ललित गर्ग
2 नवंबर 2025 का रविवार भारतीय खेल जगत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया। यह वह दिन था जब नवी मुंबई का डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकेडमी मैदान न केवल एक विश्व कप का साक्षी बना, बल्कि भारतीय महिला शक्ति की अजेय प्रतिभा और जज्बे का भी प्रमाण देखा। शेफाली वर्मा ने 87 रन की पारी खेल कर विश्वकप को भारत के नाम कराने में अमूल्य योगदान दिया। शेफाली की यह पारी आत्मविश्वास से भरी होने के साथ-साथ सनसनीखेज पारी रही। इसी के साथ स्मृति मंधाना ने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए भारत के लिये सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी बनी। उनकी टाइमिंग एवं कंवर ड्राइव ने सबका दिल जीत लिया। वैसे टीम का हर खिलाड़ी इस आश्चर्यकारी जीत के लिये बधाई का पात्र है। निश्चित ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी महिला विश्व कप 2025 अपने नाम कर ऐसा इतिहास रचा, जो न केवल खेल का अध्याय है बल्कि सामाजिक परिवर्तन और नारी सशक्तिकरण की प्रेरक गाथा भी है। विश्व विजेता बनने के बाद भारतीय महिला क्रिकेट की टीम की चर्चा दुनिया के हर कोने में हो रही है।
यह जीत केवल एक ट्रॉफी भर नहीं, बल्कि उस नारी शक्ति का उद्घोष है जो वर्षों से अपने अस्तित्व को साबित करने में लगी थी। भारतीय बेटियों ने मैदान में यह दिखा दिया कि अब “खेल” सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र नहीं रहा, यह वह मंच है जहां नारी की प्रतिभा, रणनीति, धैर्य और आत्मविश्वास अपनी सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए कहा कि “यह केवल क्रिकेट की जीत नहीं, बल्कि भारत की नारी शक्ति, परिश्रम और आत्मविश्वास की जीत है।” सच भी यही है कि यह विजय भारत की नई महिला चेतना का प्रतीक है, वह चेतना जो अब हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है। अब भारतीय महिलाओं को हाशिया नहीं, पूरा पृष्ठ चाहिए और यह बात उन्होंने इस ऐतिहासिक जीत को हासिल करके साबित किया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार महिला वनडे विश्व कप अपने नाम कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। भारत और दक्षिण-अफ्रीका का फाइनल विश्व कप मैच सदा के लिए इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों के साथ अतीत के पन्नों में दर्ज हो गई है। हरमनप्रीत की कप्तानी में महिला क्रिकेट टीम ने यह यादगार जीत हासिल की है। इससे पहले मिताली राज की कप्तानी में महिला क्रिकेट टीम 2005 और 2017 में फाइनल तक पहुंची थी, लेकिन यहां आकर ट्रॉफी हाथ से फिसल गई थी। भारतीय महिला टीम ने टॉस हारने के बाद भी बल्लेबाजी के लिए उतरी और 298 रन बनाए। साउथ अफ्रीक की टीम इस आंकड़े को छू नहीं पाई, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर 47 साल के इंतजार को खत्म किया।
इस महान सफलता के पीछे आईसीसी अध्यक्ष जय शाह की दूरदर्शी नीतियों और नेतृत्व का भी बड़ा योगदान है। उनके कार्यकाल में महिला क्रिकेट को वह सम्मान और अवसर मिले जिसकी वह वर्षों से हकदार थी। जय शाह ने न केवल संरचनात्मक सुधार किए बल्कि महिला क्रिकेट के लिए आधारभूत ढांचे, सुविधाओं और प्रोत्साहन योजनाओं को नई दिशा दी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब नेतृत्व में दृष्टि होती है, तो इतिहास बदलता है। इस विश्व कप में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने खेल से दुनिया को चकित किया। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जिस साहस और सूझबूझ से टीम का नेतृत्व किया, वह प्रेरणा का विषय है। उनके बल्ले से निकले हर रन ने नारी शक्ति की धुन गाई। स्मृति मंधाना की क्लासिकल बल्लेबाजी ने विपक्षी गेंदबाजों को बेहाल कर दिया, जबकि युवा खिलाड़ी शैफाली वर्मा की आक्रामकता ने नई पीढ़ी की ऊर्जा को स्वर दिया।
गेंदबाजी में रेणुका ठाकुर और पूजा वस्त्राकर की सटीक लाइन-लेंथ ने टीम को हर मुश्किल समय में संभाला, वहीं स्पिनर दीप्ति शर्मा ने अपनी जादुई गेंदों से विरोधियों के हौसले पस्त किए। इस टूर्नामेंट में भारत की फील्डिंग और फिटनेस भी अप्रतिम रही, जो यह दर्शाती है कि अब भारतीय महिला क्रिकेट केवल तकनीक नहीं, बल्कि रणनीति और समर्पण के सर्वाेच्च मानकों पर खड़ी है। महिला क्रिकेट खिलाड़ी नवीन क्षमताओं की नई उड़ान भरते हुए हर मन की मुराद पूरी कर रही है। यह जीत केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय खेल संस्कृति में परिवर्तन की दिशा का प्रतीक है। आज भारत की बेटियां छोटे कस्बों और गाँवों से निकलकर विश्व मंच पर चमक रही हैं। यह उस सामाजिक परिवर्तन का परिणाम है जिसमें परिवार, समाज और सरकार ने नारी खेल प्रतिभा को अवसर देना शुरू किया है।
महिला विश्व कप 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि अब भारत में खेल सिर्फ “मैदान” तक सीमित नहीं, यह राष्ट्रीय चेतना और गौरव का हिस्सा बन चुका है। यह नारी स्वाभिमान, श्रम और संघर्ष की कहानी है। क्रिकेट अब केवल पुरुषों की लोकप्रियता का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि महिलाओं की असाधारण योग्यता का उत्सव बन गया है। भारत की यह जीत उस भविष्य की ओर इशारा करती है जहाँ खेल, लिंग भेद से परे, केवल प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर सम्मान पाएगा। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह ऐतिहासिक विजय केवल कप जीतने की कहानी नहीं है, यह उस भारत की घोषणा है जो अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने का साहस रखता है। यह जीत हर उस लड़की की प्रेरणा है जो गली के मैदान में क्रिकेट बैट थामे सपना देखती है कि एक दिन वह भी भारत के लिए खेलेगी। यह स्वर्णिम विजय हमें यह संदेश देती है कि भारत की नारी अब हर क्षेत्र में “खेल बदलने” के लिए तैयार है। जय शाह जैसे सक्षम नेतृत्व और खिलाड़ियों की प्रतिभा से सुसज्जित यह टीम आने वाले समय में विश्व क्रिकेट का नया अध्याय लिखेगी, जहाँ हर शॉट में आत्मविश्वास होगा, हर गेंद में संकल्प, और हर जीत में भारत की बेटियों की दमकती मुस्कान। भारत की बेटियाँ अब सिर्फ खेल नहीं रही हैं बल्कि वे इतिहास रच रही हैं।
देश पर छा रहे अनेकानेक उजालों के बीच महिला विश्व कप 2025 रूपी उजाला देशवासियों को प्रसन्नता का प्रकाश दे गया। संदेश दे गया कि देश का एक भी व्यक्ति अगर दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ने की ठान ले तो वह शिखर पर पहुंच सकता है। विश्व को बौना बना सकता है। पूरे देश के निवासियों का सिर ऊंचा कर सकता है। महिलाओं की इस करिश्माई उपलब्धि के बाद अखबारों के शीर्ष में यह समाचार छपा और सबको लगा कि शब्द उन पृष्ठों से बाहर निकलकर नाच रहे हैं। भारतीय महिला खिलाड़ियों ने खिलाड़ीपन के लम्बे रन-अप को पल-पल जीया है। इस दौरान बहुत कुछ पीया है तभी वे विश्व विजेता बनी। वरना यहां तक पहुंचते-पहुंचते कईयों के घुटने घिस जाते हैं। एक बूंद अमृत पीने के लिए समुद्र पीना पड़ता है।
सम्मान, पदवी, उपाधियां, अलंकरण बहुतों को मिलते हैं पर सही सीने पर सही तमगा और सही नाम के आगे सही सम्बोधन कभी-कभी लगता है। जैसा महिला विश्व कप 2025 की भारतीय महिला खिलाड़ियों के सीनों पर लगा है। जब भी कोई अर्जुन धनुष उठाता है, निशाना बांधता है तो करोड़ों के मन में एक संकल्प, एक एकाग्रता का भाव जाग उठता है और कई अर्जुन पैदा होते हैं। अपने देश में हर बल्ला उठाने वाला अपने को गावस्कर, तेंगुलकर विराट कोहली, रोहित समझता है, हर बॉल पकड़ने वाला अपने को कपिल-अर्शदीप, बुमराह समझता है। हॉकी की स्टिक पकड़ने वाला हर खिलाड़ी अपने को ध्यानचंद, हर टेनिस का रेकेट पकड़ने वाला अपने को रामानाथन कृष्णन समझता है। और भी कई नाम हैं, मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा, प्रकाश पादुकोन, गीत सेठी, जो माप बन गये हैं खेलों की ऊंचाई के। आज शेफाली हो स्मृति या फिर जेमिमा हो या दीप्ति आज माप बन गयी है और जो माप बन जाता है वह मनुष्य के उत्थान और प्रगति की श्रेष्ठ स्थिति है। यह अनुकरणीय है। जो भी कोई मूल्य स्थापित करता है, जो भी कोई पात्रता पैदा करता है, जो भी कोई सृजन करता है, जो देश का गौरव बढ़ाता है, जो गीतों मंे गाया जाता है, उसे सलाम। भारतीय महिला क्रिकेट टीम को सलाम।





