अशोक मधुप
शंकाओं और आशकांओं के बीच ‘जी20’ शिखर सम्मलेन सफलता के साथ संपन्न हो गया। जी20 में ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’ का स्वीकार होना, यह कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की बड़ी जीत है। जी 20 में सभी महाशक्तियां शामिल हैं। उनकी मौजूदगी में भारत द्वारा सहमति का रास्ता निकालना भारत की बड़ी कामयाबी है। अफ्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल कराना भी भारत की बडी सफलता है ।अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान ने भी ‘एयू’ को स्थायी सदस्य बनाने के मामले में बाधा खड़ी नहीं की।भारत की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे आंतकवादी दिल्ली की सुदृढ सुरक्षा देख कुछ नही कर पाए। मेट्रो स्टेशन पर रात के अंधेरे में खालिस्तान के समर्थन में चोरी छिपे कुछ नारे ही लिखे जा सके। मुंबई और दिल्ली की संसद में घुंसकर हमला करने वाले आतंकी अब ऐसी घटना करने की सोच भी नही पा रहे।
शनिवार को ‘जी20’ शिखर सम्मलेन के पहले दिन जब ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’ के स्वीकार होने की घोषणा हुई, तो सम्मेलन को कवर करने आए सारे पत्रकार आश्चर्य चकित रह गए। एक− दो ने तो यहां तक कह दिया कि अब दूसरे दिन के कायर्क्रम कवर के लिए रूकना बेकार है। किसी को यह उम्मीद नही थी कि घोषणापत्र सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया जाएगा। जी20 घोषणापत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि इसके सभी 83 पैराग्राफ चीन और रूस के साथ 100 प्रतिशत सर्वसम्मति से पारित किए गए थे। यह पहली दफा था कि घोषणा में कोई नोट या अध्यक्ष का सारांश शामिल नहीं था।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पत्रकारों का बताया कि ‘गत वर्ष इंडोनेशिया में हुए सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन ने पीएम मोदी से आग्रह किया था कि उसे भी समूह का सदस्य बनाया जाए। इस पर पीएम मोदी ने उन्हें गारंटी दी थी कि वे अफ़्रीकन यूनियन को जी20 का सदस्य बनवाएंगे। अब पीएम मोदी ने वह गारंटी पूरी कर दी है। जानकारों का कहना है, ‘एयू’ को जी20 की स्थायी सदस्यता दिलाना आसान नहीं था। इस बाबत रूस और चीन का रूख कुछ अलग था। चीन को ‘जी20’ का विस्तार पसंद नहीं था। वजह, इससे ग्लोबल साउथ में उसका कद प्रभावित होता है। करीब एक दशक से चीन का फोकस ऐसे देशों पर रहा है जो अमेरिका, ब्रिटेन या भारत के ज्यादा करीब नहीं हैं। ऐसे देशों को चीन उन समूहों का सदस्य बनवाने की कोशिश कर रहा है, जो उसके प्रभाव में हैं। भारत ने यहीं पर कूटनीतिक दांव चला और एयू (अफ़्रीकन यूनियन )को जी20 का सदस्य बनवा दिया। चीन का प्रयास था कि वह अफ्रीकी संघ के देशों में भारी निवेश के माध्यम से अपने आर्थिक लक्ष्यों की पूर्ति करे।अब इन देशों के जी20 का सदस्य बनने पर अब चीन उन देशों का शोषण करने की साजिश में सफल नहीं हो सकेगा। एयू के 55 देशों के प्राकृतिक संसाधन, चीन के प्रभाव में आने से बच जाएंगे।
आंशका थी कि रूस – यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर सर्व सम्मत निर्णय नही हो सकेगा। अमेरिका और यूरोपियन देश चाहेंगे,कि यूक्रेन हमले के लिए रूस को जिम्मेदार माना जाए। इसके लिए उसकी निंदा की जाएं।रूस और चीन का रूख इसके विपरीत होगा। भारत भी नही चाहता कि उसकी भूमि से उसके परंपरागत मित्र के विरूद्ध कोई निदां या उन्य कोई प्रस्ताव पारित न हो। भारत ने घोषणापत्र पर सर्व समर्थन बनाने के लिए पहल से ही काम शुरू कर दिया था। उसके राजनयिक इस पर सहमति बनाने में लगे थे।
साझा घोषणा पत्र पर सभी देशों की सहमति इसलिए खास है, क्योंकि नवंबर 2022 में इंडोनेशिया समिट में जारी घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। तब रूस और चीन ने अपने आप को युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था। तब घोषणा पत्र के साथ ही इन देशों की लिखित असहमति शामिल की गई थी।
डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- सभी देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र मंजूर किया। उन्होंने माना कि G20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। लिहाजा अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों को डिस्कस किया गया। ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि इसके सभी 83 पैराग्राफ चीन और रूस के साथ 100 प्रतिशत सर्वसम्मति से पारित किए गए थे। यह पहली दफा था कि घोषणा में कोई नोट या अध्यक्ष का सारांश शामिल नहीं था।घोषणापत्र के नौवें पहरे में लिखा था, हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि जी20, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच है। यह समूह भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है।हालाँकि हम स्वीकार करते हैं कि इन मुद्दों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण परिणाम हो सकता है। भारत ने यह बात कह कर चीन और रूस, दोनों को संदेश दे दिया। हालांकि चीन का कहीं नाम नहीं लिया। ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’ के 13वें पहरे में लिखा है, हम सभी राज्यों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को, अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक, बनाए रखने की अपील करते हैं। मानवीय कानून, शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं। विभिन्न देशों के मध्य संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान और संकटों के हल के हल के लिए प्रयास करने के साथ ही कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभाव को संबोधित करने के अपने प्रयास में एकजुट होंगे। यूक्रेन में व्यापक एवं न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करेंगे। बशर्ते, ये सभी पहल, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों को कायम रखें। एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की भावना से राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देना होगा। भारत ने ऐसा कर ‘रूस और यूक्रेन’ के लिए एक संदेश और जी20 का स्टैंड क्लीयर करदिया।
भारत की जी20 अध्यक्षता की विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने जमकर तारीफ की है। बांगा ने कहा कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता में दुनिया के लिए एक नया आयाम तय किया है। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि भारत ने जी20 घोषणापत्र पर सभी देशों की आम सहमति आसानी से बना ली।एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए बंगा ने इस बात पर जोर दिया कि चुनौतियां हमेशा मौजूद रहेंगी, लेकिन भारत ने आम सहमति बनाकर दुनिया को रास्ता दिखाया है। बंगा ने कहा कि हर देश अपना फायदा देखता है, लेकिन मैंने इस सम्मेलन में जो मूड देखा, उससे मैं आशावादी हूं। विश्व बैंक अध्यक्ष ने कहा कि यहां हर देश अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान तो दे रहा था, लेकिन दूसरे के विचारों को भी सुन रहा था।
जी20 शिखर सम्मेलन में बारे में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने शनिवार को ‘जी20’ की बैठक को सफल करार दिया है। दोनों राष्ट्रों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को लेकर सार्थक नीति बनी है। गत मई में पीएम मोदी, ऑस्ट्रेलिया गए थे। तब भी दोनों देशों ने ‘निवेश’ की संभावनाएं तलाशी थी।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप शिपिंग और रेलवे कनेक्टिविटी कॉरिडोर की घोषणा को एक बड़ी बात करार देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, अगले दशक में, भागीदार देश निम्न-मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करेंगे। बाइडेन ने कहा, मैं प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य, यही इस जी20 शिखर सम्मेलन का फोकस है। पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (पीजीआईआई) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी व संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़े कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग पर एक ऐतिहासिक पहल है।
सउदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान ने इकानॉमिक कॉरिडोर की पहल के लिए इसके लिए काम करने वालों को धन्यवाद दिया।यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष, प्रेसीडेंट उर्सुला वॉन डेर लेन ने कहा, अर्थव्यवस्थाओं के इन्फ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्टमेंट मिडिल इनकम वाले देशों की जरूरत है। इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनामिक कॉरिडोर, ऐतिहासिक है। यह इंडिया, अरेबियन गल्फ और यूरोप के बीच सीधा संपर्क बनाने वाला है। इसके चलते भारत और यूरोप के बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी। यह महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच ग्रीन एंड डिजिटल ब्रिज होगा। ट्रांस अफ्रीकन कॉरिडोर, यह घोषणा भी बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश की पहल है। इसका लाभ सभी सदस्यों को होगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, ये एक बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। सभी सदस्य देश, लंबी अवधि के लिए निवेश करने के प्रतिबद्ध हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भी इसे एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट करार दिया है। इसमें जर्मनी 3500 मिलियन यूरो का वर्ल्ड बैंक के साथ अतिरिक्त निवेश करेगा।
पीएम मोदी ने समुद्र में केबल के डिजाइन, निर्माण, बिछाने और रखरखाव में क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए ‘केबल संचार-संपर्क और सहनीयता के लिए साझेदारी पर बल दिया था। राजनेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में विकास के बारे में महत्वपूर्ण बातचीत की। एक मुक्त, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपने दृष्टिकोण के तहत, इन नेताओं ने संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को दोहराया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- हमें चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता मिली। G20 का साझा घोषणा पत्र 37 पेज का है। इसमें 83 पैराग्राफ हैं। यहां मुख्य प्रस्तावों यह हैं−सभी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर काम करेंगे। भारत की पहल पर वन फ्यूचर अलायंस बनाया जाएगा।
प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी देशों को यूएन चार्टर के नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए।बायो फ्यूल अलायंस बनाया जाएगा। इसके फाउंडिंग मेंबर भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे।एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर जोर दिया जाएगा।
मल्टीलेट्रल डेवलपमेंट बैंकिंग को मजबूती दी जाएगी।ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर फोकस किया जाएगा।क्रिप्टोकरेंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाई जाएगी।कर्ज को लेकर बेहतर व्यवस्था बनाने पर भारत ने कॉमन फ्रेमवर्क बनवाने की बात पर जोर दिया है।ग्रीन और लो कार्बन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा।सभी देशों ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की है।
चांद के दक्षिण ध्रुव पर कामयाब लैंडिग और भारत का अंतरिक्ष यान के कामयाबी के साथ प्रेक्षण के बाद जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता भारत की बड़ी कामयाबी है।कभी सांप और सपेरों का देश कहलाने वाला भारत आज दुनिया के चंद प्रमुख देशों की लाइन में आकर खड़ा हो गया है। पहले नारा दिया गया था इंडियन एंड डॉग्स आर नाट अलाउट। आज सब बदल गया।आज भारत दुनिया का नेतृत्व करने की हालत में है। इस भारत की बडी कामयाबी कहा जाएगा कि भारत द्वारा कही बात अब दुनिया में गंभीरता के साथ सुनी जाती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)