रावेल पुष्प
कोलकाता : इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर इंटरक्लचरल सोसाइटी एंड रिसर्च यानी इस्सार ने इस बार कोलकाता में आयोजित किया- लेखकों का समर मीट यानि ग्रीष्म मिलन!
इस मौके पर शुरुआत में कोलकाता ट्रांसलेटर्स फो़रम के सहयोग से एक परिचर्चा का आयोजन किया गया,जिसका विषय था- अनुवादक बनाम् गूगल अनुवादक! सभी वक्ताओं ने अपने-अपने तरीके से इसे परिभाषित किया। इस चर्चा का लब्बोलुआब ये रहा कि मानवीय अनुवादक का महत्व गूगल अनुवादक या फिर आजकल की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बावजूद बरकरार रहेगा। यह बात जरूर है कि अनुवादक का काम गूगल अनुवादक ने पहले से बहुत आसान कर दिया है । अनुवादक और गूगल अनुवादक का आपसी सामंजस्य एक अच्छे और समय- सीमा में बेहतर अनुवाद को रुपायित कर सकता है। इस चर्चा में हैं भाग ले रहे थे- फो़रम के अध्यक्ष रावेल पुष्प,कार्यकारी अध्यक्ष श्यामल भट्टाचार्य, तृष्णा बसाक, सौम्यजीत आचार्य,लिपिका साहा, चंद्रशेखर भट्टाचार्य, सुधांशु रंजन साहा,फटिक चौधरी तथा अन्य। तीन दिनों तक चलने वाले इस साहित्यिक मिलन उत्सव में विशेष रुप से देश के कई हिस्सों से लेखक शामिल थे, मसलन- सर्वश्री प्रदीप बिस्वाल,भगवान जय सिंह,अय्याज़ रसूल नाज़की,पंकज कोट्टारथ,रवि रंगनाथन, स्वप्ना बेहरा, डॉक्टर पारमिता मुखर्जी, प्रोफेसर राजेंद्र पाधी, डॉक्टर जसबीर चावला, आकाश नायक, जवा मुर्मू, मिलन श्रीवास्तव, अनीता अग्निहोत्री, बेबी हालदार तथा अन्य।
इस मौके पर कुछ साहित्यिक संस्थाओं और महिलाओं को सम्मानित भी किया गया तथा कुछ किताबों का लोकार्पण भी हुआ।
गौरतलब है कि इस्सार के संयोजक डॉ.सुदीप्तो चटर्जी वर्ष भर जहां विभिन्न देशों के लेखकों को आमंत्रित कर विश्व शांति के अपने प्रयासों में लगे रहते हैं वहीं इस तरह के मिलन उत्सव से कोलकाता को सांस्कृतिक राजधानी के मिले दर्जे को बरकरार रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी दर्ज करते हैं।