तेज फ्लिक से गोल में डाल कर स्कोर 1-4 कर दिया। युमा नगाई ने दाएं से गेंद को लेकर डी में पहुंच दो बार तेज शॉट जमाए लेकिन इन्हें गोलरक्षक पीआर श्रीजेश ने पैड से रोका रक्षापंक्ति में हरमनप्रीत, अमित रोहिदास ने जरा चूके और इसी का लाभ उठाकर जापान ने लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए। भारत को इसी तरह की ढील का जापान के खिलाफ लीग में मैच 4-0 की बढ़त के बाद दो गोल खाने के रूप में कीमत चुकानी पड़ी थी। अंतिम पूर्व मिनट में फाइनल के आखिरी पेनल्टी कॉर्नर पर कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने अपना दूसरा गोल कर भारत की जीत और स्वर्ण पदक पक्का कर जापान के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी।
हॉकी इंडिया ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के हर सदस्य को पांच-पाच लाख रुपये और सपोर्ट स्टाफ के हर सदस्य को ढाई -ढाई लाख रुपये बतौर इनाम देने की घोषणा की।