सिंगल यूज़ प्लास्टिक के भयंकर नकारात्मक परिणामों व पर्यावरण प्रदूषण को रेखांकित करना ज़रूरी

It is important to highlight the grave negative consequences and environmental pollution caused by single-use plastic

किशन सनमुखदास भावनानी

वैश्विक स्तरपर वर्तमान बदलते परिपेक्षमें हम अति तीव्र गति से विकास तो कर रहे हैं, परंतु ठीक उसी अंदाज में ही हमारे लिए पर्यावरण नुकसान के रूपमें परेशानियां, विभिशक्ता, नुकसान की खाई भी बढ़ती जा रही है इसीलिए बड़े बुजुर्गों वह बुद्धिजीवियों ने कहा है कि आधुनिक सुख सुविधाओं का उपयोग लेने से पहले उनके विपरीत परिणाम के बारे में भी ध्यान रखें, मैं एडवोकेट किशन सनमुख दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र, ऐसा मानता हूं कि अच्छे इरादों और ढेर सारे नियमों के बावजूद प्लास्टिक के खिलाफ भारत की जंग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कुछ उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं जो यह बताते हैं कि यह लड़ाई अभी हारी नहीं है। तथ्य यह है कि प्लास्टिक अपशिष्ट को नियंत्रित करने वाला नियामक ढांचा,यद्यपि व्यापक है, तथापि अस्पष्ट परिभाषाओं और छूटों को संबोधित करने के लिए सुधार की आवश्यकता है, जो वर्तमान में प्रवर्तन को कठिन बनाते हैं।संस्कृतिक श्लोकों में भी आया है पर्यावरणनाशेन नश्यन्ति सर्वजन्तव:।⁣पवन: दुष्टतां याति प्रकृतिविकृतायते ।।⁣हिंदी अर्थ:- हमारे पर्यावरण के प्रदूषण (विनाश) के कारण सभी प्राणी नष्ट हो जाते हैं, हवाएं ख़राब हो जाती हैं और प्रकृति शत्रुतापूर्ण हो जाती है।⁣ आज विषय आज इस विषय पर हम चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 3 जुलाई 2025 को प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस है,इसलिए आज हम चिन्हित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं से पर्यावरण को होने वाले दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए इसके उपयोग को खुद भी रोकना है और पूरे विश्व को इसके लिए जनजागृत करने में प्रभावी जनभागीदारी पर इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम सिंगल यूज़ प्लास्टिक और प्लास्टिक बैग के दुष्प्रभावों के बारे में जानने की करें तो, प्लास्टिक बैग के बारे में 5 तथ्य (1)प्लास्टिक की थैलियों को विघटित होने में 100 से 500 वर्ष लगते हैं।(2) हम हर साल 5 ट्रिलियन प्लास्टिक बैग बनातेहैं।(3) औसत व्यक्ति एक प्लास्टिक बैग का उपयोग 25 मिनट तक करता है। (4) दुनिया भर में हर मिनट हम 10 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग करते हैं। (5) प्लास्टिक थैलियों के कारण हर वर्ष लगभग 1,00,000 समुद्री जीव मारे जाते हैंपर्यावरण के लिए हानिकारक होने के अलावा, प्लास्टिक बैग भी खराब तरीके से डिजाइन किए जाते हैं और शायद ही कभी उनका पुनर्चक्रण किया जाता है। प्लास्टिक बैग हमारे ग्रह के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। हर साल, 8 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक समुद्र में जाकर मछलियों और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाता है। जब प्लास्टिक खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करता है, तो यह मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
साथियों बात अगर हम कुछ देशों द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक व बैगों के दुष्प्रभाव पर स्वतंत्र संज्ञान लेकर सख्त कदम उठाने की करें तो,कुछ स्थानों पर किसी भी तरह के प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है या नियम लागू किए गए हैं। ये उपाय करने वाले स्थानों में हवाई, उत्तरी कैरोलिना, इटली, चीन, अफ्रीका के कई देश और ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। कुल मिलाकर, लगभग 127 देश किसी न किसी तरह से प्लास्टिक बैग को नियंत्रित करते हैं। इन नियमों में प्लास्टिक बैग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करना और दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले बैग के लिए प्रोत्साहन देना भी शामिल है। ज़्यादातर लोग प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल सिर्फ़ एक बार करते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं।सिंगल -यूज़ प्लास्टिक बैग ने कुछ शहरों को इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया है। जिन जगहों पर डिस्पोजेबल प्लास्टिक शॉपिंग बैग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
साथियों बात अगर बिगड़ती पर्यावरण की स्थिति बिगड़ने की करें तो इससे होने वाले दुष्परिणामों पर वैश्विक स्तरपर रेखांकित किया जा रहा है और उनके अंतरराष्ट्रीय मंचों से पर्यावरण सुरक्षा संबंधी उपायों पर एकीकृत विचारों का संयोजन हो रहा है दुनिया के देशों से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा शून्य करने के बारे में कहा जा रहा है जिसमें पेरिस समझौता महत्वपूर्ण उदाहरण है इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही,पीआईबी के अनुसार ,चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से निपटने के लिए एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें वैश्विक समुदाय द्वारा इस बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया गया था। यूएनईए 4 में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था। मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के हाल ही में संपन्न पांचवें सत्र में, भारत प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक स्तरपर कार्रवाई शुरू करने के संकल्प पर आम सहमति विकसित करने के लिए सभी सदस्य देशों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा।
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो, पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 16फरवरी, 2022 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2022 के रूप में प्लास्टिक पैकेजिंग पर विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी पर दिशा-निर्देशों को भी अधिसूचित किया है। विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) दरअसल उत्पाद की शुरुआत से अंत तक उसके पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर प्रबंधन के लिए एक उत्पादक की जिम्मेदारी होती है। ये दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, प्लास्टिक पैकेजिंग के नए विकल्पों के विकास को बढ़ावा देने और कारोबारी जगत द्वारा टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग के विकास की दिशा में कदम बढ़ाने से संबंधित रूपरेखा मुहैया कराएंगे।
साथियों बात अगर हम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम 2021 की करे तो इसके अंतर्गत 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, संग्रहण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर 30 सितंबर 2021 से और 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले इस सामान पर 31 दिसंबर, 2022 से प्रतिबंध लगाया गया है। जिसमें हाल ही में संशोधन कर 150 माइग्रेन कर दिया गया है।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम के आह्वान की करें तो, उन्होंने 2022 तक एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को समाप्त करने के लिए दिए गए स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया। आजादी का अमृत महोत्सव की भावना को आगे बढ़ाते हुए, देश द्वारा कूड़े एवं अप्रबंधित प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से एक निर्णायक कदम उठाया जा रहा है। भारत 1 जुलाई, 2022 से पूरे देशमें चिन्हित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं, जिनकी उपयोगिता कम और प्रदूषण क्षमता अधिक है, के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगा।
साथियों बात अगर हम सिंगल यूज़ उपयोग वाली वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध की सूची की करें तो भारत सरकार ने, सिंगलयूज प्लास्टिकसे उत्पन्न कचरेसे होने वालेप्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में ये वस्तुएं शामिल हैं- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक,सजावट के लिए पॉलीस्टा इनिन (थर्मोकोल), प्लास्टिक की प्लेट, कप, गिलास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर,स्टिरर।
साथियों बात अगर हम नियमों को ठोस कार्रवाई के माध्यम से लागू करने की करें तो, 1 जुलाई 2022 से चिन्हित एसयूपी वस्तुओं पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायेंगे तथा प्रतिबंधित एकल उपयोग प्लास्टिक के अवैध निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री एवं उपयोग की निगरानी के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किये जायेंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं के अंतर-राज्य परिवहन को रोकने के लिए सीमा जांच केंद्र स्थापित करने के लिए कहा गया है। सरकार एकल उपयोग वाली प्लास्टिक को समाप्त करने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। जागरूकता अभियान में उद्यमियों और स्टार्ट अप्स, उद्योग, केंद्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों नियामक निकायों, विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों, अनुसंधान एवं विकास और अकादमिक संस्थानों को एकजुट किया गया है।
साथियों सीपीसीबी शिकायत निवारण ऐप, नागरिकों को प्लास्टिक से जुड़ी समस्या से निपटने में मदद हेतु सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है। समुद्री पर्यावरण सहित स्थलीय और जलीय इकोसिस्टम पर एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के प्रतिकूल प्रभावों को वैश्विक स्तर पर पहचाना गया है। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के कारण होने वाले प्रदूषण को दूर करना सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जब पर्यावरण का नाश होता है, सभी जीव जंतु नष्ट, प्रकृति विकृत हो जाती है।अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस 3 जुलाई 2025- सिंगल यूज़ प्लास्टिक के भयंकर नकारात्मक परिणामों व पर्यावरण प्रदूषण को रेखांकित करना ज़रूरी,विश्व के हर मानवीय जीव को सिंगल यूज़ प्लास्टिक को त्यागने का संकल्प लेकर पृथ्वी पर सभी जीवों की रक्षा करने में सहयोग देना ज़रूरी हैँ।