रत्नज्योति दत्ता
तिरुवनंतपुरम : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नौसेना दिवस के अवसर पर कहा कि भारत सतत विकास के लिए ब्लू इकोनॉमी की क्षमताओं का उपयोग कर रहा है और हिंद महासागर क्षेत्र समुद्री शांति व स्थिरता के लिए तेजी से एक सामरिक और महत्वपूर्ण क्षेत्र बनता जा रहा है।
उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत समुद्रों को खुला, स्थिर और नियम-आधारित बनाए रखने के अपने संकल्प पर दृढ़ है।
वसुधैव कुटुंबकम् की भावना का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत का समुद्री दृष्टिकोण “प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि सहयोगात्मक” है, जो साझा जागरूकता, क्षमता निर्माण और समुद्रों के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है।
मुर्मू तिरुवनंतपुरम के शंगुमुघम बीच पर नौसेना दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर आयोजित ऑपरेशनल डेमोंस्ट्रेशन (ऑप डेमो) को संबोधित कर रही थीं।
हिंद महासागर की वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत, जो इस समुद्री क्षेत्र के केंद्र में स्थित है, उसकी सुरक्षा और स्थिरता के लिए विशेष जिम्मेदारी निभाता है।
हर वर्ष 4 दिसंबर को मनाया जाने वाला नौसेना दिवस 1971 के युद्ध के दौरान कराची बंदरगाह पर भारतीय नौसेना के साहसिक हमलों और नौसैनिक कर्मियों के बलिदान को समर्पित है।
समुद्री मार्गों की सुरक्षा, समुद्री संसाधनों की रक्षा, अवैध गतिविधियों की रोकथाम और समुद्री अनुसंधान को सहयोग देकर भारतीय नौसेना सुरक्षित, समृद्ध और सतत समुद्रों की राष्ट्रीय परिकल्पना को सशक्त बनाती है, उन्होंने कहा।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नौसेना स्वदेशी तकनीकों को आगे बढ़ाती रहेगी और “विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने दोहराया कि भारतीय नौसेना “युद्ध के लिए तत्पर, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य-उन्मुख” फोर्स के रूप में भारत के समुद्री हितों की रक्षा “कभी भी, कहीं भी, किसी भी तरह” करने के लिए प्रतिबद्ध है।
देश की समुद्री विरासत से पुनः जुड़ने के हालिया प्रयासों को याद करते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने सिंधुदुर्ग और पुरी में हुए समारोहों का उल्लेख किया और केरल के ऐतिहासिक तटों के सामरिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया, जो सदियों से वैश्विक समुद्री संपर्क का केंद्र रहे हैं।
त्रिवांकूर के संस्थापक शासक मार्तंड वर्मा की विजयगाथाएँ और कुंजाली मरक्कारों के नेतृत्व में समुद्री प्रतिरोध, उन्होंने कहा, आने वाली पीढ़ियों के लिए धैर्य और दूरदर्शिता के स्थायी पाठ हैं।
इतिहासकार और रणनीतिकार सरदार के.एम. पणिक्कर के उद्धरण का संदर्भ देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि महान नौसेना का निर्माण केवल आधुनिक प्लेटफॉर्म से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय समुद्री चेतना से होता है—विशेषकर युवाओं में, जो भारत के भविष्य को आकार देंगे।
त्रिपाठी ने कहा कि यह ऑप डेमो नागरिकों को नौसेना की अनुशासन, सटीकता और टीम वर्क की झलक प्रदान करता है और युवाओं में गौरव तथा प्रेरणा उत्पन्न करता है।





