
दीपक कुमार त्यागी
“पहलगाम की “बैसरन घाटी” में 22 अप्रैल 2025 को पर्यटकों पर जब हमला हुआ था, तब से ही पूरा देश आतंकियों व उनके आका पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोई बड़ी ठोस कार्रवाई धरातल पर भारत सरकार से जल्द से जल्द चाहता था। जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैबिनेट व भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व से गहन मंथन करके, पाकिस्तान से सिंधु जल संधि को स्थगित करते हुए, अन्य कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए, सेना को पाक परस्त आतंकियों व उनके आकाओं के ख़िलाफ़ आगे की रणनीति बनाकर के सेना की सुविधानुसार स्थान व समय तय करके मिट्टी में मिलाने वाली बड़ी कार्रवाई करने के लिए खुली छूट प्रदान कर दी थी। जिसके बाद से ही भारत ने पाकिस्तान की सेना व हुक्मरानों के न्यूक्लियर बमों की धमकियों से ब्लेकमैल हुए बिना ही भारत के वीर जवानों ने पीओके व पाक में अंदर घुसकर आतंकियों व उनके ठिकानों को मिट्टी में मिला कर के इतिहास में वीरता के एक नये मॉडल की शौर्य गाथा लिखने का कार्य कर दिया है, दुनिया भारतीय सेना व मोदी सरकार के शौर्य व रणनीति का लोहा मान रही है।”
पुरी दुनिया यह अच्छे से जानती है कि इस्लामिक देश पाकिस्तान आतंक व आतंकियों को पालता-पोसता है और उनके नापाक मंसूबों को पूरा करने में सहयोग देता है। फिर भी दुनिया के ताकतवर देश पाकिस्तानी उर्फ आतंकिस्तान के द्वारा पनाह दिये गये आतंकियों से पीड़ित होने के बाद भी उसको आतंकी देश तक घोषित नहीं करते हैं। वहीं पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षित जगहों पर पनाह लिए हुए मानवता के सबसे बड़े दुश्मन आतंकवादियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले उनके खात्मे के लक्ष्य को लेकर के मां भारती के वीर जांबाज सपूतों ने 6-7 मई 2025 की रात को जान हथेली पर रखकर के 1 बजकर 4 मिनट ऑपरेशन सिंदूर शुरू कर दिया था। जिस ऑपरेशन के अंतर्गत पीओके व पाकिस्तान में घुसकर के आतंकियों के 9 महत्वपूर्ण लक्षित ठिकानों पर सेना के वीर योद्धाओं ने एयर स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर एयर स्ट्राइक करने की खबर सुनते ही पूरी दुनिया भौंचक्का रह गई थी। एयर स्ट्राइक के बाद आतंकियों के आका पाकिस्तान ने भारत के शहरों, सैन्य ठिकानों, स्कूल, कॉलेज, गुरुद्वारा, मंदिर, अस्पताल आदि को गोलीबारी, बमबारी, ड्रोन, मिसाइल आदि से निशाना बनाना शुरू कर दिया था। लेकिन जब कुछ समय के बाद ही भारतीय वीरों ने पाक के इस दुस्साहस का जवाब बहुत जबरदस्त ढंग से धरातल पर देना शुरू कर दिया, तो उससे पाक के विभिन्न शहरों में भारी जान-माल का नुक़सान होना शुरू हो गया था, जिसे देखकर के पाकिस्तान की सेना व बड़बोले हुक्मरानों के पैरों तले से जमीन खिसकने लग गई थी, वह भारत के साथ-साथ दुनिया भर के देशों से अपनी जान बचाने के लिए मदद करने की गुहार लगाने लग गया था।
हालांकि भारत के हुक्मरानों ने भी दो टूक शब्दों यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा हैं, लेकिन शांति की बातों का चोला ओढ़कर के भारत में आतंकवाद फैलाने का का काम अब एक साथ नहीं चल सकता है, अब तो पाकिस्तान के द्वारा भारत में प्रायोजित आतंकी घटना भारत के ख़िलाफ़ पाक के द्वारा युद्ध माना जायेगा और भारत पाकिस्तान को गोली का जवाब अब गोले से देने का कार्य करेगा। जिससे भयभीत होकर पाक ने 10 मई की दोपहर को भारत के डीजीएमओ से फोन पर सीज़फायर करने के लिए बात की, जिसके चलते ही 10 मई की शाम को दोनों देशों के बीच सीज़फायर की घोषणा हो गयी। लेकिन सीज़फायर की घोषणा होती ही जो राजनीतिक दल पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हर तरह की छोटी-बड़ी कार्रवाई में भारत सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े हुए थे, उसमें से कुछ दलों के चंद राजनेताओं ने अब क्षणिक राजनैतिक लाभ हासिल करने के लिए सेना व मोदी सरकार के शौर्य और रणनीति पर प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया। जबकि सरकार ने नपे-तुले शब्दों में ही सीज़फायर करने की घोषणा करते समय ही दुनिया से स्पष्ट कर दिया था कि भारत युद्ध का पक्षधर नहीं है लेकिन आतंक व आतंकियों के ख़िलाफ़ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति सख्ती के साथ जारी रहेगी, आतंकवादियों के आकाओं को अब बख्शा नहीं जायेगा। लेकिन फिर भी क्षणिक स्वार्थ व ओछी राजनीति के चलते हुए ही युद्धकाल के दौर में ही चंद लोगों व राजनेताओं के द्वारा सेना व सरकार के शौर्य और रणनीति पर सवाल खड़े करने शुरू करने की साज़िश देश में बहुत ही तेज़ी से होने लगी है। वैसे देखा जाए तो यह वही चंद लोग हैं जो जंग के समय भी सोशल मीडिया के ताकतवर प्लेटफार्म पर देश के दुश्मनों के साथ खुलकर खड़े थे और यह गैंग भारतीय सेना की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पाकिस्तान को लाभ देने वाली पोस्ट तक सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर करने में लगे हुए थे, जो कि देशहित में बिल्कुल भी उचित नहीं है।
हालांकि 7 मई 2025 की सुबह भारत सरकार की प्रेस ब्रीफिंग से जब दुनिया को यह पता चला कि भारत की वीर सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर के पहलगाम की “बैसरन घाटी” में हुए आतंकी हमले का बदला पाक में एयर स्ट्राइक करके ले लिया है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में पाक के दुर्दांत आतंकियों के साथ-साथ आतंकियों के ट्रैनिंग सेंटर व लांच पैड तक तबाह हो गये हैं, तो उस वक्त सब भारत की वीरता को देख आश्चर्य चकित थे। भारत के हमलें में भारी नुक़सान उठाने के बाद से पाक के षड्यंत्रकारी हुक्मरान बुरी तरह से तिलमिला उठे हैं, जिसके चलते ही उन्होंने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सीज़फायर का उल्लघंन करते हुए भारी गोलीबारी करनी शुरू कर दी थी, जिसमें हमारे कुछ वीर योद्धा व आम नागरिक भी शहीद हुए। रात में पाकिस्तान ने भारत में बहुत सारी जगहों पर ड्रोन व मिसाइल से हमला करके एक तरह से भारत के ख़िलाफ़ एक अघोषित युद्ध की शुरुआत कर दी थी। हालांकि इन हमलों को हमारे वीर योद्धाओं ने विफल करते हुए पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करके उसको मुंहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया था, जिससे पाकिस्तान के अंदर से जान-माल के बहुत बड़े नुक़सान की खबरें अब बाहर आने लग गयी थी। जिससे आम लोगों की नज़रों में सेना के मां भारती के वीर सपूतों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी वॉर नायक के रूप में छवि बन रही थी, जिस देखकर के मोदी विरोध में अंधे गैंग ने भारत के वीर योद्धाओं व सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए, सोशल मीडिया पर हैसटैग चला कर तत्काल भारत पाकिस्तान के इस अघोषित युद्ध को रोकने की मांग तक कर डाली थी।
लेकिन मोदी सरकार ने सेना के वीर योद्धाओं पर पूरा भरोसा जताया। जिसके चलते ही भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ “छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं घर में घुसकर मारेंगे” की रणनीति पर तेज़ी के साथ युद्ध के मैदान में कार्य करना शुरू कर दिया था। सेना के वीरों ने पाकिस्तान के बड़े महत्वपूर्ण शहरों, सैन्य एयरबेस, सैन्य ठिकानों में लक्षित स्थलों को तय रणनीति के साथ ध्वस्त करने का कार्य बखूबी किया था। जिसे देखकर के भारत के बहुत सारे देशभक्त आम लोगों को लगता था कि अगले चंद दिनों में पीओके भारत के पास वापस आ जायेगा और आतंकियों के आका पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े होकर के नक्शे से उस देश का हमेशा के लिए वजूद मिट ही जायेगा। लेकिन 10 मई 2025 को कूटनीति के चलते भारत को भी सीज़फायर के लिए अपने द्वारा तय की गयी शर्तों पर सहमति देनी पड़ी थी, जिसने भारत के करोड़ों देशभक्तों के पाक के टुकड़े करने के सपनों पर पानी फेर दिया था। जिससे कुछ लोगों में मोदी सरकार के प्रति आक्रोश उत्पन्न अवश्य हुआ है, क्योंकि पाक की धोखा देने की नीति व वर्ष 1947, 1965, 1971 व 1999 के सीज़फायर का हश्र आज भी इन लोगों को आज भी याद है, उनका यह मानना है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आयेगा, हालांकि इसकी इसकी एक बानगी तो 10 मई व 12 मई की रात को पाकिस्तान सीज़फायर का उल्लघंन करके दुनिया को दिखा भी चुका है। जिसे देखकर के मोदी विरोध में अंधा गैंग एकबार फिर से तेज़ी से सक्रिय हुआ और इन कुछ लोगों व कुछ राजनेताओं ने एकबार फिर से अपनी क्षणिक राजनीति के लिए सेना व सरकार के शौर्य और रणनीति पर सवाल उठा कर के नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति व नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगाने शुरू कर दिया है। यह लोग मोदी विरोध में इतने अंधे हो गये हैं कि इन लोगों को मोदी विरोध व देश विरोध का अंतर तक भी अब तो स्पष्ट रूप से नज़र नहीं आता है। हालांकि इन लोगों को समय रहते ही यह समझना चाहिए की मोदी विरोध के लिए युद्धकाल का समय चुन कर के वह भारत के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान का ही सहयोग कर रहे हैं। उन्हें यह भी समझ जाना चाहिए कि अब युद्ध वर्ष 1947, 1965, 1971 व 1999 की तरह केवल जंग के मैदान में ही वीरता, बुद्धिमत्ता के साथ नहीं लड़ा जाता है, बल्कि अब तो युद्ध जंग के मैदान के साथ-साथ कूटनीतिक, व्यापार, आईटी, टेक्नोलॉजी आदि के मोर्चे पर भी पूरी वीरता व बुद्धिमत्ता के साथ लड़ा जाता है, देशहित में हर मोर्चे का इसराइल की तरह एकजुट होकर के बारीकी से निरंतर आंकलन करना होता है, तब ही मैदान-ए-जंग में विजय प्राप्त होती है।
दीपक कुमार त्यागी
अधिवक्ता, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक