- विश्व कप में भारतीय टीम पदक के ‘अमृतपानÓ को तैयार
- हम पूल में डी में स्पेन और इंग्लैंड को कम नहीं आंक सकते हैं
- हमें ध्यान हर मैच में अपना सर्वश्रेष्ठï देने पर लगाना होगा
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अपने जमाने के बेहतरीन लेफ्ट आउट रहे पूर्व ओलंपियन जफर इकबाल और महरूम लेफ्ट इन मोहम्मद शाहिद की जोड़ी के हॉकी मैदान पर किस्से आज भी बीते जमाने के हॉकी धुरंधरों ही नहीं हॉकी के मुरीदों को आज भी रोमांचित करते हैं। भारत 15 वें एफआईएच हॉकी विश्व कप में पूल डी में शुक्रवार को अपना अभियान स्पेन के खिलाफ मैच से शुरू करेगा। भारत की निगाहें 1975 में क्वालालंपुर में आखिरी बार हॉकी विश्व कप जीतने के 48 बरस बाद अब अपने घर में पदक जीतने पर लगी हैं। भारत की 1980 में आठवीं और अंतिम बार मास्को ओलंपिक में स्वर्ण और 1978 में बैॅकॉक और 1982 में नई दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने तथा 1984 की लॉस एंजेल्स ओलंपिक में शिरकत करने वाली टीम के लेफ्ट आउट के रूप जफर इकबाल ने अपने एक दशक से लंबे अंतर्राष्टï्रीय हॉकी करियर में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
1975 में अशोक कुमार सिंह के गोल से भारत के पहली बार विश्व कप जीतने के तीन बरस यानी 1978 में जफर इकबाल पहली बार 1978 में ब्यूनर्स आयर्स हॉकी विश्व कप में खेले। 1978 में भारतीय हॉकी टीम विश्व कप में छठे स्थान पर रही थी। भारत की 13 जनवरी, 2023 से शुरू हो रहे पुरुष हॉकी विश्व कप में संभावनाओं की बाबत जफर इकबाल कहते हैं, ‘ विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में सभी 16 टीमें पूरी तैयारी से आती हैं। बावजूद इसके आप कभी यह नहीं जान सकते कि कौन सी टीम पूरे रंग में है। मौजूदा चैंपियन बेल्जियम के साथ, उपविजेता नीदरलैंड, दुनिया की नंबर एक टीम ऑस्ट्रेलिया , इंग्लैंड, स्पेन और हमारी अपनी भारतीय टीम इस विश्व कप में शिरकत करने जा रही खासी मजबूत टीमें है। मॉडर्न हॉकी में दिन विशेेष टीम कैसा खेलती है इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। ओडिशा हॉकी पुरुष हॉकी विश्व कप में भी कौन खिताब जीतेगा इसकी भविष्यवाणी करना खासा मुश्किल है। आखिरी दिन फाइनल और तीसरे-चौथे स्थान के मैच में स्वर्ण, रजत और कांसे का फैसला होता है।हमारी भारतीय टीम हॉकी विश्व कप में आखिरी दिन तक होड़ में रहेगी। हमारी पूल डी में इंग्लैंड ,स्पेन और वेल्स जैसी मजबूत टीमें हैं। आज के जमाने की हॉकी में कोई भी टीम किसी दूसरी टीम को कमतर नहीं आंक सकती है। आपने हाल ही में फुटबॉल विश्व कप में अर्जेंटीना को पहले मैच में हारने के बाद फ्रांस को फाइनल में हरा खिताब जीतते देखा। वहीं फ्रांस के फाइनल में कुछ क्षण रहते बराबरी करने के बाद शूटआउट में हारने के बाद पूरे देश ने अपनी टीम का जिस शानदार ढंग से स्वागत किया उसने दर्शाया कि खेल सबसे बड़ा है।’
वह कहते हैं, ‘ विश्व कप 16 टीमों का हॉकी कुंभ है और इसमें डुबकी लगानेे के बाद ‘खिताबीÓ अमृत उसी को मिलता है जो अंत में इसमें शुद्ध ‘सफलÓ होकर निकलता है। मैच में दो दूनी चार ही होता है। मतलब यह है कि जो जीतता है उसी की सराहना होती है। हमारी टीम ने फिलहाल जोरदार जज्बा दिखाया है कि वह किसी भी टीम को अंत तक टक्कर देने का माद्दा रखती है। विश्व कप में 16 टीमों में आप किसी को कम नहीं आ सकते है। मेरा मानना है कि हमारी टीम को विश्व कप में ध्यान बढिय़ा हॉकी खेलने पर लगाना चाहिए। हमारी भारतीय हॉकी टीम की तैयारियां बताती है कि हॉकी विश्व के कुंभ में डुबकी लगा पदक के ‘अमृतपान’ को तैयार है। यूं भी आज के जमाने की हॉकी में आखिरी क्षण में कौन सी टीम कब गोल कर दे कहा नहीं जा सकता है। हमें पूल चरण में मुश्किल मैच खेलने होंगे। हमारे पूल में डी में स्पेन, इंग्लैंड और वेल्स जैसी मजबूत टीमें हैं और उन्हें कम नहीं आ सकते हैं। हमें ध्यान हर मैच में अपना सर्वश्रेष्ठï देने पर लगाना होगा। हमारी भारतीय टीम में कई ऐसे जु़झारू खिलाड़ी हैं जो हमेशा ही अपना सर्वश्रेष्ठï देते है । भारत के ये हॉकी खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में उसे लंबे अंतराल के बाद कांसे के रूप में पदक जिता कर उसके हीरो रहे थे। भारत टीम टोक्यो ओलंपिक में कांसे की तरह हॉकी विश्व कप में पदक जीती तो उसे भी उसी तरह सराहा जाएगा।