दीपक कुमार त्यागी
विज्ञान को प्रकाशित करने वाले भारत के प्रथम सौर अभियान के अंतर्गत ‘आदित्य- एल1’ सूर्ययान की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग के साथ ही भारत ने सूर्य के अध्ययन के क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक सफ़र की शुरुआत कर दी है। ‘इसरो’ के इस बेहद महत्वपूर्ण पहले सौर अभियान के प्रमुख उद्देश्यों में सूर्य ग्रह का विस्तृत अध्ययन करते हुए, सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन करना, क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन करना, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी का अध्ययन करना, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत का अध्ययन करना, सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू पार्टिकल्स और प्लाज्मा वातावरण का अवलोकन करना, सौर कोरोना और उसके तापन तंत्र की भौतिकी का विस्तार से अध्ययन करते हुए भविष्य में सौर के प्रकोप से मानव जगत के हितों की सुरक्षा के लिए कार्य करना है।
भारत के ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)’ ने एक के बाद एक इतिहास रचकर के
अंतरिक्ष अनुसंधान की दुनिया में अपनी योग्यता व अभियानों के दम पर दुनिया में विशेष स्थान बना रखा है। अंतरिक्ष अनुसंधान के इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 सितंबर 2023 को ‘मिशन सूर्ययान’ को सफलतापूर्वक लॉन्च करके अब विज्ञान के क्षेत्र में प्रकाश का एक महत्वपूर्ण नया दीप प्रज्ज्वलित करने का कार्य सफलतापूर्वक कर दिया है। भारत ने देश व दुनिया के लिए बेहद उपयोगी अपने पहले सौर अभियान के तहत पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर की औसत दूरी पर स्थित सूर्य ग्रह के विस्तृत अध्ययन के लिए यान ‘आदित्य- एल1’ को लॉन्च किया है। इस ‘मिशन सूर्ययान’ अभियान के तहत आगामी 128 दिनों में ‘आदित्य- एल1’ सूर्ययान 15 लाख किलोमीटर का सफ़र तय करके अपने पार्किंग पॉइंट् लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के आसपास ‘हेलो कक्षा’ के भीतर स्थापित होकर के भविष्य में सूर्य ग्रह का विस्तार से अध्ययन करना शुरू करेगा।
अंतरिक्ष विज्ञान के दृष्टिकोण से यहां आपको बता दें कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी-सूर्य विन्यास जैसी प्रणालियों में एल-1 से एल-5 के रूप में नामित पांच लैग्रेंज बिंदु उपस्थित हैं। इन बिंदुओं में से ही एल-1 व एल-2 पृथ्वी के सबसे पास स्थित हैं, वहीं सूर्य ग्रह के अवलोकन संबंधी जांच करने के लिए यह बिंदु बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। इसी के चलते ही ‘इसरो’ के इस सौर अभियान में ‘आदित्य- एल1’ का जो पार्किंग पॉइंट् है वह बेहद अहम है, यह लैग्रेंज बिंदु एल-1 अंतरिक्ष में विशिष्ट स्थानों का प्रतिनिधित्व करता हैं, इस बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण संतुलन के क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। इस बिंदु से अंतरिक्ष यान निरंतर ईंधन खपत की आवश्यकता के बिना भी अपनी स्थिर स्थिति सफलतापूर्वक बनाए रखते हुए सूर्य का अध्ययन कर सकते हैं।
वैसे आपको यहां बता दें कि भारत के आंध्र प्रदेश राज्य का श्रीहरिकोटा, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र के लिए अब पूरी दुनिया में अपनी एक अहम विशिष्ट पहचान रखता है। इसी सेंटर से ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)’ ने कुछ दिन पहले चंद्र अध्ययन के लिए ‘मिशन चंद्रयान-3’ के अंतर्गत चांद के दक्षिण ध्रुव पर सफलता से साफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रचा था। लेकिन अब उसने आगे बढ़ते हुए अपने ऐतिहासिक ‘मिशन चंद्रयान-3’ के बाद 2 सितंबर 2023 को सूर्य के अध्ययन के लिए भारत के पहले महत्वाकांक्षी ‘मिशन सूर्ययान’ के तहत श्रीहरिकोटा के ‘सतीश धवन स्पेस सेंटर’ से 2 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 50 मिनट के तय समय पर ‘PSLV-C57’ रॉकेट से ‘आदित्य- एल1’ सूर्ययान की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग करके अंतरिक्ष के क्षेत्र में एकबार फिर दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया है। इस मिशन के तहत ‘आदित्य- एल1’ आगामी 128 दिनों में 15 लाख किलोमीटर का लंबा सफर तय करके, सौर मंडल के अपने तय पार्किंग पॉइंट् लैग्रेंज एल-1 पर पहुंच कर सूर्य की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करते हुए, मानव जगत के हित के लिए लंबें समय तक कार्य करेगा। इस ‘मिशन सूर्ययान’ की सफलता से लॉन्चिंग होने के बाद देश व पूरी दुनिया के दिग्गजों से ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)’ के वैज्ञानिकों को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। ‘इसरो’ के वैज्ञानिकों की मेहनत के दम पर ही भारत सरकार व प्रत्येक देशभक्त भारतीय के लिए यह एक ऐतिहासिक गौरवशाली क्षण है।