राजेन्द्र कुमार सिंह
अभी हाल-फिलहाल एक अजीब दौर का बोलबाला है।इस काल के शुरू होते ही हमारे देश के पतियों का निकला दीवाला है।आज वह चैन से निवाला भी नहीं निगल रहा है।उसके मन में एक ही तरह का हलचल चल रहा है।जिसमें उसका सारा सर्वस्व डूबता हुआ नजर आ रहा है।एक से बढ़कर एक न्यूज़ सुनकर दिमाग फ्यूज होता जा रहा है।पति महोदय पत्नियों को पढ़ाएं या घर लाकर चौका बर्तन कराएं।यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।किंतु समाचार पत्रों व सोशल मीडिया पर इस तरह की हरकत या न्यूज़ देखकर महोदय पति को अपनी साक्षात क्षति दिखाई दे रही है।थोक भाव में एक ही तरह के न्यूज़ से पति महोदय कन्फ्यूज होकर नाक धुन रहे हैं।समस्या का समाधान नहीं मिल पा रहा है।क्या किया जाए ?क्योंकि जो पहले से कोचिंग में डालकर अपना बहुत रुपए हलाल किए हैं वह रुमाल से अपनी आंखें पोछ-पोछकर अपने दिमाग को सूझबूझ के रास्ते पर लाते हुए अभी सोचने पर मजबूर हैं।कहीं नौकरी लगते पत्नी महोदया बाल बच्चों को लेकर हमसे दूर न चली जाए।इसी में लगा रहे गोते हैं कभी-कभी हुलक-हुलककर जार- बेजार रोते हैं।
यदि आधी-अधूरी पढ़ाई कराकर कोचिंग से छुड़ा लाते हैं उनके लिए पत्नी का उनके प्रति हमेशा संदेह बना रहेगा-‘यही आदमी है हमसे दूर जाने या छोड़ने पर हो जाएगी मजबूर,कहां मैं अफसर और वह मजदूर।कमबख्त रिश्ता टैली नहीं करेगा।मैं कितना भी कोशिश करूंगा लेकिन अपनी इमेज के कारण मजदूर के साथ रहने से उसका मन नहीं भरेगा।उस दिन दोनों को काफी अखरेगा।
प्यार में शंका संदेह जब पैदा हो जाए तो निसंदेह वह रिश्ता जिंदगी के सफर में सफल नहीं हो पाएगा।जब उसकाअरमान उछलने लगे और मन में ऐसा भाव पनपने लगे,चलने लगे तो रिश्ते में खटास तो आएगी ही।तब पति महोदय को सोचने समझने पर मजबूर कर देगा।सांप छछूंदर वाला हाल हो जाएगा।
उदाहरण स्वरूप यदि इक्के-दुक्के पत्नियों को हवा लग जाए तो क्या सभी उस लीक पर ही चलने लगेगी।क्योंकि जो घटना घटित हुई है उससे काफी बदनामी हुई ऐसे में कोई पत्नी फिर ऐसा करने की जुर्रत नहीं करेगी।क्योंकि वह अपने पति पर गर्व करते हुए कहेगी कि हमारे पति अयोग्य होते हुए भी उसके प्रति उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया।उसके अरमान जो अधूरे छूट गए थे उसके वजूद को फिर से जगाकर उसे योग्य बनाया।इसलिए किसी को देखकर उसके घटिया संस्कार से अपने संस्कारों का तुलना करना अत्यंत निम्न सोच का द्योतक है। तुलसीदास जी अपने पत्नी के प्यार में इतने अंधे हो गए थे कि पत्नी के अलावा कुछ सूझता नहीं था।अंत में पत्नी की फटकार ने उनको राममय बना दिया।तुलसीदास के अलावा और भी लोग होंगे तो क्या सभी पति राममय में हो गए।इसलिए छोटी सी भूल को राई से पहाड़ बनाकर उसके अरमानों को खाई में फेंकने से पहले बारीकी से सोचना होगा।एक छोटी भूल के आवेग में आकर बीच मझधार से वापस लाना यह सरासर नाइंसाफी है।इस पर आपकी उलूल-जुलूल हरकत कतई शोभा नहीं देता।
विश्व प्रसिद्ध शिक्षक खान सर के शब्दों में -‘मेरे यहां से 93 पति अपनी पत्नियों का नाम कटाकर वापस घर ले गए।यह बहुत ही शर्मनाक व गलत कदम है।मेरे लाख समझाने के वावजूद वे लोग नहीं माने।जब भविष्य में कभी आपकी पत्नी का अहम पति महोदय के वहम से टकराएगा उस दिन सब खत्म हो जाएगा।घर का चैन शुकून सब समाप्त हो जाएगा।
एक कहावत हैं-चावल से कंकड़ निकालने के बाद भी इक्के- दुक्के मिल ही जाते हैं।इसलिए समाज कितना भी अव्वल दर्जे का क्यों न हो इस तरह की घटनाएं घटित हो ही जाती है।अभी प्रेम प्रसंग को लेकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों तरफ से तनातनी चल रही है।इसका मतलब यह तो नहीं कि जिसके पति विदेश में कमाने गए हैं उन्हें पुनः वापस आकर जिस तरह चंदन के वृक्ष से सर्प लिपटा रहता है आकर उसी तरह चिपक जाना चाहिए।
इसलिए समाज में इस तरह के घटनाओं से विचलित होकर किसी के भविष्य को बर्बाद करना कतई ठीक नहीं।अतःइस समय को पत्नी पीड़ित काल कहना कतई शोभा नहीं देता।