
अजय कुमार
उत्तर प्रदेश में 22 महीनों के बाद फिर से विधानसभा चुनाव होने हैं। इस दौरान 2022 के मुकाबले कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सियासी परिदृश्य में कई महत्वपूर्ण घटनाएं और बदलाव सामने आए हैं, जो राज्य की राजनीति को नई दिशा दे रहे हैं। इन घटनाओं ने न केवल राजनीतिक दलों के भीतर बल्कि उनके आपसी संबंधों में भी बदलाव लाया है।सबसे खास बात यह है कि आज की तारीख में विपक्ष के पास योगी को घेरने का कोई मुद्दा ही नहीं है। यही योगी की रणनीतिक जीत है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए 80 बनाम 20 की रणनीति अपनाये हुए है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि भाजपा और उसके सहयोगी दल 80 फीसदी सीटें जीतेंगे । हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में झटका लगा, जहां उसकी सीटें 62 से घटकर 32 रह गई, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन ने 43 सीटें जीतीं । साल 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने भी यूपी में संगठनात्मक मजबूती पर जोर देते हुए 15 जून 2025 तक ब्लॉक स्तर पर नियुक्ति पूरी करने का लक्ष्य रखा है । वहीं, अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने जाटव नेता आर. पी. गौतम को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिससे दलित समुदाय को साधने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष जहां मुस्लिम तुष्टिकरण की सियासत में जुटा है,वहीं बीजेपी हिन्दुत्व के ‘रथ’ पर सवार होकर जीत के लिये अग्रसार है।इसके अलावा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी विपक्षी नेता योगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिये हैं क्योंकि योगी प्रदेश की सुद्रढ़ कानून व्यवस्था को लेकर अक्सर अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं।
राज्य की राजधानी लखनऊ में आईआरएस अधिकारी गौरव गर्ग पर हुए हमले के बाद विपक्ष ने भाजपा सरकार की प्रशासनिक विफलता पर सवाल उठाए हैं । इसके अलावा, संभल और बहराइच में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने भी सरकार की कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं । बात विकास कार्यो की के जाये तो विकास के मोर्चे पर, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025-26 के बजट में 8.08 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें नवाचार, रोजगार और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है । इसके तहत, स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत 49.86 लाख स्मार्टफोन और टैबलेट वितरित किए गए हैं।
साथ ही, जीरो पॉवर्टी उत्तर प्रदेश अभियान के तहत राज्य को 2 अक्टूबर 2025 तक गरीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है । इस अभियान के अंतर्गत, गरीब परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में, गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, जो मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लंबा होगा । इसके अलावा, राज्य सरकार ने हर गांव में ष्ग्रीन चौपालष् स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी बढ़ाई जा सके ।
इन सभी घटनाओं और पहलों के बीच, उत्तर प्रदेश की राजनीति एक नए मोड़ पर है, जहां सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों ही आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह सियासी परिदृश्य किस दिशा में आगे बढ़ता है।