भारत की प्रतिष्ठित थेवा कला को कजाकिस्तान में मिला प्रथम पुरस्कार

  • राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की बेजोड़ कला है थेवा कला

नीति गोपेन्द्र भट्ट

नई दिल्ली : दक्षिणी राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की प्रतिष्ठित थेवा कला को कजाकिस्तान के आर्ट एंडकल्चर कम्पटीशन में “द ब्रीथ ऑफ तराज इन आर्ट एंड क्राफ्ट श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला है।

कजाकिस्तान सरकार के पर्यटन विभाग के मुख्य अधिकारी बी.कुजेम बेकोव एवं वर्ल्ड क्राफ्ट कौंसिल के ऐदरख़ान ने राघव राजसोनी को प्रमाण पत्र और नगद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया । इस प्रतियोगिता में 10 देशों के कुल 200 कलाकारो ने भाग लिया जिसमें भारत से भी 5 विख्यात कलाकार शामिल थे ।

राघव राजसोनी ने यह अवार्ड जीत भारत का नाम रोशन किया है। प्रतापगढ़ के राजसोनी परिवार की छठीपीढ़ी के राघव पदमश्री से अलंकृत अपने दिवंगत पिता महेश राजसोनी से विरासत में मिली इस बेजोड़ कलाको आगे बढ़ा रहे है। राघव ने थेवा कला को पहला अंतर राष्ट्रीय पुरस्कर दिला करा कर एक नया कीर्तिमानस्थापित किया है ।

राघव राजसोनी के पिताजी स्व महेश राजसोनी ने थेवा कला को पूरे विश्व में एक अलग ही पहचान और इसबेजोड़ कला को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी ।

राघव राजसोनी का कहना ही कि वे थेवा कला को देश विदेश में और अधिक लोकप्रिय बनाना चाहते है। उन्होंनेबताया कि थेवा डिज़ाइन को मिले अपार स्नेह और अवॉर्ड्स से उन्हें आगे बढ़ने और अच्छा काम करते रहने कीप्रेरणा मिली हे। वे कहते है कि उनके सबसे बड़े मार्गदर्शक उनके माता पिता ही रहें हैं ।

गौरतलब है कि राघव राजसोनी को वर्ष 2021 में बेंगलुरु में आयोजित डिज़ाइनर्स ऑफ़ इंडिया कार्यक्रम में भी“लाईफ टाईम लेगेसी अवार्ड “ से सम्मानित किया गया था ।