- भारत के हौसले बुलंद, लेकिन आज की हॉकी में जरा भी ढील की गुंजाइश नहीं
- भारत ने अनुभवी स्ट्राइकर आकाशदीप को बाहर रख बड़ा जुआ खेला है
- सुखजीत को बाहर रख कर आकाशदीप व ललित को साथ खिलाना बेहतर होता
- लक्ष्य एशियाई खेल में स्वर्ण जीत ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना: हरमनप्रीत
- एशियाई खेलों की चुनौती और भारत को गौरवान्वित करने को बेताब : फुल्टन
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर और मुस्तैद फुलबैक हरमनप्रीत सिंह की अगुआई वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम में हांगजू (चीन) एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत सीधे 2024 में पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने का दम है। भारत ने एशियाई खेलों में अब तक तीन बाद (1966, 1998 व 2014) तीन बार स्वर्ण, नौ बार रजत तथा तीन बार कांसा जीता है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम अपने अभियान का आगाज पूल ए में रविवार को उज्बेकिस्तान के खिलाफ हांगजू में मैच से करेगी। भारतीय पुरुष हॉकी टीम एफआईएच रैंकिंग में दुनिया की तीसरे नंबर पर है। हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में भारत के हौसले अगस्त में चेन्नै में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में फाइनल में पिछडऩे के बाद मलयेशिया को 4-3 से हरा खिताब जीतने बुलंद हैं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों में अपने सभी पूल मैच जीत शीर्ष पर रह कर सेमीफाइनल में ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह और वरुण कुमार के गोल से दो बार बढ़त लेने के बाद अंतिम पूर्व मिनट में मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत की चूक के चलते गोल खा निर्धारित समय में दो-दो की बराबरी के बाद सडनडेथ शूटआउट में 6-7 से हार सबसे बड़ा सबक है कि आज की हॉकी में किसी भी क्षण जरा सी भी ढील की गुंजाइश नहीं है। 2018 में आकाशदीप सिंह और हरमनप्रीत सिंह के गोल से भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हरा कर कांसा जीता था।
कप्तान और एशियाई खेलोंं में भारत के संयुक्त ध्वजवाहक हरमनप्रीत ने कहा, ‘अंतर्राष्टï्रीय मंच पर तिरंगे के लिए खेलना बड़े गौरव की बात है। हम एशियाई खेलों में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। हमारा इन खेलों के लिए अभ्यास सत्र खासा चुनौतीपूर्ण रहा और टीम का हर सदस्य पूरी तरह एकाग्र और समर्पित है। हमारा लक्ष्य एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत सीधे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना है।’
वहीं एशियाई खेलों के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम की रणनीति और कौशल को बेहतर करने में जुटे चीफ कोच क्रेग फुल्टन ने कहा,’एशियाई खेलों में टीम का एका और अनुशासन कामयाबी की कुंजी रहने वाला है। हम शिद्दत से तैयारी में जुटे हैं और हमारा पूरा ध्यान टीम वर्क और मानसिक मजबूती पर है। हमारी टीम के पास प्रतिभा है और जरूरत अपनी रणनीति को मैदान पर कारगर ढंग से अमली जामा पहनाने की है। हम एशियाई खेलों की चुनौती और भारत को गौरवान्वित करने को बेताब हैं।’
भारत ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी 2023 में केवल जापान के खिलाफ अपना पूल मैच ड्रॉ खेलने के उसे सेमीफाइनल में आसानी से हराने के बाद अजेय रह कर चैंपियन बनने का गौरव पाया था। भारत ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले और 2014 में इंचियन में भारत को शूटआउट में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले स्ट्राइकर आकाशदीप सिंह के साथ ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह को एशियाई खेलों के लिए टीम से बाहर कर वाकई बड़ा जुआ खेला है। आकाशदीप सिंह की जगह उन्हीं की तरह अनुभवी ललित कुमार उपाध्याय को तवज्जो देकर एशियाई खेलों के लिए चुनकर भारत ने बड़ा दांव खेला है। ललित की हॉकी की कलाकारी से कोई भी इनकार नहीं कर सकता लेकिन वह अब धीमे पड़ गए हैं। वहीं सुखजीत सिंह को बाहर रख कर ललित और आकाशदीप-दोनों को बतौर स्ट्राइकर टीम में चुना जाना बेहतर होता। खासतौर पर शूटआउट में भारत को आकाशदीप और ललित, दोनों की ही कलाकारी की जरूरत है। भारत की अग्रिम पंक्ति में अब अभिषेक और गुरजंट के रूप में दो अच्छे लंबे स्ट्राइकर हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि ये दोनों स्ट्राइकर अनुभवी मनदीप सिंह और ललित उपाध्याय के साथ नए चीफ कोच फुल्टन और भारतीय हॉकी प्रेमियों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि उसके पास लिंकमैन के रूप में शमशेर व उपकप्तान हार्दिक सिंह, मनप्रीत सिंह, विवेक सागर प्रसाद, नीलकांत सुमित के रूप में मध्यपंक्ति के चतुर खिलाड़ी हैं। रक्षापंक्ति में अनुभवी अमित रोहिदास, संजय, कप्तान हरमनप्रीत, वरुण व जर्मनप्रीत के साथ सदाबहार गोलरक्षक श्रीजेश और नीलकांत शर्मा हैं।
भारत की टीम पूल ए में उज्बेकिस्तान, सिंगापुर, जापान, पाकिस्तान और बांग्लादेश की टीमें हैं। भारत को अपने पूल में जापान और पाकिस्तान से चौकस रहना होगा। एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में भारत पिछडऩे के बाद कप्तान हरमनप्रीत सिंह के गोल से उसके खिलाफ पूल मैच एक-एक से ड्रॉ करा पाया था। भारत ने हालांकि एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में जापान को 5-0 से शिकस्त दी थी वहीं पाकिस्तान को पूल मैच में 4-0 से शिकस्त दी थी।बतौर फुलबैक और ड्रैग फ्लिकर संजय का चयन तो सही है लेकिन नाजुक मौकों पर बराबर गलती कर पीला कार्ड लेकर मैदान से बाहर होने वाले वरुण कुमार बजाय निश्चित रूप से जुगराज बतौर ड्रैग फ्लिकर और फुलबैक बेहतर होते। खैर यह फैसला भारतीय चयनकर्ताओं और नए चीफ कोच क्रेग फुल्टन का है। आलोचक इस चयन के लिए भले ही ठीकरा चयनकर्ताओं के सिर फोड़े लेकिन टीम के चयन चीफ कोच फुल्टन की सहमति है और वे भी इस बात से इनकार नहीं कर सके।
भारत की पुरुष हॉकी टीमों के मैचों के कार्यक्रम एवं समय
24 सितंबर: भारत वि. उज्बेकिस्तान, सुबह पौने नौ बजे से।
26 सितंबर : भारत वि. सिंगापुर , सुबह साढ़े छह बजे से।
28 सितंबर : भारत वि. जापान शाम सवा छह बजे से।
30 सितंबर : भारत वि. पाकिस्तान : शाम सवा छह बजे से।
2 अक्टूबर : भारत वि. बांग्लादेश, दोपहर सवा बजे से।
4 अक्टूबर: दोनों सेमीफाइनल व 11-12 वें व नौवें -दसवें स्थान के मैच।
(सुबह पौने आठ बजे से)।
6 अक्टूबर : फाइनल व सातवें-आठवें तथा तीसरे-चौथे स्थान के मैच (सुबह पौने आठ बजेे।
(सभी मैचों का समय भारतीय समयानुसार।)
भारत ने अब तक एशियाई खेलों में तीन बार जीता है स्वर्ण, नौ बार रजत
भारत ने अब तक एशियाई खेलों में कुल तीन बार- गोलरक्षक शंकर लक्ष्मण की कप्तानी में (1966 में बैंकॉक) में पाकिस्तान को फाइनल में 1-0 से ,फिर 32बरस बाद यानी 1998 में बेहतरीन स्ट्राइकर धनराज पिल्लै की कप्तानी में बैॅकॉक में दक्षिण कोरिया को फाइनल में निर्धारित और अतिरिक्त समय में स्कोर के 1-1 की बराबरी के बाद टाईब्रेकर में गोलरक्षक आशीष बलाल के पेनल्टी स्ट्रोक पर दो बेहतरीन बचाव की बदौलत 4-2 से तथा 16 बरस बाद 2014 में पाकिस्तान कों इंचियोन में पिछडऩे के बाद कोथाजीत सिंह के गोल से फाइनल में निर्धारित समय में एक-एक की बराबरी के बाद गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के पेनल्टी शूटआउट में दो बेहतरीन बचाव से 4-2 से हरा कर तीसरी बार खिताब जीत उससे पूल मैच की 1-2 की हार का हिसाब चुकता कर दिया था। भारतीय टीम ने कुल नौ बार एशियाई खेलों (1958, 1962, 1970, 1974,1978,1982, 1990,1994, 2002) रजत पदक, तीन बार कांसा (1986, 2010, 2018) जीता। और मात्र 2006 में दोहा में मलयेशिया को 4-0से हरा पांचवें स्थान पर रहकर मात्र एक बात कोई भी पदक नहीं जीता।