
सुनील कुमार महला
आज का युग सूचना और तकनीक का युग है। सूचना और तकनीक के इस युद्ध में सबसे ताकतवर वही है जिसके पास डाटा है, अधिक से अधिक सूचनाओं और जानकारियों का अच्छा खासा संग्रह है। कहना ग़लत नहीं होगा कि एआइ चैटबाट के आज के इस आधुनिक युग में डाटा ताकतवर चीज़ है।कभी दुनिया में सबसे ताकतवर चीज़ समय हुआ करता था। वैसे समय तो ताकतवर है ही, इसमें कोई शक और संदेह नहीं रह जाता है। स्वयं आचार्य चाणक्य ने भी समय को या यूं कहें कि ‘काल’ को दुनिया की सबसे ताकतवर चीज़ बताया है। दरअसल, आचार्य चाणक्य एक श्लोक में यह बताते हैं कि काल(समय) एक ऐसी चीज है, जो प्राणियों को निगल जाता है और सृष्टि का विनाश कर देता है। उनके अनुसार यह प्राणियों के सो जाने पर भी उनमें विद्यमान रहता है। ये(समय) इतना शक्तिशाली या यूं कहें कि ताकतवर है कि इस ब्रह्मांड में कोई भी व्यक्ति काल या समय का अतिक्रमण नहीं कर सकता है। यही कारण है कि उन्होंने एक श्लोक में यह बात कही है कि -‘कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः॥’ सच तो यह है कि कभी समय के आगे सब नतमस्तक हुआ करते थे, लेकिन आज सभी डाटा(सूचनाओं के संग्रह) के आगे नतमस्तक हो रहे हैं। वास्तव में सूचनाओं का संग्रह विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्र या प्राप्त करने, उसे व्यवस्थित करने और संग्रहीत करने की एक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है । वास्तव में, यह किसी संगठन के भीतर या शोध करते समय उपयोगी होता है। बहरहाल, इस लेखक के विचार से आज के इस समय में सूचनाएं हर व्यक्ति , समाज और देश के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं, शायद समय या काल से भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और जरूरी। लेकिन सूचनाओं का सही व सटीक होना बहुत ही जरूरी है। सूचनाएं या डाटा यदि ग़लत हैं तो वे किसी काम की नहीं। ग़लत सूचनाएं, फर्ज़ी खबरें और जानकारियां और अफवाहें आज के युग में एक बड़ी चुनौती हैं। ग़लत सूचनाओं से लड़ना बहुत मुश्किल काम है, क्यों कि इसके लिए हमें अपना बहुत सा समय और एनर्जी(ऊर्जा) बर्बाद करनी पड़ती है, और तो और विभिन्न संसाधनों का इस्तेमाल तक करना पड़ता है। ग़लत सूचनाएं किसी भी देश और समाज में भय और खौफ का माहौल पैदा कर सकतीं हैं। ये नुकसान पहुंचा सकतीं हैं तथा इस प्रकार से ये किसी भी देश और समाज के लिए एक बड़ा खतरा भी हैं। हाल ही में फर्जी खबरों, फर्जी सूचनाओं, अफवाहें फैलाने को लेकर हमारे देश के सीडीएस अनिल चौहान का एक बड़ा बयान सामने आया है,जो अपने आप में देखा जाए तो बहुत ही महत्वपूर्ण है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में हमारे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने यह बात कही है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर में फर्जी खबरों से निपटने में हमारा 15 फीसदी वक्त बर्बाद हो गया।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि ‘भारत की सैन्य प्रणालियां इंटरनेट से जुड़ी न रहने के कारण सुरक्षित रहीं। ऑपरेशन सिंदूर के वक्त महसूस हुआ कि हमें सूचना युद्ध के लिए एक अलग और विशेष शाखा की जरूरत है।’ वास्तव में, उन्होंने यह बात कही है कि जंग(युद्ध) में गलत जानकारी और अफवाहें एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं।अभी कुछ समय पहले ही 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान और पीओके(पाक अधिकृत कश्मीर) पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे जवानों का 15 फीसदी वक्त फर्जी खबरों से निपटने में बर्बाद हो गया। इस पर सीडीएस ने यह बात कही है कि ‘हमारी रणनीति यह रही कि बिना जल्दबाजी किए पुख्ता तथ्यों व सबूतों के साथ अपनी बात रखी जाए।’ उन्होंने यह बात भी कही कि ‘ भले ही भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे पर साइबर हमले किए, लेकिन भारत की सैन्य प्रणालियां इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं, इसलिए वे सुरक्षित रहीं।’ बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज विश्व में युद्ध की प्रकृति(नेचर आफ वार) में काफी हद तक बदलाव हो चुका है। आज ‘सूचना का युद्ध’ किसी भी सैन्य रणनीति का जैसे अभिन्न और बहुत ही महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। भारत ने सैन्य युद्ध के साथ ही पाकिस्तान, चीन और तुर्किए से मीडिया युद्ध भी लड़ा। चीन की प्रमुख एजेंसी, पाकिस्तानी मीडिया व तुर्किए मीडिया ने ‘गलत सूचनाएं’,’अफवाहें’ फैलाकर भारत को कमजोर करने की भरसक कोशिशें कीं, लेकिन सभी नाकामयाब रहीं। पाठकों को बताता चलूं कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद ग्लोबल टाइम्स(चीन) ने दुर्घटनाग्रस्त विमान की पुरानी तस्वीरों के साथ ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भ्रामक रिपोर्ट चलाई थीं और इसके बाद भारत ने भ्रामक सूचनाओं के लिए ग्लोबल टाइम्स की कड़ी आलोचना की थी।पाठक जानते होंगे कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान मीडिया और सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं का प्रसार किया गया। पाकिस्तान सरकार और मीडिया ने कुछ झूठे दावों को प्रचारित किया, जिनमें भारत के खिलाफ युद्ध का झूठा प्रचार शामिल है। दरअसल,पाकिस्तान ने दावा किया था कि उन्होंने भारतीय वायुसेना के विमानों को मार गिराया और भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट कर दिया, जबकि ये पाकिस्तान के सरासर झूठे दावे थे। यहां तक कि पाकिस्तान ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में पुराने फुटेज का उपयोग करके भारत पर हमले का झूठा दावा किया। चीन और पाकिस्तान ही नहीं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, तुर्की मीडिया ने भी भारत के खिलाफ भ्रामक सूचनाएं प्रसारित कीं, जिसमें पाकिस्तान के समर्थन में खबरें दिखाई गईं और बाद में भारत ने इन भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ प्रतिक्रिया दी और कुछ तुर्की मीडिया संगठनों के एक्स अकाउंट को ब्लॉक कर दिया। बहरहाल, सीडीएस का बयान कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना का 15 फीसदी वक्त फर्जी खबरों का मुकाबला करने में बर्बाद हुआ, यह दर्शाता है कि अब युद्ध केवल सैन्य तैयारी से ही नहीं लड़े जा रहे। आज के समय भ्रामक, फर्जी खबरों,गलत सूचनाओं,अफवाहों से लड़ना भी बहुत जरूरी हो गया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज युद्ध की नेचर बिल्कुल ही बदल चुकी है।यह एक सच्चाई है कि आज हमें मीडिया युद्ध करना पड़ रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज का युग डिजिटल युग है और इस डिजिटल युग में ग़लत सूचनाओं, अफवाहों, फर्जी खबरों के प्रसार से देश की जनता के दिलो-दिमाग पर यह असर होता है कि देश की जनता ग़लत सूचनाएं, फर्ज़ी खबरों को कहीं न कहीं सच मानने लगती है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि कोलंबिया के विदेश मंत्रालय ने 8 मई को बयान जारी कर पाकिस्तान में भारत के हवाई हमले की निंदा की थी, क्यों कि कोलंबिया ने भी पाकिस्तान की झूठी सूचनाओं, खबरों, अफवाहों को कहीं न कहीं सच मान लिया और कोलंबिया ने इसमें मारे गए लोगों के प्रति संवेदना ज़ाहिर कर दी, लेकिन शशि थरूर के नेतृत्व वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा सच्चाई को कोलंबिया के समक्ष रखने के बाद कोलंबिया को पाकिस्तान के साथ सहानुभूति दर्शाने वाले बयान को वापस लेने के लिए राजी होना पड़ा। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजकर अपना पक्ष रखने का निर्णय वास्तव में बहुत ही जरूरी और आवश्यक हो गया है। यहां यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भी विश्व में अनेक देश ऐसे होंगे जो पाकिस्तान के झूठे बयानों की असलियत से वाकिफ नहीं हैं। वास्तव में, ग़लत सूचनाएं, फर्जी खबरें, अफवाहें आम आदमी के मनोबल अंतरराष्ट्रीय धारणा और राष्ट्रीय सुरक्षा को कहीं न कहीं प्रभावित करतीं हैं। अंत में यही कहूंगा कि सीडीएस चौहान ने बिल्कुल भी ग़लत नहीं कहा है कि आज हमें सूचना युद्ध के लिए भी एक समर्पित शाखा की जरूरत है। आज के समय में सूचना युद्ध और साइबर खतरे देश व समाज के लिए एक बहुत गंभीर व बड़ा खतरा हैं। हमें इस ओर ध्यान देना होगा।